बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

Qabar Ka Azab Se Bachne Ki Dua – कब्र के अज़ाब से बचने की दुआ

कब्र का अज़ाब एक सच्चाई है, जिससे हर मुसलमान को डरना चाहिए और इससे बचने के लिए अल्लाह तआला से दुआ करनी चाहिए। हदीसों में बताया गया है कि कयामत से पहले कब्र में इंसान से सवाल-जवाब होंगे और अगर वह सही जवाब न दे सका, तो उसे कब्र के अज़ाब का सामना करना पड़ेगा।

इस आर्टिकल में हम Qabar Ka Azab Se Bachne Ki Dua के बारे में जानेंगे, जो हमें हर नमाज़ में पढ़नी चाहिए। यह दुआ सहीह बुखारी (1377) और सहीह मुस्लिम (588-590) में मौजूद है और हमें इसे याद करके रोज़ाना पढ़ना चाहिए।

Qabar Ka Azab Se Bachne Ki Dua

Qabar Ka Azab Se Bachne Ki Dua In Arabic

अल्लाहुम्मा इन्नी आऊजु बिका मिन अज़ाबिल कब्र व मिन अज़ाबि जहन्नुम, व मिन फितनातिल माहि या वल ममात व मिन शर्रिल फितनातील मसीही दज्जाल

Qabar Ka Azab Se Bachne Ki Dua In Hindi

ऐ अल्लाह! मैं आपकी पनाह में आता हूं – कब्र के आजाब से,और जहन्नुम के आज़ाब से और जिंदगी और मौत में आजमाइश से, और मसीह दज्जाल के फितने से

( सही बुखारी – 1377)

( सही मुस्लिम – 588-590)

Also Read: Qabar Ka Azab Se Bachne Ka Tarika – कब्र के अज़ाब से बचने के तरीके हिंदी में

हदीस की तफ़सीर

1. कब्र के अज़ाब से पनाह मांगना

इस दुआ में सबसे पहले कब्र के अज़ाब से अल्लाह की पनाह मांगी गई है। यह साबित करता है कि कब्र का अज़ाब हक़ (सत्य) है और मरने के बाद कयामत से पहले ही इंसान अपने अच्छे या बुरे आमाल के हिसाब से अज्र या सज़ा पाएगा।

नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया:

“अगर तुम जानते कि कब्र का अज़ाब कितना सख़्त होता है, तो रोते रहते और अल्लाह से बचाने की दुआ करते रहते।”

(मुस्नद अहमद – 23138)

(A) कब्र का अज़ाब किन लोगों को होगा?

कुफ्र और शिर्क करने वालों को।

गुनाह करने और तौबा न करने वालों को।

झूठ, चुगली, ज़िना, चोरी और नमाज़ न पढ़ने वालों को।

(B) कब्र के अज़ाब से बचने के अमल:

हर रोज़ सूरह अल-मुल्क (सूरह 67) की तिलावत करें।

(तिर्मिज़ी – 2891)

हर नमाज़ के बाद यह दुआ पढ़ें।

गुनाहों से बचें और अल्लाह से तौबा करें।

2. जहन्नुम के अज़ाब से पनाह मांगना

इस दुआ में दूसरी चीज़ जहन्नुम के अज़ाब से पनाह मांगने की तालीम दी गई है।

अल्लाह तआला फ़रमाते हैं:

“तो जिन लोगों ने कुफ्र किया, उनके लिए जहन्नुम की आग है। न ही उनका क़यामत के दिन फैसला किया जाएगा और न ही उनकी मौत होगी ताकि वो आराम पा सकें।”

(सूरह फातिर – 36)

(A) जहन्नुम के अज़ाब से बचने के अमल:

हर रोज़ अल्लाह से मग़फिरत की दुआ करें।

रोज़ाना सूरह इख़लास (कुल हूवल्लाहु अहद) 3 बार पढ़ें।

(तिर्मिज़ी – 2897)

रोज़ा रखें, क्योंकि यह जहन्नुम से बचाने का ज़रिया है।

(सहीह मुस्लिम – 1151)

3. जिंदगी और मौत के फितनों से पनाह मांगना

इस दुआ में ज़िंदगी और मौत के फितनों से बचने की गुज़ारिश की गई है। इसका मतलब यह है कि इंसान को ज़िंदगी में गुमराही और मौत के वक्त बुरे खात्मे से बचने की दुआ करनी चाहिए।

(A) जिंदगी और मौत के फितनों से बचने के अमल:

हर रोज़ “या मुकल्लिबुल कुलूब, सब्बित कुलूबना अला दीनिक” पढ़ें।

(तिर्मिज़ी – 2140)

हमेशा हक़ और सच बोलें, गुनाह से बचें।

मौत को याद करें और अपनी तैयारी करें

(सहीह बुखारी – 6514)

4. मसीह दज्जाल के शर से पनाह मांगना

इस दुआ में मसीह दज्जाल से बचने की गुज़ारिश है, क्योंकि दज्जाल क़यामत की सबसे बड़ी आज़माइश होगा।

नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया:

“दज्जाल की फितना कयामत तक की सबसे बड़ी आज़माइश होगी।”

(सहीह मुस्लिम – 2946)

(A) दज्जाल से बचने के अमल:

हर जुमे को सूरह अल-कहफ़ (सूरह 18) की तिलावत करें।

(मुस्लिम – 809)

इस दुआ को रोज़ाना पढ़ें, खासकर नमाज़ के बाद।

सच्चे और मज़बूत ईमान वाले बनें, क्योंकि दज्जाल उन लोगों को गुमराह करेगा जिनका ईमान कमज़ोर होगा।

कब्र के अज़ाब से बचने की अहमियत

1. हर नमाज़ में पढ़ी जाने वाली दुआ

यह दुआ हमें हर नमाज़ में तशह्हुद (अत्तहियात के बाद) में पढ़नी चाहिए, क्योंकि यह नबी करीम (ﷺ) की सुन्नत है।

हदीस में आया है कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपने सहाबा को यह दुआ हर नमाज़ में पढ़ने की ताकीद की।

2. चार बुराइयों से हिफाज़त

यह दुआ हमें (1) कब्र के अज़ाब, (2) जहन्नुम के अज़ाब, (3) जिंदगी और मौत के फितनों और (4) मसीह दज्जाल के शर से बचाने का सबसे बेहतरीन ज़रिया है।

3. नमाज़ और दुआ का ताल्लुक

हर नमाज़ में यह दुआ पढ़ने से हमारी ज़िंदगी में बुराइयों से बचने का जज़्बा पैदा होता है और अल्लाह की रहमत हम पर बरसती है।

नमाज़ अपने आप में अल्लाह से दुआ करने का सबसे बेहतरीन तरीका है।

नतीजा (Conclusion)

आज हमने जाना Qabar Ka Azab Se Bachne Ki Dua के बारे में, जो हमें हर नमाज़ में पढ़नी चाहिए। यह दुआ हमें कब्र के अज़ाब, जहन्नुम के अज़ाब, दज्जाल के फितने और जिंदगी और मौत की आज़माइश से बचाने का बेहतरीन ज़रिया है।

“अल्लाह हम सबको इस दुआ को याद करने और इसे अपनी जिंदगी में अपनाने की तौफीक अता फरमाए। आमीन।”

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