Dua E Masura : दुआ ए मसुरा
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
हर मुसलमान को Dua E Masura (दुआ ए मसूरा) याद होनी चाहिए क्योंकि यह दुआ हम हर नमाज में पढ़ते हैं। यह दुआ अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगने और रहमत की दुआ करने के लिए बहुत अहम है।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह दुआ हमें सिखाई और इसे पढ़ने की ताकीद की। यह दुआ इस बात को दर्शाती है कि इंसान गलतियों से पाक नहीं होता, बल्कि हमें हमेशा अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए।
Dua E Masura
Dua E Masura In English – दुआ ए मसुरा इन इंग्लिश
Allahumma Inni Zalamtu Nafsi Zulman Kaseeraan Wala Yaghfiruz-Zunooba Illa Anta Faghfirlee Maghfiratan-m Min ‘Indika War Hamnee Innakaa Antal Ghafoorur Raheemu
Dua E Masura In Arabic – दुआ ए मसुरा अरबी में
अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘ मिन इनदिका, वर ‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम
Dua E Masura In Hindi – दुआ ए मसुरा हिंदी में
ऐ अल्लाह। मैंने अपने नफ्स जान पर बहुत ज्यादा जुल्म किया है और तेरे सिवा कोई भी गुनाहों को बख्शने वाला नही तो तू मुझको बख़्श दे। और मुझ पर रहम फरमा, बेशक तु ही बख्शने वाला है, और बेहद रहम वाला है।
(सही बुखारी – 6326)
दुआ ए मसूरा कब पढ़ी जाती है?
1. नमाज में तशहुद के दौरान:
जब हम नमाज में आखिरी बैठे (तशहुद) में होते हैं, तब इस दुआ को पढ़ते हैं। यह दुआ अल्लाह से गुनाहों की माफी और रहमत की दरख्वास्त के लिए होती है।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जब तुम तशहुद में बैठो, तो यह दुआ पढ़ो।”
(सहीह मुस्लिम – 402)
2. हर वक्त मगफिरत मांगने के लिए:
इस दुआ को सिर्फ नमाज में ही नहीं, बल्कि किसी भी समय गुनाहों से तौबा करने और अल्लाह की रहमत मांगने के लिए पढ़ा जा सकता है।
हज़रत अनस (रज़ि.) से रिवायत है:
“नबी (ﷺ) ने फरमाया: अगर इंसान गुनाह करता है और फिर सच्चे दिल से तौबा करता है, तो अल्लाह उसके सारे गुनाह माफ कर देता है।”
(सहीह तिर्मिज़ी – 3534)
दुआ ए मसूरा पढ़ने के फायदे
1. अल्लाह से गुनाहों की माफी मिलती है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“अगर कोई सच्चे दिल से तौबा करता है, तो अल्लाह उसके सारे गुनाह माफ़ कर देता है।”
(सहीह मुस्लिम – 2749)
2. यह दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सिखाई है
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया कि यह दुआ पढ़ो क्योंकि यह तुम्हारे लिए मगफिरत और रहमत का जरिया है।”
(सहीह मुस्लिम – 2705)
3. अल्लाह के क़रीब होने का ज़रिया
जो बंदा हर वक्त अल्लाह से माफी मांगता है, अल्लाह उसे अपने क़रीब कर लेता है और उसके काम आसान कर देता है।
इब्न अब्बास (रज़ि.) फरमाते हैं:
“जब कोई बंदा अल्लाह से तौबा करता है, तो अल्लाह उसकी तौबा को कबूल करके उसके गुनाहों को नेकी में बदल देता है।”
(सूरह अल-फुरकान 25:70)
उलेमा के कथन (Scholars’ Opinions)
इमाम नववी (रह.) फरमाते हैं:
“यह दुआ इस बात की निशानी है कि इंसान को हर वक्त अल्लाह से तौबा और माफी मांगनी चाहिए।”
(तफ़सीर नववी)
इब्न कसीर (रह.) लिखते हैं:
“यह दुआ अल्लाह की रहमत और मगफिरत हासिल करने का बेहतरीन ज़रिया है।”
(तफ़सीर इब्न कसीर)
इमाम तबरानी (रह.) फरमाते हैं:
“अगर कोई यह दुआ सच्चे दिल से पढ़े, तो अल्लाह उसे जहन्नम से निजात देगा।”
(अल-मुअज्जम अल-कबीर)
क्या यह दुआ हर मुसलमान को याद करनी चाहिए?
✅ हां! क्योंकि:
1. यह दुआ कुरआन और हदीस के मुताबिक है।
2. यह हर नमाज में पढ़ी जाती है।
3. अल्लाह से गुनाहों की माफी का सबसे अच्छा तरीका है।
4. यह हमारी जिंदगी को बेहतरीन बनाने में मदद करती है।
नतीजा (Conclusion)
Dua E Masura एक बहुत अहम दुआ है, जिसे हर मुसलमान को याद करना चाहिए। यह दुआ अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगने और उसकी रहमत हासिल करने के लिए बहुत फायदेमंद है।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो शख्स तौबा करता है, वह ऐसा है जैसे उसने कभी गुनाह किया ही नहीं।”
(सुनन इब्न माजा – 4250)
अल्लाह हमें इसे याद करने और अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए! आमीन!
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