बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

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शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

अल्लाह कौन हैं? वे कब आए? | इस्लाम, वेद, बाइबिल और अन्य धर्मों में ईश्वर की पहचान

अल्लाह (اللّٰه‎) इस्लाम में अकेले और सच्चे ईश्वर हैं, जो न जन्मे और न किसी से जन्मे। वे न तो किसी के पिता हैं और न किसी के पुत्र। अल्लाह हमेशा से हैं और हमेशा रहेंगे। वे सृष्टि के रचयिता और पालनहार हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि अल्लाह कौन हैं, वे कब आए, और इस्लाम में उनके बारे में क्या बताया गया है?

लेकिन क्या अल्लाह केवल इस्लाम में ही माने जाते हैं, या अन्य धर्मों की पवित्र किताबों में भी उनका ज़िक्र है? इस लेख में हम इस्लाम, यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और वेदों के आधार पर यह समझेंगे कि ईश्वर कौन है और उन्हें किस नाम से जाना जाता है।

अल्लाह कौन हैं?

1. इस्लाम

(A) अल्लाह की पहचान

इस्लाम के अनुसार, अल्लाह (اللّٰه‎) ही रचना के एकमात्र ईश्वर हैं, जो अनंत, अजन्मा और निराकार हैं।

क़ुरान में अल्लाह की विशेषताएँ:

आप कह दीजिये कि अल्लाह एक है

अल्लाह बेनियाज़ है

वो न किसी का बाप है न किसी का बेटा

और न कोई उस के बराबर है

(सूरह अल-इख़लास 112:1-4)

इसे सरल भाषा में समझते हैं:

कहो, अल्लाह एक है” – यानी, अल्लाह अकेला है, उसका कोई साथी नहीं। न वो किसी का हिस्सा है, न कोई उसका हिस्सा।

अल्लाह बेनियाज़ है” – इसका मतलब है कि अल्लाह को किसी की जरूरत नहीं, लेकिन हर चीज को उसकी जरूरत है। वो हर चीज से बेपरवाह है, लेकिन हम सब उस पर निर्भर हैं।

न वो किसी का बाप है, न किसी का बेटा” – यानी, अल्लाह की कोई औलाद नहीं और न ही वो किसी का बेटा है। वो हर चीज का पैदा करने वाला है, लेकिन उसे किसी ने पैदा नहीं किया।

और न कोई उसके बराबर है” – यानी, अल्लाह जैसा कोई दूसरा नहीं है। न उसकी कोई मिसाल है, न कोई उसके जैसा बन सकता है। वो हर चीज में सबसे बड़ा और सबसे अनोखा है।

(B) अल्लाह का कोई आकार नहीं है

अल्लाह को किसी भी आकार या मूर्ति में नहीं देखा जा सकता।

क़ुरान कहता है:

“कोई भी चीज़ उसके जैसी नहीं है। और वही सब कुछ सुनने और देखने वाला है।”

(सूरह अश-शूरा 42:11)

इसे सरल भाषा में समझते हैं:

अल्लाह का कोई रूप नहीं है” – यानी, अल्लाह का कोई भी इंसानी या किसी भी तरह का आकार नहीं है। वो बिल्कुल अलग और सबसे अनोखा है।

अल्लाह को किसी भी आकार या मूर्ति में नहीं देखा जा सकता” – यानी, अल्लाह को दुनिया की किसी भी चीज़ से नहीं मिलाया जा सकता। न वो किसी चीज़ जैसा है, न कोई चीज़ उसके जैसी हो सकती है।

इसका मतलब है कि अल्लाह का कोई मुकाबला नहीं। वो सबसे अलग है, लेकिन फिर भी वो हर चीज़ को सुनता और देखता है। वो हमारी दुआएं सुनता है, हमारे हालात देखता है, लेकिन किसी इंसान की तरह नहीं।

(C) अल्लाह सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली हैं

अल्लाह की शक्ति असीमित है। वे पूरी दुनिया को चला रहे हैं।

क़ुरान कहता है:

“अल्लाह ही हैं जिनके हाथ में बादशाहत है, और उन्हें हर चीज़ की शक्ति प्राप्त है।”

(सूरह मुल्क 67:1)

अल्लाह की ताक़त के कुछ नमूने

पूरी कायनात का निज़ाम – सूरज, चाँद, सितारे, समंदर, और ज़मीन सब अल्लाह के हुक्म से चलते हैं।

ज़िंदगी और मौत – अल्लाह ही ज़िंदगी देते हैं और वही मौत देते हैं।

दुआएं क़ुबूल करने वाले – जब हम उनसे माँगते हैं, तो वे हमें बेहतरीन इनाम देते हैं।

कयामत का मालिक – वही कयामत के दिन इंसाफ़ करेंगे और हर अमल का हिसाब लेंगे।

2. यहूदी

(A) तौरात (Torah) में ईश्वर की एकता

तौरात (यहूदी धर्म की पवित्र पुस्तक) में भी ईश्वर की एकता का उल्लेख है।

ऐ इसराईल! सुन, हमारा प्रभु परमेश्वर, केवल एक ही है।

(Deuteronomy 6:4)

3. ईसाई

(A) इंजील (Bible) में ईश्वर की एकता

ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तक इंजील (New Testament) में भी एक ईश्वर की अवधारणा पाई जाती है।

ईश्वर केवल एक है।

(Mark 12:29)

4. हिंदू

(A) वेदों में ईश्वर की एकता

वह (ईश्वर) एक है

(यजुर्वेद 40:1)

अल्लाह कब आए?

इस्लाम के अनुसार, अल्लाह न कभी आए और न कभी गए। वे हमेशा से थे, हैं, और रहेंगे। वे समय और स्थान की सीमाओं से परे हैं।

1. अल्लाह का कोई आरंभ और अंत नहीं

अल्लाह सदा से हैं। उन्हें किसी ने पैदा नहीं किया, और वे कभी समाप्त नहीं होंगे। वे अविनाशी और शाश्वत हैं।

क़ुरान में फ़रमाया गया है:

“वही प्रथम है और वही अंतिम, वही प्रकट है और वही गुप्त, और वही हर चीज़ का ज्ञान रखने वाला है।”

(सूरह अल-हदीद 57:3)

यह आयत स्पष्ट रूप से बताती है कि अल्लाह का कोई आरंभ नहीं और न ही कोई अंत।

2. समय और स्थान अल्लाह के अधीन हैं

अल्लाह ने समय और स्थान को बनाया है, इसलिए वे इनके अधीन नहीं हो सकते। जो चीज़ बनाई गई है, वह सीमित होती है, लेकिन अल्लाह हर तरह की सीमाओं से मुक्त हैं।

क़ुरान कहता है:

“अल्लाह तो वह है जिसने आसमानों और ज़मीन को छह दिनों में पैदा किया, फिर अर्श (सिंहासन) पर स्थापित हुआ।”

(सूरह अल-हदीद 57:4)

इसका मतलब यह है कि समय भी अल्लाह की सृष्टि है, और वे उससे पहले भी मौजूद थे।

अल्लाह की उपासना कैसे की जाती है?

1. केवल अल्लाह की इबादत करें

इस्लाम में सिर्फ़ अल्लाह की इबादत करने का आदेश है। कोई मूर्ति, संत, पैगंबर, या अन्य शक्ति उसकी बराबरी नहीं कर सकती।

क़ुरान कहता है:

और (हे नबी!) हमने आपसे पहले भी रसूल भेजा, यही प्रेरणा देकर कि ‘अल्लाह के सिवा कोई उपास्य नहीं, अतः मेरी इबादत करो।

(सूरह अंबिया 21:25)

2. अल्लाह के नामों और गुणों पर विश्वास करें

इस्लाम में अल्लाह के 99 नामों का उल्लेख है, जो उनकी विभिन्न विशेषताओं को दर्शाते हैं। जैसे –

अर-रहमान (अत्यंत दयालु)

अर-रहीम (अत्यंत कृपालु)

अल-ग़फ़ूर (क्षमाशील)

अल-हकीम (बुद्धिमान)

3. नमाज़ और दुआ के माध्यम से अल्लाह से जुड़ें

मुसलमान दिन में 5 बार नमाज़ पढ़कर और दुआ मांगकर अल्लाह से जुड़े रहते हैं।

और अपने रब को नम्रता और भय के साथ पुकारो। निश्चय ही वह अतिक्रमी लोगों को पसंद नहीं करता।

(सूरह अल-आराफ 7:55)

नमाज पढ़ने का तरीका – सीखें सही तरीका (Quran और हदीस से) Step By Step

अल्लाह के बारे में गलत धारणाएँ

1. क्या अल्लाह को देखा जा सकता है?

इस दुनिया में कोई भी अल्लाह को नहीं देख सकता। हालांकि, क़यामत के दिन नेक लोग उन्हें देख सकेंगे।

“उस दिन कुछ चेहरों की चमक दमक होगी, वे अपने रब को देख रहे होंगे।”

(सूरह अल-क़ियामाह 75:22-23)

2. क्या अल्लाह इंसान या किसी और रूप में आएंगे?

नहीं, अल्लाह कभी किसी इंसान, मूर्ति, या किसी और रूप में नहीं आते।

“निस्संदेह, अल्लाह सबसे ऊँचा और महान है, और कोई भी उसका साझेदार नहीं।”

(सूरह इख़लास 112:1-4)

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