शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Qasas-ul-Anbiya Part 4 – Hazrat Shees Alaihis Salam And Idrees Alaihis Salam
इस्लामिक इतिहास में अंबिया (नबियों) के किस्से एक अहम हिस्सा हैं। ये किस्से हमें न केवल ईमान को मजबूत करने का सबक देते हैं बल्कि अल्लाह तआला की रहमत और इंसानों के लिए उसके हिदायत देने के तरीके को भी समझाते हैं। आज के इस लेख में हम हज़रत शीश अलैहिस्सलाम और हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हज़रत शीश (A.S) की जिंदगी और तबलीग का सिलसिला
1. हज़रत शीश (A.S) को नुबूवत मिलना
हज़रत आदम (A.S) के जाने के बाद हवा अलैहिस्सलाम भी 1 साल बाद जा चुकी थी अल्लाह तआला ने हज़रत शीश (A.S) को नबी बनाया। वे हज़रत आदम (A.S) के सबसे नेक और सालेह बेटे थे। हदीसों में आता है कि हज़रत आदम (A.S) ने अपनी वफात से पहले हज़रत शीश (A.S) को अल्लाह की किताब और इल्म दिया ताकि वे लोगों को दीन की तरफ बुलाएं।
(Tafsir Ibn Kathir)
2. दो क़ौमें और इब्लीस का बहकाना
उस वक्त इंसानों के दो समूह बन चुके थे:
1. हज़रत शीश (A.S) की क़ौम – जो अल्लाह की इबादत और नेक अमल करने वाले थे।
2. हज़रत क़ाबील की क़ौम – जो गुनाह और फितने में डूबी हुई थी।
क़ाबील की क़ौम पहाड़ों में बसती थी और उनकी रंगत सियाह थी, जबकि हज़रत शीश (A.S) की क़ौम मैदानों में बसती थी और उनकी रंगत नूरानी थी।
इब्लीस ने इंसानों को बहकाने के लिए एक नई चाल चली। उसने खुद को एक नौकर के रूप में पेश किया और हज़रत शीश (A.S) की क़ौम में रहने लगा। फिर उसने संगीत (Music) और नाच-गाने को लोगों के दिलों में उतारना शुरू किया। उसने एक बांसुरी जैसी चीज बनाई, जिससे पहली बार इंसानों ने संगीत सुना और इसके जादू में फंस गए।
धीरे-धीरे पहाड़ों में रहने वाले लोग मैदानों में आने लगे और गुनाहों की शुरुआत हो गई। पहले इंसान नाच-गानों में लगे, फिर अश्लीलता और जिना (व्यभिचार) में फंस गए।
इब्न अब्बास (R.A) से रिवायत है:
“हज़रत शीश (A.S) की क़ौम के लोग नेक थे और उन्होंने गुनाहों से दूरी बनाए रखी थी। लेकिन जब इब्लीस ने संगीत और नाच-गाने का तरीका अपनाया, तो धीरे-धीरे लोग फिसलने लगे और दोनों क़ौमें मिल गईं।”
(Narrated by Ibn Abi Hatim, Tafsir Ibn Kathir, Surah Al-Isra, 17:64)
“हर नबी के दौर में शैतान ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की, और सबसे बड़ा फितना संगीत और अश्लीलता था।”
(सहीह बुखारी, हदीस 5590)
3. हज़रत शीश (A.S) की कोशिशें और फितनों का बढ़ना
हज़रत शीश (A.S) ने अपनी क़ौम को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन इब्लीस की चालें इतनी मजबूत थीं कि धीरे-धीरे उनके मानने वाले कम होते चले गए। क़ाबील की क़ौम गुनाहों में और गहराई तक डूबती गई, और हज़रत शीश (A.S) की क़ौम भी उनके असर में आने लगी।
इसी फितने के दौर में अल्लाह तआला ने हज़रत इदरीस (A.S) को बतौर रसूल भेजा।
हज़रत इब्ने मसऊद (R.A) से रिवायत है:
“हज़रत इदरीस (A.S) को अल्लाह ने बतौर रसूल भेजा ताकि वह लोगों को तौहीद की तरफ बुलाएं और शैतान की चालों से बचाएं।”
(इब्ने हिब्बान, सहीह)
हज़रत इदरीस (A.S) – पहले रसूल और पहला जिहाद
1. नुबूवत और इल्म की बरकत
हज़रत इदरीस (A.S) पहले नबी थे जिन्हें रसूल का दर्जा मिला। हदीस में आता है कि वे बहुत इल्म वाले थे और उन्हें लिखने-पढ़ने का इल्म, कपड़े सीने का इल्म और खगोल शास्त्र (Astronomy) का ज्ञान दिया गया था।
अल्लाह तआला ने कुरआन में फरमाया:
“और किताब (क़ुरआन) में इदरीस का जिक्र करो। बेशक, वह बहुत सच्चे और नबी थे। और हमने उन्हें ऊँचे मक़ाम पर उठा लिया।”
(सूरह मरयम 19:56-57)
इब्ने अब्बास (R.A) फरमाते हैं:
“हज़रत इदरीस (A.S) पहले नबी थे जिन्हें लिखने और पढ़ने का इल्म सिखाया गया।”
(तफ़सीर इब्न कसीर, सूरह मरयम)
कुरआन में अल्लाह फरमाते हैं:
“जिसने इंसान को क़लम से लिखना सिखाया।”
(सूरह अल-अलक 96:4)
इस आयत को इब्न कसीर ने हज़रत इदरीस (A.S) के इल्म से जोड़ा है।
2. ईमान वालों पर ज़ुल्म और पहला जिहाद
जब हज़रत इदरीस (A.S) ने देखा कि गुनाह हद से बढ़ गए हैं और ईमान वालों पर जुल्म किया जा रहा है, तो उन्होंने अपनी क़ौम को जिहाद (अल्लाह की राह में संघर्ष) का हुक्म दिया।
यह दुनिया का सबसे पहला जिहाद था जिसमें हज़रत इदरीस (A.S) के मानने वालों ने क़ाबील की क़ौम के खिलाफ जंग लड़ी।
“हज़रत इदरीस (A.S) पहले रसूल थे जिन्होंने लोगों को जिहाद करने का हुक्म दिया, क्योंकि फितने बहुत बढ़ चुके थे।”
(इब्ने हिब्बान, सहीह)
3. क़ाबील की क़ौम पर हमला और जीत
“जब जिहाद की तैयारी पूरी हो गई, तब हज़रत इदरीस (A.S) ने अपनी सेना के साथ क़ाबील की क़ौम पर हमला कर दिया। बहुत बड़ी लड़ाई हुई, जिसमें कई लोग मारे गए और आखिरकार हज़रत इदरीस (A.S) ने क़ाबील की क़ौम को घुटनों पर झुकने पर मजबूर कर दिया।”
“यह इस दुनिया का पहला जिहाद था, जिसमें अल्लाह के नबी ने अपनी उम्मत की हिफाज़त के लिए क़ौम के गुमराह लोगों के खिलाफ तलवार उठाई।”
(इमाम इब्न कसीर)
4. बुराई फिर से फैलना
हालांकि, हज़रत इदरीस (A.S) के जाने के बाद फिर से गुनाह और फितने बढ़ने लगे। लेकिन आदम (A.S) से लेकर इदरीस (A.S) तक लोग अल्लाह को मानते थे, बस वे गुनाहों में फंस गए थे।
“जब हज़रत इदरीस (A.S) को अल्लाह तआला ने आसमान पर उठा लिया, तो उनकी क़ौम के नेक लोग धीरे-धीरे कम हो गए। इसके बाद शैतान ने फिर से इंसानों को गुमराही में डाल दिया।”
(इमाम इब्न कसीर)
“हज़रत आदम (A.S) से लेकर हज़रत इदरीस (A.S) तक लोग तौहीद (अल्लाह की इबादत) पर कायम थे, लेकिन शैतान की चालों में आकर वे गुनाहों में फंस गए।”
(इमाम तबरी)
सबक और नसीहत
1. इब्लीस हमेशा इंसानों को बहकाने की कोशिश करता है
कभी संगीत, कभी फितना, कभी दुनिया की मोहब्बत के जरिए।
2. गुनाह धीरे-धीरे बढ़ते हैं
पहले नाच-गाने से शुरू हुआ, फिर अश्लीलता और जिना तक पहुंच गया।
3. जिहाद सिर्फ तलवार से नहीं, बल्कि हक़ की आवाज़ उठाने से भी होता है
हज़रत इदरीस (A.S) ने पहले तबलीग की, फिर मजबूरी में जिहाद किया।
4. बुराई को खत्म करने के लिए कोशिश जारी रखनी चाहिए
एक बार खत्म करने के बाद भी फितना दोबारा आ सकता है।
नतीजा (Conclusion)
इस लेख में हमने देखा कि कैसे हज़रत शीश (A.S) ने अपनी क़ौम को बुराई से बचाने की कोशिश की, और कैसे हज़रत इदरीस (A.S) ने दुनिया का पहला जिहाद किया।
अगले लेख में हम जानेंगे हज़रत नूह (A.S) और उनकी क़ौम का पूरा वाकिया।
➡️ पढ़ें: Qasas ul Anbiya Part – 5: हज़रत नूह (A.S) का वाकिया
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