बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

अर्श और पानी (Arsh Aur Pani) – कुरआन और हदीस की रोशनी में

इस्लाम में अर्श (सिंहासन) को अल्लाह की सबसे अज़ीम मख़लूक़ात में से एक माना गया है। हदीसों और कुरआनी आयात में इसका तफ़सील से ज़िक्र मिलता है। खासतौर पर, कुरआन में बयान किया गया है कि अल्लाह तआला का अर्श पानी पर था। इस सेक्शन में हम इसी पहलू पर तफ़सील से चर्चा करेंगे।

अर्श पानी पर था – कुरआन की गवाही

अल्लाह तआला ने कुरआन में बयान किया है कि जब उसने कायनात को पैदा किया तो उस वक्त उसका अर्श पानी पर था।

“और वही है जिसने आसमानों और ज़मीन को छह दिनों में पैदा किया, और उसका अर्श पानी पर था।”

(सूरह हूद: 7)

यह आयत बताती है कि जब अल्लाह तआला ने दुनिया की तखलीक (सृष्टि) शुरू की, उस वक्त अर्श पानी पर था।

हदीस में अर्श और पानी का ज़िक्र

रसूलुल्लाह (ﷺ) से भी अर्श और पानी के बारे में कई अहादीस मौजूद हैं।

सहीह बुखारी की हदीस

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.अ) से रिवायत है कि नबी (ﷺ) ने फरमाया:

“अल्लाह का अर्श पानी पर था।”

(सहीह बुखारी: 7418)

एक दूसरी हदीस

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“अल्लाह तआला था और उसके अलावा कुछ नहीं था, फिर उसने पानी पर अपना अर्श बनाया, और सब कुछ लिखने वाला कलम पैदा किया।”

(जामे तिर्मिज़ी: 3109)

इससे मालूम होता है कि अर्श की तखलीक (निर्माण) बहुत पहले हो चुकी थी, और यह पानी पर स्थित था।

उलमा और मुफ़स्सिरीन का नजरिया

1. इब्ने कसीर (रह.) की तफ़सीर

इब्ने कसीर (रह.) ने इस आयत की तफ़सीर में फरमाया:

“इस आयत से साबित होता है कि जब अल्लाह ने मख़लूक़ात को पैदा करना शुरू किया, उस समय पानी का वजूद था और उसी पर अर्श था।”

(तफ़सीर इब्ने कसीर)

2. इमाम तबरी (रह.) की तफ़सीर

इमाम तबरी (रह.) ने कहा:

“अल्लाह तआला ने सबसे पहले पानी को पैदा किया, फिर उसके ऊपर अपना अर्श बनाया।”

(तफ़सीर अत-तबरी)

3. इमाम इब्ने तैयमिय्या (रह.) का कौल

इब्ने तैयमिय्या (रह.) ने फरमाया:

“अर्श का पानी पर होना यह बताता है कि अल्लाह की कुदरत हर चीज़ से ऊपर है। पानी पर अर्श होने का मतलब यह नहीं कि अल्लाह का किसी चीज़ से इंहिसार (निर्भरता) है, बल्कि यह उसकी अजमत और ताक़त का बयान है।”

अर्श पानी पर क्यों था? (Arsh Pani Par Kyun Tha?)

इस बारे में कई मुफ़स्सिरीन ने अलग-अलग बातें बयान की हैं, लेकिन सबसे सही और मज़बूत राय यह है:

1. यह अल्लाह की अजमत और ताक़त की निशानी है

अल्लाह ने अपनी हिकमत से अर्श को पानी पर बनाया ताकि इंसान उसकी कुदरत को समझे।

2. कायनात की तखलीक से पहले यह पहला वजूद था

उलमा के अनुसार, जब कोई और मख़लूक़ नहीं थी, सिर्फ़ पानी और अर्श मौजूद थे।

3. अर्श का पानी पर होना अल्लाह की हिकमत है

अल्लाह तआला की हिकमत को हम पूरी तरह नहीं समझ सकते, लेकिन हमें इस पर ईमान लाना चाहिए।

अर्श, पानी और अल्लाह की बुलंदी

अल्लाह तआला अर्श पर मुस्तवी (स्थिर) है, जैसा कि कुरआन में बयान हुआ:

“रहमान अर्श पर मुस्तवी है।”

(सूरह ताहा: 5)

लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अल्लाह को किसी चीज़ की ज़रूरत है। उलमा ने बताया कि हमें इस पर ईमान लाना चाहिए, लेकिन इसकी हकीकत को सिर्फ़ अल्लाह ही जानता है।

इमाम मालिक (रह.) ने फरमाया:

“अर्श पर इस्तेवा मालूम है, लेकिन इसका तरीका मालूम नहीं। इस पर ईमान लाना वाजिब है और इस बारे में सवाल करना बिदअत (नवाचार) है।”

निष्कर्ष

1. अर्श अल्लाह की सबसे बड़ी मख़लूक़ है।

2. अल्लाह का अर्श पानी पर था, जैसा कि कुरआन और हदीस में बयान हुआ है।

3. अल्लाह ने सबसे पहले पानी को पैदा किया, फिर उसके ऊपर अर्श बनाया।

4. इसका सही इल्म सिर्फ़ अल्लाह के पास है, और हमें इस पर बिना शक किए ईमान लाना चाहिए।

5. उलमा और मुफ़स्सिरीन ने इस पर रोशनी डाली, लेकिन इसकी असली हकीकत अल्लाह ही बेहतर जानता है।

अल्लाह हमें सही समझ दे और कुरआन व हदीस पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन!

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