बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

Halala Kya Hota Hai : क्या कुरान में हलाला का जिक्र है? – जानिए पूरी हकीकत इस्लामी नजरिए से

हलाला क्या होता है?

हलाला (حلالہ) इस्लामी तलाक से जुड़ा एक विषय है, जिसका संबंध तीन तलाक के बाद दोबारा निकाह से होता है। इस्लामी शरीअत के मुताबिक, यदि किसी व्यक्ति ने अपनी पत्नी को तीन तलाक दे दी, तो वह औरत उसके लिए हमेशा के लिए हराम हो जाती है। ऐसे में, अगर वह अपने पहले पति से दोबारा शादी करना चाहती है, तो उसे पहले किसी दूसरे मर्द से वास्तविक निकाह करना होगा, शारीरिक संबंध स्थापित करने होंगे और फिर यदि किसी कारण से तलाक हो जाता है, तो इद्दत पूरी करने के बाद वह अपने पहले पति से फिर से शादी कर सकती है।

क्या कुरान में हलाला का जिक्र है?

हलाला का उल्लेख सीधे तौर पर कुरान में नहीं किया गया है, लेकिन इससे संबंधित आयतें पाई जाती हैं।

कुरान की आयत:

“और यदि उसने (पति ने) उसे (बीवी को) तलाक दे दी, तो फिर वह (बीवी) उसके लिए वैध नहीं होगी, जब तक कि वह किसी दूसरे पति से विवाह न कर ले।”

(सूरह अल-बक़रह 2:230)

इस आयत से यह साफ होता है कि तीन तलाक के बाद महिला को पहले किसी और शख्स से शादी करनी होगी, उसके साथ असली शादीशुदा जिंदगी गुजारनी होगी और अगर तलाक हो जाए तो इद्दत के बाद पहले पति से निकाह कर सकती है।

हदीस में हलाला का जिक्र

इस्लाम में हलाला का गलत तरीके से प्लान बनाकर कराना सख्त हराम और बड़ा गुनाह है। कई हदीसों में इसे मुफ्ती-बराय-नाम हलाला यानी ‘झूठा हलाला’ कहा गया है और इसे करने और कराने वालों पर लानत भेजी गई है।

1. हलाला करने और करवाने वालों पर लानत

“अल्लाह के रसूल ﷺ ने हलाला करने वाले (जो औरत से शादी सिर्फ इसलिए करता है ताकि वह पहले पति के लिए हलाल हो जाए) और हलाला करवाने वाले (पहला पति) दोनों पर लानत भेजी है।”

(सुनन अबू दाऊद 2076, तिर्मिज़ी 1119)

2. हलाला करने वाले को ‘किराए का साँड’ कहा गया

अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ि.) से रिवायत है कि “असली हलाला (जिसे शरियत ने तय किया है) तभी माना जाएगा जब दूसरी शादी वास्तविक हो, न कि केवल पहली शादी को फिर से बहाल करने के लिए।”

(इब्न माजा 1936)

3. सहीह मुस्लिम हदीस 3262

“जो शख्स हलाला करता है (यानी, किसी औरत से केवल इसलिए शादी करता है ताकि वह पहले पति के लिए जायज़ हो जाए) वह लानती है और अल्लाह के रसूल ﷺ ने इस पर सख्त नाराज़गी जाहिर की है।”

(सहीह मुस्लिम 3262)

4. हजरत उमर (रज़ि.) की सख्त राय

हजरत उमर (रज़ि.) का कथन:

“अगर मुझे हलाला करने वाला कोई आदमी मिलता तो मैं उसे पत्थर मारकर सज़ा देता।”

(मुसन्नफ अब्दुर रज़्ज़ाक 6:2650)

हजरत उमर (रज़ि.) की इस राय से पता चलता है कि वह हलाला को गंभीर गुनाह मानते थे और अगर उनके ज़माने में ऐसा कोई व्यक्ति मिलता, जो हलाला का धंधा करता या इसे प्लानिंग के तहत करता, तो वह उसे संगसार (पत्थर मारकर मौत की सज़ा) देने का आदेश देते।

5. हाकिम की रिवायत – हलाला को ज़िना कहा गया है

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“हलाला करने वाला और जिसके लिए हलाला किया गया, दोनों ज़िना (व्यभिचार) करने वाले हैं।”

(अल-मुस्तद्रक लिल-हाकिम 2:199 – इस हदीस को सहीह कहा गया है)

इस हदीस में साफ तौर पर हलाला को ज़िना (व्यभिचार) के बराबर कहा गया है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई आदमी किसी औरत से सिर्फ पहले पति के लिए हलाला करने की नियत से शादी करता है, तो यह इस्लाम में हराम और ज़िना जैसा गुनाह है।

हलाला और इस्लामी शरीअत

इस्लाम में हलाला कोई रस्म या जबरदस्ती किया जाने वाला अमल नहीं है। बल्कि, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो तब होती है जब कोई औरत अपने पहले पति से तलाक के बाद किसी और से शादी करती है और अगर तलाक हो जाए तो पहले पति से दोबारा शादी कर सकती है।

⚠ लेकिन अगर कोई इसको प्लान करके करता है यानी जानबूझकर हलाला करवाया जाता है, तो वह इस्लाम में सख्त हराम है।

आज के दौर में हलाला का गलत इस्तेमाल

आजकल कुछ लोग हलाला को एक धंधे की तरह इस्तेमाल करते हैं, जो कि इस्लाम के खिलाफ है।

कुछ मुफ्ती पैसे लेकर हलाला कराते हैं, जो कि हराम है।

कुछ लोग इसे जबरदस्ती कराते हैं, जो इस्लाम में गुनाह है।

हलाला को मर्द की मर्जी से नहीं बल्कि शरीअत के मुताबिक होना चाहिए।

⚠ हलाला के नाम पर जो गलत धंधा चलाया जाता है, वह इस्लाम का हिस्सा नहीं बल्कि एक सामाजिक बुराई है।

सही इस्लामी हलाला क्या है?

1. अगर कोई औरत अपनी मर्जी से किसी दूसरे मर्द से शादी कर ले और शौहर-बीवी के रिश्ते निभाए।

2. अगर तलाक हो जाए (बिना किसी प्लानिंग के) तो इद्दत पूरी करने के बाद वह पहले शौहर से दोबारा शादी कर सकती है।

3. लेकिन अगर यह सब प्लानिंग के तहत किया गया तो यह इस्लाम में सख्त हराम है।

निष्कर्ष – हलाला इस्लाम में कब जायज़ और कब नाजायज़ है?

✅ जायज़ हलाला: जब कोई औरत अपने पहले पति से तलाक के बाद किसी और से बिना किसी योजना के शादी करती है और फिर तलाक के बाद पहले पति से शादी करती है।

❌ नाजायज़ हलाला: जब हलाला को प्लान करके, किसी से सिर्फ पहली शादी को दोबारा बहाल करने के लिए करवाया जाता है।

हलाला इस्लाम का एक नैचुरल सिस्टम है, न कि कोई जबरदस्ती की जाने वाली रस्म। इस्लाम में हलाला का दुरुपयोग हराम और गुनाह है।

महत्वपूर्ण बातें:

✅ हलाला कुरान और हदीस के अनुसार सही है, लेकिन इसे जबरदस्ती कराना हराम है।

✅ हलाला केवल एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में जायज़ है, न कि योजनाबद्ध तरीके से।

✅ इस्लाम में तलाक को हल्के में नहीं लिया जाता, इसलिए सोच-समझकर फैसला करें।

✅ जो हलाला करता है और करवाता है, दोनों पर अल्लाह की लानत है।

क्या आप हलाला के बारे में और अधिक जानकारी चाहते हैं? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!

Learn More:

Musalman Roza Kyu Rakhte Hain – रमज़ान की सच्चाई, इस्लामी और वैज्ञानिक नजरिए से

Namaz Kyun Zaroori Hai – मुसलमानों को 5 बार नमाज क्यों पढ़नी चाहिए?

1 thought on “Halala Kya Hota Hai : क्या कुरान में हलाला का जिक्र है? – जानिए पूरी हकीकत इस्लामी नजरिए से”

Leave a Comment