शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Qasas ul Anbiya Part 3 – Hazrat Adam Alaihis Salam : आदम अलैहिस्सलाम का वाकया
अल्लाह तआला ने इंसान को एक मकसद के साथ इस दुनिया में भेजा। जब इब्लीस ने आदम अलैहिस्सलाम को सजदा करने से इनकार किया, तब अल्लाह ने उसे लानत दी और जन्नत से निकाल दिया। इसी दौरान आदम अलैहिस्सलाम और बीबी हव्वा को एक इम्तिहान के लिए धरती पर भेजा गया। इस आर्टिकल में हम आदम अलैहिस्सलाम की पूरी कहानी को कुरआन और हदीस की रौशनी में जानेंगे।
आदम (अलैहिस्सलाम) और उनकी संतान
क़ुरआन में हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) और उनकी संतान का विस्तार से वर्णन नहीं किया गया है। लेकिन तफ़सीर और इस्लामी इतिहास के अनुसार, आदम (अलैहिस्सलाम) और हव्वा (अलैहिस्सलाम) की संतानें जुड़वाँ हुआ करती थीं, यानी हर बार एक बेटा और एक बेटी पैदा होते थे।
“ऐ लोगो! अपने रब से डरो, जिसने तुम सबको एक जान (आदम) से पैदा किया, और उसी से उसका जोड़ा (हव्वा) बनाया और उनसे बहुत से मर्द और औरतें फैला दीं।”
(सूरह अन-निसा 4:1)
यह आयत बताती है कि आदम और हव्वा (अलैहिस्सलाम) से पूरी इंसानी नस्ल फैली
आदम (अलैहिस्सलाम) के बेटे और बेटियाँ आपस में शादी करते थे, लेकिन हर जुड़वाँ का निकाह दूसरे जुड़वाँ से होता था।
(इब्ने कसीर की तफ़सीर)
आदम अलैहिस्सलाम और हवा के कितने बेटे थे
इसका कोई ज़िक्र क़ुरआन और सहीह हदीस में नहीं मिलता। लेकिन (तफ़सीर इब्ने कसीर) और कुछ इस्लामी इतिहासकारों ने लिखा है कि हज़रत हव्वा (अलैहिस्सलाम) हर बार जुड़वाँ बच्चों को जन्म देती थीं (एक लड़का और एक लड़की)।
हव्वा (अलैहिस्सलाम) ने हर बार एक बेटा और एक बेटी को जन्म दिया।
इब्ने जरीर ताबरी (तारीख़ अत्तबरी, खंड 1, पृष्ठ 118-120)
आदम (अलैहिस्सलाम) की संतानें आपस में विवाह करती थीं, लेकिन हर जुड़वाँ भाई-बहन का निकाह एक-दूसरे से नहीं होता था।
हज़रत हव्वा (अलैहिस्सलाम) ने 20 बार जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया, यानी 40 बच्चे हुए। जिनमें सीस (अलैहिस्सलाम) और हाबिल और काबिल भी शामिल थे।
(तफ़सीर इब्ने कसीर)
सबसे पहला नबी कौन था
इस्लाम में सबसे पहले नबी आदम अलैहिस्सलाम थे। उन्हें अल्लाह ने खुद इल्म दिया:
“और उसने आदम को सब चीज़ों के नाम सिखाए।”
(सूरह अल-बक़रह 2:31)
आदम अलैहिस्सलाम को लकड़ी, लोहे और खेती के इस्तेमाल की जानकारी दी गई थी।
हाबिल और काबिल
“काबिल ज़मीन पर खेती करता था और हाबिल जानवर पालता था।”
काबिल के दिल में नफ़रत और घमंड था, जबकि हाबिल नर्म दिल और परहेज़गार था।
हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) ने अल्लाह के हुक्म से यह क़ायदा बनाया कि एक जुड़वाँ जोड़े का लड़का दूसरे जुड़वाँ जोड़े की लड़की से शादी करेगा।
आदम (अलैहिस्सलाम) की संतानों को आपस में शादी करने का हुक्म दिया गया, ताकि इंसानों की नस्ल आगे बढ़ सके।
यह हुक्म सिर्फ़ आदम (अलैहिस्सलाम) के ज़माने तक ही था, बाद में यह हराम कर दिया गया।
(तफ़सीर इब्ने कसीर, सूरह अल-माइदा 5:27-31)
1. हाबिल और काबिल की कहानी और दुनिया की पहली कुर्बानी
काबिल को उसकी जुड़वाँ बहन से शादी करनी थी, लेकिन उसने इनकार कर दिया क्योंकि वह अधिक सुंदर थी।
हाबिल को काबिल की बहन से शादी करने का हुक्म दिया गया था, जिस पर काबिल ने ऐतराज़ किया कहा में मेरी बहन से ही शादी करू लेकिन ये हराम था।
फिर आदम अलैहिस्सलाम ने कहा की तुम दोनो एक हदिया पेस करो यानी की एक जानवर को जिब्बा करके अल्लाह के नाम पे तक्षिम कर दिया जाए
उस टाइम में यह था की कुरबानी काबुल है या नहीं उसका पता लग जाता था क्युकी आसमान से एक आग आती और उस कुरबानी को जला देती यानी कुरबानी काबुल हो चुकी है और अगर आग कुरबानी को ना जलती तो समझ लिया जाता की कुरबानी काबुल ना होई है।
अब वो दिन आ चुका जब कुरबानी करनी थी तो दोनो जानवर लेकर आ गए और कुरबानी करी गई फिर
जब दोनों ने अल्लाह की राह में क़ुर्बानी दी, तो हाबिल ने अपनी सबसे अच्छी बकरी दी
जब दूसरे दिन देखने आए तो हबील की कुरबानी काबुल हो गई थी और काबिल की नही होई थी।
(तफ़सीर इब्ने कसीर, सूरह अल-माइदा 5:27-31)
हाबिल और काबिल का क़िस्सा क़ुरआन में मिलता है:
“और आप उनको आदम के दोनों बेटों का सही-सही हाल सुनाइए, जब दोनों ने अल्लाह के लिए क़ुर्बानी दी। तो उसमें से एक की क़ुर्बानी कबूल कर ली गई और दूसरे की कबूल नहीं की गई। वह बोला: ‘मैं तुझे मार डालूंगा।’ उसने जवाब दिया: ‘अल्लाह सिर्फ़ उन्हीं की क़ुर्बानी स्वीकार करता है जो तक़वा वाले होते हैं।'”
(सूरह अल-मा’इदा 5:27-31)
2. दुनिया का पहला कत्ल और पहला गुना
फिर काबिल को गुस्सा आ गया और सेतान ने फिर उसमे वसवसे डाले के अपने भाई को कतल कर दे तो उसने अपने भाई को कतल करने का इरादा कर लिया फिर हबील को के दिया की में तुझे कतल कर दूंगा तो हबील ने कहा तू उसका गुना भी अपने भर ले में तुझे हाथ भी नहीं लगाऊंगा।
फिर जब रात होई तो हबील सो रहा था तब काबिल आया और बड़ा फतर लेकर उसके सिर में मारा जिसे वो मर गया।
(तफ़सीर इब्ने कसीर, सूरह अल-माइदा 5:27-31)
आपको बता दे की ये दुनिया का पहला कतल था जो काबिल ने करा था वो भी अपने ही भाई का सिर्फ एक लड़की के कारण जब की वो इरादा इसका गलत था और यह दुनिया का पहला जुल्म भी था।
फिर उसने सोचा की अब इसकी लास का क्या करू क्युकी उस टाइम तक कोई मारा भी नही था वो दुनिया की पहली मौत थी।
काबिल ने अपनी ही भाई हाबिल को मार दिया, जो इंसान का पहला कत्ल था।
फिर (आख़िरकार) उसके नफ्स ने अपने भाई के क़त्ल पर उसे उकसा दिया, तो उसने उसे क़त्ल कर दिया और नुक़सान उठाने वालों में शामिल हो गया।
(सूरह अल-माइदा 5:30)
इसके बाद काबिल को पछतावा हुआ, और अल्लाह ने उसे एक कौवे के ज़रिये सिखाया कि लाश को कैसे दफनाया जाता है।
“फिर अल्लाह ने एक कौवे को भेजा, जो ज़मीन खोद रहा था, ताकि उसे दिखाए कि वह अपने भाई की लाश को कैसे छुपाए। (यह देखकर) वह कहने लगा, ‘हाय, अफ़सोस! क्या मैं इस कौवे की तरह भी न हो सका कि अपने भाई की लाश को छुपाता?’ तो फिर वह पछताने वालों में से हो गया।”
(सूरह अल-माइदा 5:31)
हज़रत मुहम्मद (ﷺ) ने फ़रमाया:
“क़ियामत तक जो भी कत्ल होगा, उसका एक हिस्सा काबिल को मिलेगा, क्योंकि वही पहला इंसान था जिसने क़त्ल किया था।”
(सहीह बुख़ारी: 3335, सहीह मुस्लिम: 1677)
3. काबिल का दूर चले जाना और बुराई की शुरुआत
तफ़सीरों के मुताबिक, काबिल अपने परिवार को लेकर कहीं और चला गया और वहीं से उसकी नस्ल आगे बढ़ी। उसकी संतानें गुनाहों में पड़ गईं
आदम (अलैहिस्सलाम) की संतान दो समूहों में बंट गई—एक नेकी वालों का और एक गुनाहगारों का।
(इब्ने अब्बास रज़ि.)
काबिल की नस्ल ने सबसे पहले बुरे काम करना शुरू किया।
(तफ़सीर इब्ने कसीर)
सीस अलैहिस्सलाम कब आए
लेकिन जब आदम अलैहिस्सलाम को ये बात अल्लाह ने बताई तो वो रूठ गए और इसलिए अल्लाह ने उन्हें सीस अलैहिस्सलाम आता फरमाया जो आदम अलैहिस्सलाम का बेटा था
फिर आदम अलैहिस्सलाम ने सीस अलैहिस्सलाम को दिन सिखाया फिर उन्होंने दिन की तालीम लोगो को देना शुरू कर दी।
(मुसनद अहमद, तफ़सीर इब्ने कसीर, तफ़सीर तबरी)
आदम अलैहिस्सलाम का जन्नत के फल की ख्वाहिश करना
हज़रत इब्ने अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है:
“जब आदम (अलैहिस्सलाम) की मौत क़रीब आई, तो उन्होंने अपनी औलाद से कहा कि मेरा जन्नत का फल खाने का दिल चाहता है। उनके बेटे फल की तलाश में निकले, तो रास्ते में फरिश्ते उनसे मिले।”
(तफ़सीर इब्ने कसीर, अल-बिदाया वान-निहाया, इमाम तबरी की तफ़सीर)
यह बात इस्लामी इतिहास की किताबों में आती है, लेकिन इसकी कोई सही हदीस (सहीह हदीस) मौजूद नहीं है।
आदम अलैहिस्सलाम की वफ़ात और पहली जनाज़े की नमाज़
“अबू सईद खुदरी (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: जब आदम (अलैहिस्सलाम) की वफ़ात हुई, तो फरिश्तों ने उन्हें ग़ुस्ल दिया, उन्हें कफन पहनाया, और उनके लिए पहली बार जनाज़े की नमाज़ पढ़ी। फिर उन्होंने आदम (अलैहिस्सलाम) की औलाद से कहा: ‘यह तुम्हारे लिए तरीका है (यानी किसी के इंतिकाल पर इसी तरह करना)।'”
(मुसनद अबू याआ, तफ़सीर इब्ने कसीर, अल-बिदाया वान-निहाया, तफ़सीर तबरी)
यह बात हदीसों और इस्लामी इतिहास में आती है कि आदम (अलैहिस्सलाम) की वफ़ात के वक्त फरिश्तों ने उनकी जनाज़े की नमाज़ पढ़ी और यह तरीका इंसानों को सिखाया गया।
आदम अलैहिस्सलाम की उम्र और हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम को 40 साल देना
“अबू हुरैराह (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: जब अल्लाह तआला ने आदम (अलैहिस्सलाम) को पैदा किया, तो उनकी उम्र 1000 साल मुक़र्रर की। फिर जब उन्होंने अपनी औलाद में दाऊद (अलैहिस्सलाम) को देखा, तो पूछा: ऐ मेरे रब! यह कौन है? अल्लाह तआला ने फ़रमाया: यह तुम्हारी औलाद में से दाऊद (अलैहिस्सलाम) हैं। आदम (अलैहिस्सलाम) ने कहा: ऐ मेरे रब! उनकी उम्र कितनी है? अल्लाह ने कहा: 60 साल। तो आदम (अलैहिस्सलाम) ने कहा: ऐ अल्लाह! मेरी उम्र में से 40 साल इन्हें दे दो।”
(जामे तिरमिज़ी, हदीस 3076; मुसनद अहमद, इब्ने कसीर – अल-बिदाया वान-निहाया, तफ़सीर तबरी)
यह बात सहीह हदीसों में मौजूद है कि आदम (अलैहिस्सलाम) ने अपनी उम्र में से 40 साल हज़रत दाऊद (अलैहिस्सलाम) को दे दिए थे।
नतीजा
हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) इंसानों के पहले नबी और पहले इंसान थे। उनकी संतान से ही पूरी इंसानी नस्ल फैली। हाबिल और काबिल की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि तक़वा और नेकी से ही अल्लाह की राह में कुर्बानी क़ुबूल होती है।
यह Qasas ul Anbiya Part 3 था। अगले पार्ट में शीश (अलैहिस्सलाम) और इदरीस (अलैहिस्सलाम) के वाकये के बारे में जानेंगे।
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Qasas ul Anbiya Part 2 – Duniya Ka Pahla Insan Kaun Tha : दुनिया का पहला इंसान कौन था।
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