बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Fitno Ke Saath Badi Badi Musibat Or Pareshaniyo Ka Aana – Little Sign Of Doomsday (2)
इस्लाम में क़यामत की निशानियों को समझना बहुत ज़रूरी है, ताकि हम इन फ़ितनों से बच सकें और अपने ईमान को महफ़ूज़ रख सकें। पिछली निशानी में हमने देखा कि फ़ितने बारिश के क़तरों की तरह गिरेंगे, यानी हर तरफ़ फ़साद, गुमराही और बेहयाई का दौर होगा।
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अब दूसरी निशानी यह है कि फ़ितनों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी मुसीबतें और परेशानियाँ आएँगी। यह दौर इतना सख्त होगा कि ईमान वाले लोगों के लिए अपने दीन पर क़ायम रहना मुश्किल हो जाएगा।
रसूलुल्लाह ﷺ ने इस बारे में तफ़सील से ख़बर दी है। आइए, इस निशानी को हदीस और आज के हालात की रोशनी में समझते हैं।
हदीस की रोशनी में यह निशानी
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“क़यामत उस वक़्त तक क़ायम न होगी जब तक बड़े-बड़े फ़ितने न आएँ और फ़ितनों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी मुसीबतें और परेशानियाँ न आएँ। तो ऐ मेरे बन्दों! जब तुम पर ऐसा दौर आए, तो ऐ अल्लाह के बन्दों! तुम ऐसे दौर में भी साबित क़दम (Steadfast) रहना।”
(सुन्नन अबू दाऊद, हदीस 4259)
इस हदीस से हमें क्या सीख मिलती है?
1. फ़ितने और मुसीबतें साथ-साथ आएँगी
सिर्फ़ गुमराही नहीं, बल्कि भयानक आज़माइशें भी होंगी।
2. ईमान की आज़माइश होगी
लोगों को सही और ग़लत में फ़र्क़ करना मुश्किल हो जाएगा।
3. सब्र और इस्तिक़ामत (धैर्य और मज़बूती) की ताक़ीद
ऐसे हालात में भी सच्चे मुसलमानों को अपने दीन पर क़ायम रहना होगा।
आज के दौर में इस निशानी की तस्दीक़ (Confirmation in Today’s Era)
अगर हम आज की दुनिया पर ग़ौर करें, तो यह निशानी पूरी तरह हक़ीक़त बन चुकी है।
1. दुनिया में बड़ी-बड़ी मुसीबतों का आना
प्राकृतिक आपदाएँ (भूकंप, बाढ़, सूखा) बढ़ते जा रहे हैं।
बीमारियाँ और वबाएँ (Pandemics) पूरी दुनिया में फैली हुई हैं।
माली (आर्थिक) तंगी और ग़रीबी का आलम हर जगह बढ़ रहा है।
2. मुसलमानों पर सख्त आज़माइशें
दुनिया भर में मुसलमानों पर ज़ुल्म बढ़ता जा रहा है।
इस्लामी तालीमात को कमज़ोर करने की कोशिशें हो रही हैं।
दीन पर चलने वालों का मज़ाक उड़ाया जाता है और उन्हें तकलीफ़ दी जाती है।
3. बड़े-बड़े फ़ितनों का दौर
झूठी अफ़वाहें और दीन से दूर करने वाली सोच का बढ़ना।
मीडिया और इंटरनेट के ज़रिए गुमराही का तेज़ी से फैलना।
हराम चीज़ों को हलाल समझा जाने लगा है।
इन मुसीबतों से बचने का तरीक़ा (How to Stay Strong in These Times?)
रसूलुल्लाह ﷺ ने हमें इन हालात में क्या करना चाहिए, इसका हल भी बताया है:
1. सब्र और इस्तिक़ामत (Patience & Steadfastness)
जो भी हालात आएँ, अपने ईमान को मज़बूत रखो।
अल्लाह पर तवक्कुल (भरोसा) रखो और हर हाल में दीन पर क़ायम रहो।
2. क़ुरआन और सुन्नत को मज़बूती से पकड़ो
अल्लाह की किताब और रसूलुल्लाह ﷺ की हिदायतों को अपनाना ही हिफ़ाज़त का तरीक़ा है।
हर रोज़ क़ुरआन की तिलावत करो और सही हदीसों को पढ़ो।
3. अल्लाह से दुआ करो
फ़ितनों और मुसीबतों से बचने के लिए यह दुआ पढ़ो:
“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे ज़ाहिरी और छुपे हुए तमाम फ़ितनों से पनाह माँगता हूँ।”
4. अच्छे लोगों की सोहबत (Company of Righteous People)
फ़ितनों से बचने के लिए अच्छे और दीनदार लोगों के साथ रहो।
ग़लत सोहबत और गुमराह करने वालों से दूर रहो।
5. इल्म हासिल करो और दूसरों तक पहुँचाओ
सही इस्लामी इल्म सीखो और इसे दूसरों तक पहुँचाने की कोशिश करो।
झूठी अफ़वाहों और गुमराह करने वाली चीज़ों से बचो।
नतीजा (Conclusion)
फ़ितनों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी मुसीबतों और परेशानियों का आना क़यामत की एक छोटी निशानी है, जो आज के दौर में पूरी हो चुकी है। हमें चाहिए कि हम सब्र, इस्तिक़ामत और दीन पर मज़बूती से क़ायम रहें।
अगले भाग में हम अब चाँद के दो टुकड़े होने के बारे में जानेंगे, और यह भी क़यामत की छोटी निशानियों में से एक निशानी है।
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