बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Fitno Ka Baarish Ke Qatron Ki Tarah Girna – Little Sign of Doomsday (1)
आज हम देख रहे हैं कि हर तरफ़ फ़ितने (Fitne) फैल चुके हैं। झूट, धोखा, बेहयाई, दीन से दूरी, जुल्म, और फ़साद इतना बढ़ चुका है कि जैसे हर जगह फ़ितनों की बारिश हो रही हो। यही वह निशानी है जिसे रसूलुल्लाह ﷺ ने पहले ही बयान कर दिया था।
आइए, इस निशानी को तफ़सील से समझते हैं – हदीस, क़ुरआन और आज के हालात की रोशनी में।
फ़ितना (Fitna) क्या होता है?
फ़ितना (Fitna) का लफ्ज़ इस्लाम में कई मअनों (मतलबों) में इस्तेमाल हुआ है। इसका असल मक़सद होता है – इंसान की आज़माइश (Imtihan) या गुमराही (Gumrahi)।
1. फ़ितने के अलग-अलग मअनी (Meanings of Fitna):
(A) ईमान की आज़माइश
इंसान को आज़माया जाएगा कि वह सच्चे दीन पर क़ायम रहता है या नहीं।
(B) गुमराही का फैलाव
लोग सच्चाई से भटक जाएंगे, हर जगह ग़लत को सही और सही को ग़लत बताया जाएगा।
(C) दीन से दूरी
लोग इस्लामी तालीमात को छोड़कर गुनाहों की तरफ़ तेज़ी से बढ़ेंगे।
(D) फ़साद और तबाही
हर जगह झगड़े, खून-ख़राबा, बेइंसाफ़ी और ज़ुल्म का दौर होगा।
हदीस की रोशनी में यह निशानी
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़ितनों के इस दौर के बारे में तफ़सील से बताया है।
1. फ़ितनों का बारिश के क़तरों की तरह गिरना
हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया:
“ऐसे फ़ितने आएंगे जो बारिश के क़तरों की तरह गिरेंगे।”
(A) इस हदीस से हमें तीन अहम बातें समझ में आती हैं:
(1) फ़ितने बहुत तेज़ी से फैलेंगे
जिस तरह बारिश हर जगह गिरती है, फ़ितने भी पूरी दुनिया में फैल जाएंगे।
(B) हर इंसान इन फ़ितनों की चपेट में आएगा
कोई भी इससे महफ़ूज़ (बच) नहीं रहेगा।
(C) इन्हें रोकना मुश्किल होगा
जिस तरह बारिश को रोकना मुश्किल है, फ़ितनों को भी रोकना आसान नहीं होगा।
आज के दौर में इस निशानी की तस्दीक़ (Confirmation in Today’s Era)
अगर हम आज की दुनिया पर नज़र डालें, तो यह निशानी पूरी तरह हक़ीक़त बन चुकी है। आइए देखते हैं कि यह कैसे पूरी हो रही है:
1. बेइख़लाक़ी और बेहयाई का बढ़ना
सोशल मीडिया और इंटरनेट के ज़रिए गुनाह बहुत तेज़ी से फैल रहे हैं।
फ़हाश (अश्लील) चीज़ें इतनी आम हो चुकी हैं कि लोग इन्हें बुरा तक नहीं समझते।
2. सच और झूट का फ़र्क़ ख़त्म हो जाना
लोग सच्चाई को झूट और झूट को सच्चाई मानने लगे हैं।
झूटी अफ़वाहें और गुमराही हर जगह फैली हुई है।
3. हर जगह जुल्म और फसाद
दुनिया में जंग, खून-ख़राबा और दंगे बढ़ते जा रहे हैं।
मज़लूमों (बेगुनाहों) पर ज़ुल्म किया जा रहा है और ظालिमों को ताक़त मिल रही है।
4. दीन से दूरी
लोग दीन को छोड़कर दुनियावी चीज़ों में उलझते जा रहे हैं।
नमाज़, रोज़ा, हया और अख़लाक़ का एहतिमाम कम होता जा रहा है।
इस फ़ितने से बचने का तरीक़ा (How to Protect Yourself from Fitna?)
रसूलुल्लाह ﷺ ने हमें फ़ितनों से बचने के लिए कुछ अहम तरीक़े बताए हैं:
1. क़ुरआन और सुन्नत को मज़बूती से पकड़ो
अल्लाह की किताब और रसूलुल्लाह ﷺ की सुन्नत ही हमें फ़ितनों से बचा सकती है।
हर रोज़ क़ुरआन की तिलावत करो और सही हदीसों का मुताला (पढ़ाई) करो।
2. नमाज़ क़ायम करो
नमाज़ दिल को साफ़ करती है और गुनाहों से बचाती है।
हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया: “नमाज़ दीन का सुतून (ख़म्भा) है।”
3. सच्चे उलमा-ए-किराम की बात मानो
जो सही हिदायत दें, उन्हीं की राह पर चलो।
झूटे और गुमराह करने वाले लोगों से बचो।
4. बेसिर-पैर की ख़बरों से बचो
झूटी अफ़वाहें और फ़र्ज़ी ख़बरें बहुत तेज़ी से फैलती हैं।
हर बात पर यक़ीन करने से पहले उसकी तहक़ीक़ (जाँच) कर लो।
5. अल्लाह से दुआ करो
अल्लाह से माँगों कि वह हमें फ़ितनों से बचाए।
रसूलुल्लाह ﷺ की सिखाई हुई दुआ पढ़ो:
“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे ज़ाहिरी और छुपे हुए तमाम फ़ितनों से पनाह माँगता हूँ।”
(सुनन इब्न माजा, हदीस 3972)
नतीजा (Conclusion)
फ़ितनों का बारिश की तरह गिरना क़यामत की एक छोटी निशानी है, जो आज के दौर में पूरी हो चुकी है। हमें चाहिए कि हम क़ुरआन और हदीस की रोशनी में अपने ईमान को बचाने की कोशिश करें और अल्लाह से हिदायत मांगते रहें।
अगले भाग में हम जानेंगे कि फ़ितनों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी मुसीबतें और परेशानियाँ भी आएंगी, और यह भी क़यामत की छोटी निशानियों में से एक निशानी है।
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