बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

Allah Hi Dua Qubul Karne Wala Hai – सूरह ग़ाफ़िर (40:60) की तफ्सीर

इस्लाम में दुआ (प्रार्थना) को इबादत की आत्मा माना गया है। यह एक ऐसा माध्यम है जिससे इंसान सीधे अल्लाह से मदद मांगता है। सूरह ग़ाफ़िर (40:60) में अल्लाह तआला हमें यह संदेश देता है कि “मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी दुआ कबूल करूंगा।” लेकिन इसके साथ ही अल्लाह उन लोगों को चेतावनी भी देता है जो घमंड में आकर उसकी इबादत से मुंह मोड़ते हैं। इस आयत का गहरा मतलब यह है कि केवल अल्लाह ही दुआ कबूल करने वाला है, और जो लोग किसी और से उम्मीद रखते हैं, वे गुमराह हो सकते हैं।

Aaj Ki Aayat

Hadees In English

Allah Ne Farmaya Mujhe Pukaro Me Tumhari Dua Qabul Karunga Or Jo Log Gamand Me Aakar Meri Ibaadat Se Muh Moddte Hai Jarur Vo Rusva Or Bejjat Ho Kar Jehennum Me Dahkil Honge

Hadees In Hindi

अल्लाह रब्बुल आलमिन फरमाते है की मुझे पुकारो में तुम्हारी दुआ कबूल करूंगा और जो लोग गमन्द में आकर मेरी इबादत से मुंह मोड़ते है जरूर वो रुसवा और बेज्जत हो कर जहन्नुम में दाखिल होंगे।

(Surah Ghafir – 40:60)

इस आयत की तफ्सीर

1. अल्लाह ही दुआ कबूल करने वाला है

इस्लाम में दुआ करना केवल एक रस्म या प्रथा नहीं है, बल्कि यह अल्लाह पर भरोसे और तवक्कुल (पूर्ण विश्वास) की निशानी है। इस आयत में अल्लाह तआला ने खुद कहा कि “मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी दुआ कबूल करूंगा।” यानी अगर कोई इंसान सच्चे दिल से अल्लाह को पुकारता है, तो अल्लाह उसकी दुआ जरूर सुनता है।

कुरआन में एक और जगह अल्लाह फरमाता है:

“और जब मेरे बंदे तुमसे मेरे बारे में पूछें, तो (कह दो) मैं तो क़रीब हूँ, मैं पुकारने वाले की पुकार को सुनता हूँ जब वह मुझे पुकारता है।”

(सूरह अल-बक़राह 2:186)

यह आयत हमें सिखाती है कि अल्लाह हर समय हमारे करीब है, हमें केवल सच्चे दिल से उसे पुकारने की जरूरत है।

2. कौन सी दुआएं अल्लाह सबसे ज्यादा पसंद करता है?

कुछ दुआएं ऐसी हैं जो अल्लाह तआला को बहुत पसंद आती हैं और जल्दी कबूल होती हैं:

अपने गुनाहों की माफी मांगने की दुआ:

“ऐ अल्लाह! मेरे सारे गुनाह माफ कर दे, छोटे-बड़े, पहले-पिछले, और जो खुलेआम किए और जो छुपकर किए।”

तकलीफ से निजात पाने की दुआ:

“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे ग़म, दुख, कमजोरी, काहिली, डरपोकपन, कंजूसी, कर्ज़ के बोझ और जालिमों के क़हर से पनाह मांगता हूँ।”

3. घमंड करने वालों की सज़ा – जहन्नम

इस आयत के दूसरे हिस्से में अल्लाह उन लोगों को चेतावनी देता है जो घमंड के कारण उसकी इबादत से मुंह मोड़ते हैं। ऐसे लोगों के लिए अल्लाह ने कहा कि वे “ज़रूर जहन्नम में दाखिल होंगे और अपमानित होंगे।”

हदीस में आता है:

“जो शख्स अपने दिल में राई के दाने के बराबर भी तकब्बुर (घमंड) रखेगा, वह जन्नत में नहीं जाएगा।”

(सहीह मुस्लिम 91)

इसलिए, इंसान को चाहिए कि वह अल्लाह के आगे झुके और अपने आपको कभी भी घमंडी न बनाए।

4. दरगाह पर जाकर दुआ मांगना – सही या गलत?

कई लोग दरगाहों पर जाकर वहां दुआ मांगते हैं, और कुछ लोग औलिया-ए-किराम (बुजुर्गों) से मदद की उम्मीद रखते हैं। लेकिन इस्लाम की सही तालीम हमें यह सिखाती है कि दुआ सिर्फ और सिर्फ अल्लाह से मांगी जानी चाहिए।

(A) क्या दरगाह पर दुआ करना शिर्क है?

अगर कोई व्यक्ति यह समझता है कि दरगाह पर सोए हुए बुजुर्ग ही उसकी दुआ कबूल करेंगे, तो यह शिर्क होगा।

अगर कोई व्यक्ति यह समझता है कि वह सिर्फ अल्लाह से दुआ कर रहा है, लेकिन उस जगह को मुबारक मानकर जा रहा है, तो यह गुमराही हो सकती है।

हदीस में आता है:

“जब तुम मांगो, तो केवल अल्लाह से मांगो। जब तुम मदद चाहो, तो केवल अल्लाह से मदद चाहो।”

(जामिअ तिर्मिज़ी 2516, सहीह हदीस)

इसलिए, हमें दरगाहों पर जाकर किसी और से दुआ मांगने के बजाय, सीधे अल्लाह से मांगना चाहिए।

निष्कर्ष

1. अल्लाह ही दुआ कबूल करने वाला है, हमें केवल उसी से मांगना चाहिए।

2. अल्लाह ने वादा किया है कि जो भी उसे सच्चे दिल से पुकारेगा, उसकी दुआ कबूल होगी।

3. जो लोग घमंड में आकर अल्लाह की इबादत नहीं करते, वे जहन्नम में जाएंगे।

4. दरगाहों पर जाकर दुआ मांगने की इस्लाम में कोई दलील नहीं है, बल्कि दुआ सिर्फ अल्लाह से करनी चाहिए।

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