भारत की मुस्लिम हुकूमत का Part – 2 : Mahmud of Ghazni
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है
आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की असल में पूरी तरह से भारत में हुकूमत किसने की थी कोन था Mahmud of Ghazni किया महमूद गजनवी ने मंदिर थोड़ा था।
Mahmud of Ghazni
हिंदुस्तान में इस्लाम तो नबी सल्लालाहू अलैहि वसल्लम के टाइम ही आ गया था जब Cheraman Perumals ने चांद के 2 टुकड़े होते देखे थे।
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चेरमन परमुला के बाद मोहम्मद बिन कासिम ने हुकूमत की थी जो आप पार्ट 1 में देख सकते है
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महमूद गजनवी का जन्म
Mahmud of Ghazni का जन्म 2 November 971 में अफगानिस के गजनी शेर में हुआ ता और उनके पिता सुबुतगीन एक तुर्क गुलाम कमांडर थे।
और सुबुतगीन ने 977 में गजनी शेर में अपनी हुकूमत कर ली थी।
महमूद गजनवी कैसे थे
Mahmud of Ghazni बचपन से ही बहुत होसियार और बहादुर किस्म के थे वो हर जंग में अपने पिता सुबुतगीन के साथ रहते थे और उनकी बहादुरी के किस्से पूरे गजनी शेर में मशुर थे।
Mahmud of Ghazni दिन की तालीम में भी महारत रखते थे और एक सच्चे मुसलमान की तरफ ही उन्होंने अपनी जिंदगी गुजारी थी।
997 में जब सुबुतगीन की मौत का वक्त आता तो अपने दूसरे बेटे इस्माइल को अपना राज सोप दिया जब की Mahmud of Ghazni अपने भाई से जायदा होसियार बहादुर काबिल थे।
महमूद गजनवी बना गजनी का राजा और का पहला सुलतान
फिर जब इस्माइल ने 7 महीने की हुकूमत में उसने अच्छे काम नही करे यह सब देख कर Mahmud of Ghazni ने जंग का एलान कर दिया और इस्माइल से छीन कर अपने हाथ में ले ली थी।
और Mahmud of Ghazni ही पहला ऐसा राजा था जिसने खुद को सुलतान कहा था उसके बाद ही बाकी मुस्लिम राजा को सुलतान कहना शुरू होए था।
महमूद गजनवी की दिन से मोहोंबत
हालाकि Mahmud of Ghazni शुरू से ही ऐश और आराम में पले बड़े लेकिन वो दिन के लिए भी अपनी तालीम दिया करते और अपनी जिंदगी भी इस्लाम के नाम कर दी थी।
महमूद गजनवी से दुनिया की नफरत या मोहब्बत
और आपको बता दे की Mahmud of Ghazni की हर जंग सिर्फ अल्लाह के लिए ही होती थी इसलिए आज इस्लाम के दुस्मान इनके नाम से नफरत करते है।
हालाकि नफरत करने वालो ने कभी रियल कहानी इनकी जानी नही उनकी कहानी ऐसी है की जितनी तारीफ हो उतनी ही कम होगी इनके लिए।
फिर Mahmud of Ghazni ने धीरे धीरे अफ़गानिस्तान को फतेह करना शुरू करा तब पाकितन में एक हिंदू राजा जयपाल था।
आपको बता दे की राजा जयपाल एक शरारती किस्म का राजा था।
राजा जयपाल को जब पता लगा की अफ़गानिस्तान में एक कमजोर सल्तनत जारी होई है तो राजा जयपाल महमूद गजनवी की हदों पे हमले करने लगा।
महमूद गजनवी की पहली जंग और भारत पे पहला हमला
फिर इसे तंग आकर महमूद गजनवी ने 1001 में राजा जयपाल से जंग करने का इरादा कर लिया।
आपको बता दे की राजा जयपाल के पास लाखो की फोज मगर महमूद गजनवी के पास कुछ हजारों की ही फोज थी।
लेकिन आपको बता दे की महमूद गजनवी तो इतना अकलमंद सालार था जो हारी होई जंग को भी जीत में बदल देता था।
फिर जंग शुरू होई और महमूद गजनवी ने राजा जयपाल को इतना बुरी तरह से हराया की उसने सालेंदर कर दिया और महमूद गजनवी ने राजा जयपाल को 2.5 लाक दिन्नार के बदले छोड़ दिया था।
लेकिन राजा जयपाल के लिए ये हार इतनी भेरेमी थी की उसने अपने महल में ही आत्म हातिया कर ली थी।
यह भारत पे महमूद गजनवी का पहला हमला था फिर 1002 में महमूद गजनवी ने सिस्तान को भी फतेह कर लिया था।
महमूद गजनवी का भारत में कौफ
उस समय भारत में अलग अलग राजा थे मानते थे की कोई हुकूमत हमे नही हरा सकती लेकिन राजा जयपाल की हार के बाद सारे भारत के राजा चोकंदे हो गए और महमूद गजनवी को रोकने की प्लानिंग बनाने लगे।
हालाकि महमूद गजनवी धीरे धीरे हिंदुस्तान को फतेह करता हुआ आ रहा था।
राजा आनदपाल जो की राजा जयपाल का बेटा था वो अपने बात की हार और उसको आत्म हातिया को बरदास ना कर पाया और महमूद गजनवी को हराने की तयारी करने लगा।
आपको बता दे की राजा आनदपाल जो की एक राजपूत था वो जनता था की वो अगर अकेला उसे लड़ा तो हार जाएगा इसलिए उसने अपने आस पास के राजपूत राजा को बुलाया और एक बहुत बड़ी फोज तयार कर ली।
महमूद गजनवी की भारत पे दूसरी जंग
फिर 1008 में इन दोनो में जंग शुरू हो गई आपको बता दे की महमूद गजनवी की फोज राजा आनदपाल पर भरी पड़ने लगी और उसी तरह लड़ाई देखते देखते राजा आनदपाल घबरा गया और उल्टे पैर जाने लगा तो ये देख कर राजा आनदपाल की सेना भी बागने लगी और महमूद गजनवी ने यह जंग फतेह कर ली।
आपको बता दे फिर राजा आनदपाल भी इनके सामने घुटने टेक लिए थे।
हालाकि आपको बता दे की इस जंग में महमूद गजनवी के साथ हिंदू सैनिक भी थे जिन्होंने महमूद गजनवी का साथ दिया था और यही वो जंग थी जिसमे महमूद गजनवी के लिए भारत के दरवाजे खोल दिए।
अब भारत में महमूद गजनवी को रोकने वाला कोई नहीं था फिर महमूद गजनवी धीरे धीरे हिंदुस्तान को फतेह करता रहा।
महमूद गजनवी की धार्मिक मोहोब्बत
और हैरत की बात तो ये ती की जो भी जगह वो भारत में फतेह करता तो किसी मुसलमान को नही बल्कि वही के किसी हिंदू या बुध धर्म वाले को वहा का गवन्नर बना देता था।
आपको बता दे की महमूद गजनवी को किसी के धर्म से कोई परेशानी नहीं थी वो सबको अपनी इबादत करने देता था।
महमूद गजनवी का सोमनाथ मंदिर पे हमला
हालाकि आपको बता दे की कुछ लोग कहते है की उसने सोमनाथ मंदिर को थोड़ा है।
जबकि सोमनाथ मंदिर हिन्दू का बहुत पावित मंदिर है जो गुजरात में है।
उस समय सोमनाथ मंदिर को राज नीति का अड्डा बना दिया था और जाहिलो पंडित के कब्जे में था और वो पंडित गरीब हिंदू से पैसा लुटते थे।
हालाकि आपको बता दे की मंदिर के अप्पर एक चुंबक लगा रखा था जिससे वो मूर्ति यानी सिव लिंग हवा में जुलता रहता था जिसे लोगो को लगता था ये चमत्कार है इसलिए वो लोगो से पैसा लूटा करते थे।
फिर जब महमूद गजनवी का राज आया तो उसी मंदिर में जाकर राजा लोग प्लानिंग किया करने लगे महमूद गजनवी के खिलाफ सदीश रची जाने लगी।
तब 1025 में महमूद गजनवी ने उस मंदिर पर हमला कर दिया और उसमे सीव लिंक को तोड़ दिया जिसमे से काफी खजाना छुपा रखा था और वो चटकार वाली चुंबक का भी खुलासा कर दिया था।
मुस्लिम हिंदू को लड़ने की अंग्रेजो की आदिश
फिर 1842 में अंग्रेजो ने एक झूटा इतिहास रचा आपको बता दे की उहोंने हिंदू मुस्लिम करने के लिए और हिंदू को खुस करने के लिए एक सदीस रची।
अंग्रेजो ने हिंदू से कहा की महमूद गजनवी ने मंदिर को तोड़ कर उसके दरवाजे जो बहुत कीमती थे उन्हें गजनवी ले जाकर अपनी मजार पर लगाए थे तो हम वो दरवाजे वापस लेकर इस मंदिर में लगाएंगे।
फिर अंग्रेजो ने गजनी जाकर महमूद गजनवी की मजार से जबरस्ती दरवाजे उखड़ कर भारत ले आए लेकिन फिर जब उनकी जांच होई तो पता लगा की ये तो वो दरवाजे है ही नही जो मंदिर में लगे थे।
आपको बता दे की मंदिर के दरवाजे तो चंदन की लकड़ी के बने थे जब की अंग्रेजो के लाए गए दरवाजे देवदार की लकड़ी के थे और ना ये दरवाजे गुजरात के और भारत के डिजाइन के भी नही थे।
और अंग्रेजो की हिंदू मुस्लिम को लड़ने की ये सदिस भी नाकाम हो गई और आपको बता दे की जो गजनी से लाए गए दरवाजे आज भी आगरा के किले में महफूज पड़े है।
आपको बता दे की एक मलेरिया की बीमारी में 1030 में महमूद गजनवी की वफात होई थी उसके बाद उनके खानदान की हुकूमत 1186 तक रही थी उसके बाद इसको गोरी सल्तनत ने खतम किया था।
Conclusion
हमने जाना की Mahmud of Ghazni कोन था और उसने किया करा था भारत में उसने कैसे हुकूमत की थी अगले पोस्ट में हम जानेंगे गोरी सल्तनत क्या है इसको किसने शुरू करा था।
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