Qarz Lene Ki Niyat – कर्ज लेने की नियत

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

Islam Mein Qarz Lene Ki Niyat Kaise Honi Chahiye? Sahih Bukhari Hadith 2387 Ke Mutabiq Ek Sachay Musalman Ko Kis Niyat Se Qarz Lena Chahiye? Janiye Quran Aur Hadith Ki Roshni Mein Tafseelat.

मुकदमा

इस्लाम में क़र्ज़ लेना और देना दोनों बहुत अहमियत रखते हैं। कई बार इंसान मजबूरी में क़र्ज़ लेता है, लेकिन इस्लाम हमें सिखाता है कि क़र्ज़ लेते समय हमारी नीयत सही होनी चाहिए। अगर इंसान नेक नीयत से क़र्ज़ लेता है और उसे अदा करने का इरादा रखता है, तो अल्लाह उसकी मदद करता है। लेकिन अगर कोई जानबूझकर बुरी नीयत से क़र्ज़ लेता है, तो यह अल्लाह की नाराज़गी का सबब बनता है।

इस लेख में हम सही बुख़ारी हदीस 2387 के जरिए यह समझेंगे कि इस्लाम में क़र्ज़ लेने की सही नीयत क्या होनी चाहिए और इस बारे में कुरआन और हदीस में क्या हुक्म दिया गया है।

Qarz Lene Ki Niyat Hadees

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो कोई कर्ज अदा करने की नियत से लेता है। तो अल्लाह उसकी तरफ से अदा करेगा और जो ना देने की नियत से लेगा तो अल्लाह उसको तबाह कर देगा।

नोट – क्या आप चाहते है की अल्लाह आपको तबाह कर दे और अल्लाह ने अगर तबाह कर दिया तो उसके सिवा कोई माबूद नही जो तुम्हारे आखीरत में काम आने वाला है।

(सही बुखारी – 2387)

Qarz Lene Ki Niyat Kaisi Honi Chahiye?

1. नेक नीयत से क़र्ज़ लेना

अगर कोई इंसान सच्ची नीयत से क़र्ज़ लेता है और उसे अदा करने का इरादा रखता है, तो अल्लाह उसकी मदद करता है।

2. बुरी नीयत से क़र्ज़ लेना हराम है

अगर कोई पहले से ही यह सोचकर क़र्ज़ लेता है कि वह इसे लौटाएगा ही नहीं, तो अल्लाह उसे बरबाद कर देता है।

3. अल्लाह पर भरोसा रखें

अगर इंसान ईमानदारी से क़र्ज़ वापस करना चाहता है, तो अल्लाह उसके लिए आसानियां पैदा करता है।

Quran Mein Qarz Ke Ahkam

1. Ahkam 1

“ऐ ईमान वालों! जब तुम आपस में किसी निश्चित अवधि तक के लिए क़र्ज़ का लेन-देन करो, तो उसे लिख लिया करो…”

(Surah Al-Baqarah, 2:282)

👉 इस आयत से मिलने वाली सीख:

क़र्ज़ का रिकॉर्ड रखना चाहिए।

गवाह रखकर क़र्ज़ लेना चाहिए ताकि बाद में कोई धोखा ना हो।

लिखित दस्तावेज़ से विवाद से बचा जा सकता है।

2. Ahkam 2

“ऐ ईमान वालों! अपने वादों को पूरा करो…”

(Surah Al-Ma’idah, 5:1)

👉 इस आयत से क्या समझ आता है?

अगर इंसान ने क़र्ज़ लेने का वादा किया है, तो उसे पूरा करना चाहिए।

बेईमानी से बचना ज़रूरी है।

मुसलमान को हमेशा अपनी जुबान का सच्चा होना चाहिए।

Hazrat Umar (RA) Ka Waqia – Qarz Lene Ki Ehtiyat

हज़रत उमर (र.अ) से किसी ने पूछा कि क्या हमें क़र्ज़ लेना चाहिए?

तो उन्होंने जवाब दिया:

“कभी भी क़र्ज़ मत लो जब तक कि तुम्हें सख्त ज़रूरत ना हो, क्योंकि यह इंसान की आज़ादी छीन लेता है।”

👉 इस वाक़िए से सीख:

क़र्ज़ बिना ज़रूरत के नहीं लेना चाहिए।

अगर क़र्ज़ लिया जाए, तो उसे जल्द अदा करने की कोशिश करनी चाहिए।

क़र्ज़ में डूबने से इंसान की इज्ज़त और आज़ादी दोनों चली जाती हैं।

यह भी पढ़ें: पैसे होते हुए भी कर्ज अदा न करे – इस्लामी नजरिया, सजा और नुकसान | Sahih Bukhari 2400 की तफसीर

Qarz Aada Karne Ki Dua

अगर आपने क़र्ज़ लिया है और उसे अदा करने में मुश्किल आ रही है

तो यह दुआ पढ़ें:

اللهم اكفني بحلالك عن حرامك، وأغنني بفضلك عمن سواك

“ऐ अल्लाह! तू मुझे अपने हलाल रिज़्क़ से इतना दे कि मैं हराम से बच जाऊं, और अपने फज़ल से इतना दे कि मैं दूसरों से बेनियाज़ हो जाऊं।”

(Tirmidhi, Hadith 3563)

👉 इस दुआ का असर:

अल्लाह मदद करता है अगर इंसान सच्ची नीयत से दुआ करे।

इस दुआ को पढ़ने से हलाल रोज़ी के दरवाज़े खुलते हैं।

इंसान को दूसरों से मांगने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

Qarz Ka Wapas Na Karna – Ek Sakht Warning

Jannat Aur Jahannam Ka Faisla

رسول الله ﷺ نے فرمایا:

“हर क़र्ज़ जो जानबूझकर वापस नहीं किया जाए, वह क़यामत के दिन चोर की तरह पेश किया जाएगा।”

(Abu Dawood, Hadith 3342)

👉 इस हदीस से क्या सीख मिलती है?

अगर इंसान क़र्ज़ नहीं लौटाता, तो क़यामत के दिन उसकी हालत बहुत खराब होगी।

क़र्ज़ की अदायगी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

बेईमानी करने वाला इंसान अल्लाह के नज़दीक पसंदीदा नहीं होता।

यह भी पढ़ें: Qarz Ada Na Karne Ki Saza : सुन्न इब्न माजा 2410 की हदीस और तफ़सीर | Punishment for Not Paying Debt in Islam

नतीजा (Conclusion)

इस्लाम हमें सिखाता है कि क़र्ज़ लेते समय नीयत साफ होनी चाहिए। सही बुख़ारी हदीस 2387 हमें बताती है कि अगर इंसान की नीयत अदा करने की होगी, तो अल्लाह उसकी मदद करेगा।

✔ क्या करें?

✅ सिर्फ ज़रूरत के समय क़र्ज़ लें।

✅ क़र्ज़ लेने से पहले अदा करने का पक्का इरादा रखें।

✅ अल्लाह से मदद मांगें और रोज़ी के लिए दुआ करें।

✅ वक़्त पर क़र्ज़ लौटाएं।

❌ क्या न करें?

❌ धोखा देने के लिए क़र्ज़ न लें।

❌ क़र्ज़ लेकर बेकार चीज़ों पर खर्च न करें।

❌ वादा करके क़र्ज़ को नज़रअंदाज़ न करें।

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