बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

Qasas ul Anbiya Part – 5: Hazrat Nooh Alaihis Salam Ka Waqia

इस्लामिक इतिहास में हज़रत नूह (A.S) को “आदम-ए-सानी” (दूसरे आदम) कहा जाता है, क्योंकि उनके दौर में अल्लाह ने पूरी क़ौम को हलाक कर दिया और सिर्फ़ ईमान वालों को बचाया। यह क़ौम पहली ऐसी थी जिसने खुलकर शिर्क किया और मूर्ति पूजा की शुरुआत की। इस वाक़िये में हम तफ्सील से जानेंगे कि हज़रत नूह (A.S) कौन थे, उनकी क़ौम पर अल्लाह का अज़ाब कैसे आया और यह पूरी घटना क़ुरआन और हदीस में कैसे बयान की गई है।

हज़रत नूह (A.S) कौन थे?

हज़रत नूह (A.S) हज़रत आदम (A.S) के 9वीं पीढ़ी के वंशज थे। इमाम इब्न कसीर (रह.) के मुताबिक़, हज़रत नूह (A.S) हज़रत इदरीस (A.S) के बाद नबी बनाए गए और उन्हें 950 साल तक अपनी क़ौम को तौहीद (एक अल्लाह की इबादत) की दावत देने का हुक्म मिला।

क़ुरआन में अल्लाह फ़रमाते हैं:

“बेशक, हमने नूह (A.S) को उनकी क़ौम की तरफ़ भेजा कि अपनी क़ौम को अल्लाह के अज़ाब से डराओ।”

(सूरह नूह 71:1)

दुनिया में पहला शिर्क कैसे शुरू हुआ?

हज़रत इदरीस (A.S) के दौर तक लोग सिर्फ़ गुनाहों में डूबे थे, मगर वे शिर्क नहीं करते थे। लेकिन उनके बाद पहली बार शिर्क की शुरुआत हुई।

इमाम इब्न अब्बास (र.अ) बयान करते हैं:

“पहले लोग नेक लोगों से मोहब्बत करते थे। जब कोई नेक इंसान मर जाता तो लोग उसकी याद में उसकी मूर्ति बना लेते थे। जैसे-जैसे वक़्त गुज़रा, शैतान ने उनके दिलों में यह वसवसा (विचार) डाल दिया कि ये मूर्तियाँ सिर्फ़ याद के लिए नहीं बल्कि इबादत के क़ाबिल हैं। इसी तरह पहली बार शिर्क शुरू हुआ।”

क़ुरआन में इसका ज़िक्र है:

“और उन्होंने कहा: अपने माबूदों को मत छोड़ो, न वद्द को, न सुवाअ को, न यगूस को, न यऊक को और न नसर को।”

(सूरह नूह 71:23)

इब्न कसीर तफ़सीर में लिखते हैं:

“वद्द, सुवाअ, यगूस, यऊक और नसर ये पाँच नेक लोग थे, जिनकी वफ़ात के बाद शैतान ने उनकी मूर्तियाँ बनवाकर लोगों से कह दिया कि इन्हें पूजो, ताकि अल्लाह तुमसे राज़ी हो जाए। यही दुनिया में पहला शिर्क था।”

हज़रत नूह (A.S) की दावत और क़ौम का झुठलाना

जब शिर्क आम हो गया, तब अल्लाह ने हज़रत नूह (A.S) को नबी बनाकर भेजा। उन्होंने अपनी क़ौम को तौहीद की तरफ़ बुलाया और कहा कि सिर्फ़ अल्लाह की इबादत करो।

क़ुरआन में अल्लाह फ़रमाते हैं:

“और हमने नूह (A.S) को उसकी क़ौम की तरफ़ भेजा, उसने कहा: ऐ मेरी क़ौम! अल्लाह की इबादत करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई माबूद नहीं है, मैं तुम्हारे लिए एक बड़े अज़ाब से डरता हूँ।”

(सूरह अल-आराफ 7:59)

मगर उनकी क़ौम के सरदारों ने उनकी बात मानने से इंकार कर दिया और उन पर इल्ज़ाम लगाने लगे।

“उनकी क़ौम के सरदारों ने कहा: यह तो सिर्फ़ इंसानों जैसा एक आदमी है, जो तुम पर बड़ाई चाहता है।”

(सूरह अल-मुमिनून 23:24)

नूह अलैहिस्सलाम को बहकाना

फिर वही कॉम ने नूह अलैहिस्सलाम से कहा ठीक है। ठीक है अगर तुम चाहते हो की हम तेरे साथ हो जाए तो यह जो लोग तेरे साथ है। यह फकीर लोग के और हम इनके साथ नही रह सकते तो तू उनको भागा दे तो हम तेरी बात मान कर तेरे साथ हो जायेंगे।

तब नूह अलैहिस्सलाम ने कहा यह अगर में करूंगा तो यह जाहिलत वाली बात हो जायेगी जबकि यह सब मोमिन लोग है और तुम मुझसे ऐसी जहीलत करवाना चाहता हो।

हालाकि आपको बता दे की जो लोग ईमान लाए थे। वो फकीर लोग और कमजोर लोग थे। इसलिए इन जाहिलो की यह चाल थी। की अगर यह पलट जाए तो फिर तुम भी झूठे हो।

फिर नूह अलैहिस्सलाम की कॉम ने कहा जाओ तुमने जिस अजाब का वादा किया है वो लेकर आओ हम तुमसे नहीं डरते है।

(सूरह अल-शुअरा (26:111-115)

नूह अलैहिस्सलाम का चैलेंज

तब नूह अलैहिस्सलाम ने कहा बेशक वो आके रहेगा और तुम्हे अगर मुझे नुकसान पहुंचाना चाहते हो तो पोछा दो ले आओ तुम्हारे मददगार माबुदो को भी अगर तुम सच्चे हो तो बेशक मुझे तुमसे कोई खौफ नहीं क्युकी में हक पर हूं और मेरे साथ अल्लाह है।

हालाकि नूह अलैहिस्सलाम ने अपनी कॉम को यह चैलेंज दे दिया था। लेकिन यह कुछ ना कर सके और बोलने लगे छोड़ दो इसे यह बेवकूफ है।

(सूरह हूद (11:32-33)

(सूरह यूनुस (10:71)

950 साल तक दावत और फिर अज़ाब की दुआ

हज़रत नूह (A.S) ने 950 साल तक अपनी क़ौम को समझाया, मगर बहुत कम लोग ईमान लाए।

“और बेशक हमने नूह (A.S) को उनकी क़ौम की तरफ़ भेजा, तो वह उनके बीच पचास कम एक हज़ार साल रहे।”

(सूरह अल-अंकबूत 29:14)

फिर अल्लाह ने भी हुकुम दे दिया की अब कोई ईमान ना लायेगा और आप अब उन सब के लिए घुमसुदा ना हो अब अल्लाह के अजाब का वादा पूरा होकर रहेगा।

फिर नूह अलैहिस्सलाम ने घूम को छोड़ा और फरमाया की या अल्लाह अब तू इन लोगो पर अजाब ले आ क्युकी यह तो गुमराह है ही और अगर उनकी औलाद होगी वो भी गुमराह होगी इसलिए अब तू उनको हलाक़ कर दे।

जब क़ौम ने मानने से इंकार कर दिया, तो हज़रत नूह (A.S) ने अल्लाह से अज़ाब की दुआ कर दी।

“ऐ मेरे रब! इन लोगों ने मेरी बात नहीं मानी, अब तू इनको हलाक कर दे।”

(सूरह नूह 71:26-27)

अल्लाह का हुक्म और कश्ती बनाना

फिर अल्लाह ने नूह अलैहिस्सलाम से फरमाया की तुम एक कसती तयार करो तुम्हारे नेक लोग और जानवरो के लिए हालाकि आपको बता दे की नूह अलैहिस्सलाम को इतनी बड़ी कसती बनाने का हुनर ना था।

“और हमारी निगरानी में और हमारे हुक्म से कश्ती बनाओ।”

(सूरह हूद 11:37)

जिब्राइल अलेह सलाम का नाजिल होना

फिर अल्लाह ने जिब्राइल अलेह सलाम को नाजिल फरमाया और कसती कैसे बनाई जाती है उनको बता थे रहे फिर जब आप कसती बनाते तो गुमराह लोग आपको देख कर आपका मजाक बनाते और कहते यह पहले तो नबी था। अब कसती बना रहा है वो भी पहाड़ पर ऐसे वो लोग मजाक बनाया करते थे।

“और जब भी उनकी क़ौम के सरदार उनके पास से गुज़रते, तो उन पर हंसते।”

(सूरह हूद 11:38)

तूफान और पूरी क़ौम की हलाकत

फिर जब वो बन गई तब जो ईमान वाले थे उनको और जानवरो के जोड़ों को उन कसती में डाला और नूह अलैहिस्सलाम भी उसमे आ गए हालाकि आपको बता दे की यह भी एक अल्लाह की कुदरत थी। की जानवर कसती में जाने लगे।

जब कश्ती तैयार हो गई, तब अल्लाह ने ज़मीन और आसमान से पानी बरसाना शुरू कर दिया।

“फिर हमने आसमान के दरवाज़े खोल दिए, मूसलधार बारिश के साथ। और हमने ज़मीन को चश्मों में बदल दिया।”

(सूरह अल-क़मर 54:11-12)

हज़रत नूह (A.S) का बेटा भी काफ़िरों में शामिल था।

“नूह (A.S) ने अपने बेटे को पुकारा: ऐ मेरे बेटे! हमारे साथ सवार हो जाओ। उसने कहा: मैं किसी पहाड़ पर चढ़ जाऊँगा, जो मुझे पानी से बचा लेगा। नूह (A.S) ने कहा: आज कोई बचाने वाला नहीं है, सिवाय अल्लाह के।”

(सूरह हूद 11:42-43)

अल्लाह से मगफिरत की उम्मीद काफिर के लिए करना

फिर जब पानी ने उसके बेटे को हलाक कर दिया तब नूह अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से फरमाया या अल्लाह तूने कहा था। के तेरे खानदान में सबको महफुश रखूंगा तब अल्लाह ने फरमाया वह काफिर हो गया था।

और तुम उसके लिए गरज ना करी वो तुम्हारे खानदान का नही क्युकी वह काफिर हो गया था। आपको बता दे की मोमिन और काफिर का रिश्ता नही हो सकता और वह घेर का ही क्यों ना हो।

फिर नूह अलैहिस्सलाम की यह बात समझ आई और उन्होंने अल्लाह से इस बात की माफी मांग ली थी।

अल्लाह ने पूरी क़ौम को हलाक कर दिया और कश्ती को जूदी पहाड़ पर ठहरा दिया।

सूरह हूद (11:45-46-47)

“और कहा गया: ऐ ज़मीन! अपना पानी निगल ले और ऐ आसमान! रुक जा। और पानी घटा और कश्ती जूदी पहाड़ पर ठहर गई।”

(सूरह हूद 11:44)

फिर जब पानी बड़ने लगा तो सब चीज तबाह कर दी बस उस कसती को छोड़ कर फिर कुछ महीने तक यह रहा और फिर पानी सुख गया और कसती नीचे आ गई।

नूह (A.S) की वफ़ात और इस वाक़िए से सबक़

फिर कुछ समय बाद आप इस दुनिया से इंतकाल कर गए हालाकि दुनिया अभी तोहिद पर आ चुकी थी।

इसके बाद नूह (A.S) 350 साल और ज़िंदा रहे और फिर उनका इंतिक़ाल हो गया।

✅ इस वाक़िए से सबक:

1. अल्लाह के रास्ते में सब्र करो, क्योंकि नूह (A.S) ने 950 साल तक दावत दी।

2. शिर्क से बचो, क्योंकि यह पहला गुनाह था जिसने क़ौम को हलाक कर दिया।

3. अल्लाह का अज़ाब आने से पहले तौबा कर लो।

“बेशक इसमें अक्ल वालों के लिए बड़ी निशानी है।”

(सूरह हूद 11:49)

नतीजा (Final Conclusion):

✅ तौहीद पर क़ायम रहो – अल्लाह के अलावा किसी को मत पूजो।

✅ सब्र रखो – जब भी दीन की राह में मुश्किलें आएं, सब्र करो।

✅ काफ़िर से मोहब्बत मत रखो – ईमान सबसे बड़ी दौलत है।

✅ अज़ाब से डरो – गुनाहों और शिर्क से बचो।

✅ अल्लाह की मदद ईमान वालों के लिए है – नेक अमल करो, ताकि अल्लाह की रहमत मिले।

✅ पैग़म्बरों की तालीमात पर चलो – क़ुरआन और हदीस को अपनी ज़िंदगी में लागू करो।

अल्लाह हमें सही रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ दे। आमीन!

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