Musalman Roza Kyu Rakhte Hain – रमजान की सच्चाई
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है
Musalman Roza Kyu Rakhte Hain
आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले है। रोजे के बारे में की Musalman Roza Kyu Rakhte Hai क्यों खुदा ने उने इतनी मुस्कील दी है।
नोट – कुछ लोगो के सवाल होते है की रमजान के रोजे क्यों फर्ज है Roza Kyu Rakha Jata Hai क्यों ये तकलीफ हम उठाए अल्लाह हमसे क्या कहना चाहता है कुछ गैर मुस्लिम के भी सवाल होते है मुसलमान रोजा क्यों रखते हैं? इस्लाम में अल्लाह तुमे रोजा रखा कर भूखा क्यों रखता है क्या अल्लाह के पास रिज्क की कमी है तो आज हम जानेंगे रोजे हम पर क्यों फर्ज किए गए
Musalman Roza Kyon Rakhte Hain
कुरान – मोमिनो तुम पर रोजे फर्ज किए गए है जिस तरह तुम से पहले लोगो पर फर्ज किए गए थे ताकि तुम्हारे अंदर तकवा (अल्लाह का दर) पैदा हो
(सुरह अल बकरा 2:183)
नोट – अल्लाह फरमाता है की रोजे रखने से इंसान बुरे कामों से रुकता है क्युकी उसमे अल्लाह का दर आ जाता है और अल्लाह ने ये महीना एक मकसद के लिए भी फर्ज करा है और ये पहले की उम्मतो पर भी फर्ज था ताकि तुम अल्लाह से डराने वाले बन जाओ और सही रास्ते पर आ जाओ
फायदे – आज हम देखते ही है की जब रमजान का महीना आता है तो लोग रोजा रखते है और बुरे कामों से रुकते भी है और आमाल नेकी वाला काम भी करा करते है और अपनी नाफशानी ख्वाहिश से भी रुके रहते है और अल्लाह तो इतना मेहरबान और रहम करने वाला है की कुरान में आगे फरमाता है
कुरान – गिनती के चंद दिन रोजे रखने है तो तुम में से कोई बीमार हो या सफर में हो तो बाकी दिनों में रोजों की तादात पूरी कर ले और जिसमे रोजा रखने की ताकत है पर रखे नही तो को मिस्कीन को खाना खिला दे और जो कोई अपनी मर्जी से जायदा नेकी करे तो उनके लिए जायदा अच्छा है और अगर समझो तो रोजा रखना ही तुम्हारे हक में जायदा अच्छा है
(सुरह अल बकरा 2:184)
नोट – अल्लाह बहुत रहम वाला है जिसने हम पे चंद दिन के रोजे ही फर्ज करे है और अगर कोई बीमार हो जाता है या सफर में होता है तो उसपे भी कोई गुना नही वो बाद में रख सकता है और जो सही तंद्रुस है मगर रोजा नही रखता है तब भी अल्लाह ने फरमाया की तुम मिस्किन को खाना खिला दिया करो और नेकी करने वाले को जायदा सवाब है जो जितनी नेकी करे और अगर तुम समझो तो जो रोजे की बहुत अहमियत है अल्लाह के नजदीक क्युकी अल्लाह ने तो हमारे लिए प्यारे नबी मोहम्मदु रसुल्लुला सल्लाहू अलेई वसल्लम को बेझा और उनके जरिए हमे रोजे का सावाब बताया और बताया की Musalman Roza Kyu Rakhte Hain
हदीस – नबी सल्लाहू अलेई वसल्लम ने फरमाया अल्लाह फरमाते है की रोजे मेरे लिए है और में ही उसका बदला दूंगा
(सही भुकारी 5927)
(मुस्नद अहमद 14699)
नोट – जो लोग रोजा रखते है उनके लिए यही काफी है की अल्लाह ने उनके रोजे के सवाब की जिमेदारी ली है जो सारे जहां का रब है और अल्लाह ने तो इस ही महीने में कुरान जो की खुदा का कलाम है उसे नाजिल करा
कुरान – रमजान के महीने में कुरान नाजिल किया गया जो लोगो का रहनुमा है और उसमे लोगो की रहनुमाई और हक की निशानियां है मोमिनों तुम इस महीने में किसी भी जगह पे हो रोजा रखे खुदा तो तुमको सही रास्ते पे लाना चाहता है ताकि तुम सुकर गुजर बनो
(सुरह अल बकरा 2:185)
नोट – और ये महीना तो इतना मोहोत्रम है जिसमे कुरान जो खुदा की किताब है वो भी नाजिल की गई है और अल्लाह तो इतना मेहरबान है की हमारे लिए नबी सल्लाहू अलैहि वसल्लम के जरिए फरमाया
हदीस – जब रमजान का महीना आता है तो जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते है और सयातीन को जंजीरों में जाखड़ लिया जाता है
(सही बुखारी 1898-1899)
(जामिया त्रिमधी 682)
नोट – अल्लाह तो इतना मेहरबान है जिसने हमारे लिए इस महीने में हर साल जन्नत के दरवाजे खोलता है हमे चाहिए की हम जायदा से जायदा अमल करे और सेतान जो हमे बेहकता है उसे भी बांध देता है ताकि हम बहके नही और हमारे नबी सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने तो हदीस में ये भी फरमाया है
हदीस – जो किसी रोजेदार को इफ्तार करा दे तो उसे रोजेदार के बराबर सवाब मिलेगा और रोजेदार के सवाब में से कोई कमी नहीं होगी
(सुन्नु इब्न मजहा 1746)
नोट – जो कोई रोजा रखता है अगर उसको कोई दावत कर के रोजा खुला दे तो उसे उसके जितना ही सवाब मिलेगा जितना रोजेदार को मिलेगा जब की उसके रोजे का सवाब भी काम ना होगा अल्लाह बड़ा मेहरबान है जिसने हमारे लिए इतनी आसानी रखी और अल्लाह तो इतना मेहरबान है जिसने नबी सल्लाहू अलैहि वसल्लम के जरिए सारे गुना माफ का रास्ता भी रोजों में ही रख दिया
हदीस – जिसने ईमान के साथ सवाब की नियत से रोजे रखे तो उसके सारे गुना माफ कर दिए जाते है
( सुन्नु इब्न मजहा 1641)
(सही बुखारी 38)
नोट – अल्लाह हमारे दिखावे से नही बल्कि हमारी नियत से आजमाता है और अल्लाह तो इतना मेहरबान है जिसने प्यारे नबी मोहमदु रसुल्लुलाह सल्लाहू अलैहि वसल्लम के जरिए इरशाद फरमाया
हदीस – जो रमजान के रोजे रखे और उसके बाद 6 रोजे शव्वाल के भी रखे तो उसको हमेशा के रोजे का सवाब मिलेगा
(सही मुस्लिम 2758,1164)
(सुन्नु इब्न मजहा 1715)
(अबू दाऊद 2433)
(मुस्नद अहमद 14302)
नोट – अल्लाह तो इतना मेहरबा और रहमान है जो सिर्फ आगे के 6 रोजे और रखने से हमे जो हमारे रोजे नाफरमानी में रह गए थे तो अल्लाह ने हमे हमेशा के रोजों का तरीका भी रोजों में ही रख दिया और अल्लाह तो इतना मेहरबान है जिसने कयामत के दिन का हिसाब किताब में काम आने वाले रोजा कुरान का भी फायदा दिया और वो पूरे होने की गारंटी दी ताकि तुम समझ सको की Musalman Roza Kyu Rakhte Hain
हदीस – रोजा और कुरान बंदे के लिए सिफारिश करेंगे रोजा अर्ज करेगा या रब मैं दिन के वक्त खाना पीना और नफशानी ख्वाहिश से इसे रोका इसके मुत्तलिब मेरी सिफारिश कबूल फरमा और कुरान अर्ज करेगा मैने इसे रात के वक्त सोने से रोके रखा इसके मुत्तलिब मेरी सिफारिश कबूल फरमा फिर दोनो की सिफारिस कबूल की जाएगी
(मुस्नद अहमद 8324)
नोट – और अल्लाह तो इतना मेहरबान ही जिसने नबी सल्लाहू अलैहि वसल्लम के उम्मातो पर ये हुकुम भी भेजा ताकि तुम खुस हो जाओ
हदीस – जो लोग ईमान के साथ अपना जायजा लेते होए लैलातुल कद्र में इबादत करे उसके तमाम पिछले गुना माफ कर दिए जाते है
(सही बुखारी 35,1901,2009)
नोट – और अल्लाह तो इतना मेहरबान हैं जो जिसको चाहता है उसको रोजे की हालत में भी खिला देता है
हदीस – जब कोई भूल गया और खा लिया और पी लिया तो उसे चाहिए की अपना रोजा पूरा करे क्युकी उसे अल्लाह ने खिलाया और पिलाया
(सही बुखारी 1933)
नोट – अल्लाह तो इतना मेहरबान है जो लोगो को अजाब से निकालता है और दुआ कबूल करता है
हदीस – रमजान में अल्लाह हर दिन और रात धोजक से लोगो को आजाद करता है और हर मुसलमान की दिन और रात में दुआ कबूल की जाती है
(मुस्नद अहमद 7450)
नोट – अल्लाह ने तो रमजान के महीने को बरकत वाला महीना बनाया है
हदीस – नबी सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया सेहरी खाओ क्युकी सेहरी में बरकत होती है
(सही बुखारी 1923)
नोट – हमे चाहिए की हम इस महीने में अल्लाह का एहसान माने की अल्लाह ने हमे हिदायत के लिए ये मोहत्रम महीना दिया और हर साल हमे अल्लाह ये मौका देता रहता है ताकि हमे हिदायत मिले
Conclusion
आज हमने जाना की Musalman Roza Kyu Rakhte Hain अगर आपको यह पसंद आया हो तो अपने भाइयों को और सवाल उठने वालो को शेयर करे ताकि उनकी गलत फेमिया धुर हो सके।
अल्लाह हमे नेक अमल करने की तोफिक आता फरमाए आमीन।
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3 thoughts on “Musalman Roza Kyu Rakhte Hain – रमजान की सच्चाई”