बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
दुनिया से मोहब्बत आखिरत में नुकसान – कुरान और हदीस की रोशनी में
Duniya Se Mohabbat – क्या दुनिया से जरूरत से ज्यादा मोहब्बत आखिरत में नुकसान पहुंचा सकती है? कुरान और हदीस के हवाले से जानिए कि इस्लाम में दुनिया की मोहब्बत को कैसे देखा जाता है और इसका असर आखिरत पर क्या होता है।
कुरान और हदीस में दुनिया की हकीकत
इस्लाम में दुनिया से मोहब्बत की इजाजत दी गई है, लेकिन अगर यह मोहब्बत इंसान को अल्लाह की याद और आखिरत की तैयारी से दूर कर दे, तो यह खतरनाक हो जाती है। कुरान और हदीस में कई जगह इस बात की तालीम दी गई है कि इंसान को दुनिया की चीजों से दिल लगाने की बजाए, इसे एक अस्थायी ठिकाना समझना चाहिए।
इस लेख में हम देखेंगे कि इस्लाम दुनिया की मोहब्बत को किस तरह देखता है, इससे कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं और हमें अपनी आखिरत की तैयारी कैसे करनी चाहिए।
1. Duniya Se Mohabbat(दुनिया की मोहब्बत की हकीकत)
दुनिया की मोहब्बत इंसान के दिल में इतनी गहराई तक उतर सकती है कि वह अपनी असली मंज़िल (आखिरत) को भूल जाता है। कुरान में अल्लाह फरमाते हैं:
कुरान की आयत:
Quran: “बल्कि तुम लोग दुनिया की जिंदगी को पसंद करते हो, जबकि आखिरत उससे कहीं बेहतर और हमेशा रहने वाली है।”
(सूरह अल-अ’ला 87:16-17)
इस आयत में साफ तौर पर बताया गया है कि इंसान अक्सर फ़ना (नष्ट होने वाली) दुनिया को पसंद करता है, जबकि असली सफलता तो आखिरत में है।
हदीस:
रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“अगर दुनिया की कीमत अल्लाह के नज़दीक मच्छर के पर के बराबर भी होती, तो वह किसी काफिर को पानी का एक घूंट भी न देता।”
(जामिअत-तिर्मिज़ी, हदीस 2320)
👉 मतलब: दुनिया की कोई असली कीमत नहीं है, यह सिर्फ एक परीक्षा है।
यह दुनिया धोखा है
Quran: जान लो की दुनिया की जिंदगी खेल तमाशा है और दुनिया की मिसाल तो एक बारिश की तरह है। जिसकी वजह से किसानों की खेती हरी भरी हो जाति है। फिर सुख जाति है।फिर धीरे धीरे वो चूर चूर हो जाति है और दुनिया की जिंदगी तो बस फरेब का साजो सामान है।
नोट – मालूम हुआ की दुनिया की जिंदगी तो बस एक धोका है और एक दिन यह हरी बारी जिंदगी खत्म हो जायेगी फिर आखिरत की जिंदगी शुरू हो जाएगी।
(सूरह अल हदीद – 57:20)
2. हमारी नाफशानी ख्वाहिश
1. नाफशानी ख्वाहिश को माबूद बनाना
हदीस: क्या तुमने उस शक्श को भी देखा है जिसने अपनी नाफशानी ख्वाहिश को अपना माबूद बना रखा है। तो क्या तुम उसके जिमेदार हो सकते हो की वो गुमराह ना हो।
नोट – आज कल लोगो ने अपनी नाफशानी ख्वाहिश को अपना माबूद बना रखा है। यानी उनको कुछ बनना होता है जिसकी इजाजत इस्लाम में ना हो तो वो बन जाने के बाद इस्लाम से बहुत धुर हो जाता है।
(सूरह अल फुरकान – 25:43)
2. नाफशानी ख्वाहिश के पीछे नमाज खोना
हदीस: फिर कुछ लोग ऐसे भी आए जिन्होंने नमाजे खोई और नाफशानी ख्वाहिश के चेले बन बैठे अंकरीब है की यह लोग अपनी गुमराही के अंजाम से जा मिलेंगे।
नोट – मालूम हुआ की जो इस तरह दुनिया से जा चुके है एक दिन में आखीरत की दुनिया से मिलने जो इनके लिए दर्दनाक है।
(सूरह मरियम – 19:59)
3. नाफशानी ख्वाहिश से रुखने वाले का इनाम
हदीस: जिसने दुनिया में सर उठाया और दुनिया की जिंदगी को तर्जी दी उसका ठिकाना यकीनन धौजक है। लेकिन अगर कोई शक्श अपने पर्वदिगार से डरता हो और अपनी नाफशानी ख्वाहिश से रुक जाए तो यकीनन उसका ठिकाना जन्नत है।
नोट – बेशक जो शक्श नाफशानी ख्वाहिश पर चलेगा वो जहन्नुम में जायेगा और जिसने इसे छोड़ दिया वो जन्नत में जायेगा।
(सूरह नज़ियात – 79:37-41)
3. माल और धन
1. इंसान का पेट तो कबर की मिट्टी से ही भरेगा
हदीस: अगर इंसान के पास माल और दौलत के 2 जंगल भी हो जाए और वह तीसरे की ख्वाहिश करेगा और इंसान का पेट तो कबर की मिट्टी से ही भरेगा।
नोट – यानी की इंसान का पेट कभी नही भरता यह तक की वो कबर को जा पोछता है।
(सही बुखारी – 6439)
2. माल और दौलत की हिरस से दिन को नुकसान
हदीस: नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया 2 भूखे बेहदिये जीने बकरिया के रेवड में छोड़ दिया जाए फिर भी उतना नुकसान नहीं पोचाएंगे जितना नुकसान आदमी के माल और दौलत की हीरस उसके दिन को नुकसान पोचाती है।
नोट – आज कल लोग पैसा कमाने में जान लगा दिया करते है। क्युकी उन्हें बस पैसा ही दिखता है खुदा को भूल जाते है।
(जामिया त्रिमधी – 2376)
3. माल दौलत जमा करने वाले
हदीस: नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम अपनी माल और दौलत जमा ना करो नही तो तुम दुनिया में मगन हो जाओगे।
नोट – हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने माल और दौलत जोड़ने से मना फरमाया है।
(जामिया त्रिमधी – 2328)
4. अल्लाह की नसीहत
1. सेतान तुम्हारा दुश्मन है।
Quran : लोगो खुदा का कयामत का वादा यकीनन सच्चा है। तो कही दुनिया की चांद बातें तुम्हे फरेब ना कर दे, ऐसा ना हो की सेतान तुम्हे खुदा के बारे में धोका दे, बेशक सेतान तुम्हारा दुश्मन है। तो तुम भी उसे अपना दुश्मन बनाए रखो। वो तो लोगो को इसलिए बहकता है। ताकि तुम जेहेन्नुमि हो जाओ।
नोट – अल्लाह ने हमे सेतान से दुश्मनी करने को कहा है और कहा है की लोगो की बातो में ना आ जाना जो तुम्हे दूसरे खुदा का दावा करे याकेनिन वो नही जानते की उन्हें सेतान बहका रहा है।
(सूरह फातिर – 35:5-6)
2. दुनिया की बातें
हदीस: दुनिया को तर्क कर दो अल्लाह तुमसे मोहोबत रखेगा और जो कुछ लोगो के पास है। उसे बेनियाज हो जाओ लोग तुमसे मोहोबत रखेंगे।
नोट – अल्लाह ने हमे दुनिया की बेकार बात से रोका है। और जो लोग दुनिया में कमियाब है। उनसे आगे जाने यानी जलन करने से रोका है।
(इब्न माझा – 1402)
5. अल्लाह ने हमे आजमाइश के लिए भेजा है।
1. मौत और जिंदगी
Quran: जिसने मौत और जिंदगी को पैदा किया ताकि तुम्हे आजमाए की तुम में से काम में सबसे अच्छा कोन है। और वह गालिब और बड़ा बकसने वाला है।
नोट – अल्लाह ने हमे आजमाने के लिए भेजा है ताकि हम उन मुस्किलो का सामना कर सके।
(सुरह मुल्क – 67:2)
2. जिन्न और इंसान को इबादत के लिए पैदा किया
Quran: और मैंने जिन्न और इंसानों को इसलिए पैदा किया ताकि वो मेरी इबादत करे।
नोट – दुनिया में अल्लाह ने हमे सिर्फ इबादत के लिए पैदा किया है।
(सुरह धारियात – 51:56)
6. इस्लाम में दुनिया की मोहब्बत
Quran: “जो लोग नेकी तो करते हैं, लेकिन उनका मकसद सिर्फ दुनिया की जिंदगी और इसका रिज़्क (रोज़ी-रोटी) हासिल करना होता है, तो हम उन्हें उनकी मेहनत का पूरा-पूरा बदला इसी दुनिया में दे देते हैं। ऐसे लोग दुनिया में किसी घाटे में नहीं रहते।
Quran: लेकिन याद रखो! आखिरत में इनके लिए सिर्फ जहन्नुम की आग है। जो कुछ इन्होंने दुनिया में किया था, वह सब बेकार चला गया, और जो ये मेहनत कर रहे थे, वह सब मिटकर खत्म हो गया।”
दुनिया की मोहब्बत क्यों नुकसानदेह है?
अगर इंसान जरूरत से ज्यादा दुनिया की मोहब्बत करने लगे, तो इसका आखिरत पर बुरा असर पड़ता है।
🔻 दुनिया की मोहब्बत के 5 बड़े नुकसान:
1. अल्लाह की याद से गाफिल कर देती है।
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2. इंसान हलाल और हराम की परवाह करना छोड़ देता है।
3. तकब्बुर (घमंड) आ जाता है।
4. आखिरत की तैयारी में कमी आ जाती है।
5. मौत और हिसाब का डर खत्म हो जाता है।
आखिरत की तैयारी कैसे करें?
अगर आप चाहते हैं कि दुनिया की मोहब्बत आपको नुकसान न पहुंचाए, तो इन बातों पर अमल करें:
✅ अल्लाह की याद (ज़िक्र) बढ़ाएं – रोजाना तस्बीह और कुरान की तिलावत करें।
✅ हलाल कमाई पर ध्यान दें – सिर्फ हलाल तरीके से दौलत कमाने की कोशिश करें।
✅ सादगी अपनाएं – फिजूलखर्ची और दिखावे से बचें।
✅ मौत को याद रखें – जब इंसान को याद रहेगा कि एक दिन उसे मरना है, तो वह दुनिया की मोहब्बत में नहीं डूबेगा।
✅ अखिरत की तैयारी करें – नेक अमल करें, सदका दें और अच्छे कामों में हिस्सा लें।
दुनिया की फितरत इस्लाम में
रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“इस दुनिया में ऐसे रहो जैसे कोई मुसाफिर या राह चलते इंसान।”
(सहीह बुखारी: 6416)
Conclusion
इस्लाम हमें यह सिखाता है कि दुनिया की चीज़ों का इस्तेमाल करें, लेकिन उन्हें अपना मकसद न बनाएं। अगर दुनिया की मोहब्बत हमें अल्लाह और आखिरत से दूर कर दे, तो यह नुकसानदायक हो जाती है।
📖 कुरान और हदीस बार-बार इस बात पर जोर देते हैं कि दुनिया अस्थायी है, जबकि आखिरत हमेशा रहने वाली है। इसलिए हमें अपने दिल को दुनिया की मोहब्बत से बचाकर, आखिरत के लिए मेहनत करनी चाहिए।
💡 “दुनिया से मोहब्बत मत करो, बल्कि इसका सही इस्तेमाल करो ताकि आखिरत संवर जाए।”
अल्लाह हमे हिदायत दे और नेक अमल करने की तोफिक आता फरमाए आमीन।
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