बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
फ़रिश्ते कौन हैं? उनकी तख़लीक़, जिम्मेदारियाँ और इस्लाम में उनका मक़ाम
इस्लाम में फ़रिश्तों (मलाइक़ा) का बहुत अहम मक़ाम है। वे अल्लाह के बनाए हुए ऐसे प्राणी हैं, जो सिर्फ़ अल्लाह के आदेशों का पालन करते हैं। इंसानों की तरह उन्हें इच्छा शक्ति नहीं दी गई है, और न ही वे भूख-प्यास, नींद या किसी अन्य ज़रूरत के मोहताज होते हैं।
इस्लाम में ईमान (Faith) के छह बुनियादी हिस्सों में से एक फ़रिश्तों पर ईमान लाना भी शामिल है। कुरआन और हदीस में बार-बार फ़रिश्तों का ज़िक्र किया गया है, जिससे उनकी अहमियत साबित होती है।
फ़रिश्तों की तख़लीक़ (उत्पत्ति)
1. फ़रिश्तों को किस चीज़ से बनाया गया?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“फ़रिश्तों को नूर (रौशनी) से, जिन्नों को आग से और इंसानों को मिट्टी से पैदा किया गया।”
इस हदीस से यह पता चलता है कि फ़रिश्ते एक नूरानी (रौशनी से बने) मख़लूक़ हैं, जिनका स्वभाव और अस्तित्व इंसानों और जिन्नात से अलग है।
2. फ़रिश्तों की तख़लीक़ कब हुई?
इस्लामी विद्वानों के अनुसार, फ़रिश्तों को इंसानों और जिन्नात से पहले पैदा किया गया।
इमाम इब्न कसीर (रह.) लिखते हैं:
“फ़रिश्तों की तख़लीक़ जिन्नात और इंसानों से पहले हुई थी।”
(तफ़सीर इब्न कसीर)
कुरआन में अल्लाह फरमाता है:
“(अल्लाह ने) जो कुछ भी पैदा किया, वह सबसे बेहतरीन ढंग से पैदा किया।”
(सूरह अस- सजदा 32:7)
फ़रिश्तों की विशेषताएँ (Angels’ Characteristics)
1. फ़रिश्तों की बनावट और विशेषताएँ
(A) फ़रिश्ते नूर (रौशनी) से बने हैं।
(B) वे इंसानों की तरह मर्द या औरत नहीं होते।
(C) वे ना खाते हैं, ना पीते हैं और ना ही सोते हैं।
(D) वे सिर्फ़ अल्लाह की इबादत में लगे रहते हैं।
(E) उनके अलग-अलग आकार होते हैं और उनके पंख होते हैं।
कुरआन में अल्लाह फरमाता है:
“सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो फ़रिश्तों को संदेशवाहक बनाता है, जिनके दो-दो, तीन-तीन और चार-चार पंख होते हैं।”
(सूरह फातिर 35:1)
2. हज़रत जिब्रील (अलैहिस्सलाम) के 600 पंख थे:
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ि.) से रिवायत है:
“मैंने हज़रत जिब्रील (अलैहिस्सलाम) को देखा, उनके 600 पंख थे और वे पूरी धरती को ढाँक रहे थे।”
(सहीह बुखारी, हदीस 4856)
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फ़रिश्तों को क्यों बनाया गया? (Purpose of Angels)
1. अल्लाह की इबादत करने के लिए:
“वे (फ़रिश्ते) दिन-रात अल्लाह की तस्बीह करते हैं और कभी नहीं थकते।”
(सूरह अल-अंबिया 21:20)
2. अल्लाह के आदेशों को पूरा करने के लिए:
“वे अल्लाह का हुक्म मानते हैं और उससे कभी भी नाफरमानी नहीं करते।”
(सूरह तहरीम 66:6)
3. फ़रिश्तों के नाम और उनकी ज़िम्मेदारियाँ
फ़रिश्ते का नाम 2253_b764c0-12> |
काम (ज़िम्मेदारी) 2253_e69837-71> |
हज़रत जिब्रील (अलैहिस्सलाम) 2253_76f392-a4> |
नबियों पर वह्यी (प्रकाशना) लाने की ज़िम्मेदारी 2253_50db72-e0> |
हज़रत मीकाईल (अलैहिस्सलाम) 2253_8ed271-a9> |
बारिश, रोज़ी और पेड़-पौधों की वृद्धि 2253_140ade-27> |
हज़रत इसराफ़ील (अलैहिस्सलाम) |
क़यामत के दिन ‘सूर’ (Big Bang जैसा) फूँकना 2253_b4c35e-8f> |
हज़रत अज्राईल (अलैहिस्सलाम) 2253_a835fe-ce> |
रूह (आत्मा) निकालने वाले 2253_90baf2-54> |
किरामन कातिबीन 2253_0da2b5-37> |
इंसानों के अमल (अच्छे-बुरे काम) लिखने वाले 2253_9175a4-28> |
मुनकर और नकीर 2253_387d53-d5> |
क़ब्र में सवाल पूछने वाले 2253_612f5c-a5> |
4. फ़रिश्तों और इंसानों का रिश्ता
(A) क्या फ़रिश्ते इंसानों की मदद करते हैं?
जी हाँ! कुरआन में अल्लाह ने कई बार ज़िक्र किया है कि फ़रिश्ते इंसानों की मदद करते हैं।
“जब तुम अपने रब से मदद माँग रहे थे, तो अल्लाह ने फ़रमाया: मैं तुम्हारी मदद के लिए एक हज़ार फ़रिश्ते भेज रहा हूँ।”
(सूरह अल-अनफाल 8:9)
क्या फ़रिश्ते किसी की मदद या नुकसान पहुँचा सकते हैं?
फ़रिश्ते सिर्फ़ वही करते हैं जो अल्लाह का आदेश होता है। न वे अपनी मर्ज़ी से किसी को फायदा पहुँचा सकते हैं और न नुकसान।
“वे सिर्फ़ वही करते हैं जो अल्लाह का आदेश होता है।”
(सूरह अल-इंफितार 82:12)
निष्कर्ष (Conclusion)
1. फ़रिश्ते अल्लाह के नूरानी (रौशनी से बने) बंदे हैं।
2. वे अल्लाह की इबादत और आदेशों को पूरा करने के लिए बनाए गए।
3. उनकी अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ हैं, जैसे कि वह्यी लाना, बारिश लाना, मौत लाना आदि।
4. फ़रिश्तों पर ईमान लाना इस्लामी आस्था का एक अनिवार्य हिस्सा है।
💡 अल्लाह हमें फ़रिश्तों पर सही ईमान रखने की तौफ़ीक़ अता फरमाए! आमीन!
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