बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
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भारत की मुस्लिम हुकूमत का Part – 4 : Qutubuddin Aibak
मोहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद भारत में मुस्लिम शासन की बागडोर कुतुबुद्दीन ऐबक ने संभाली। वह गुलाम सल्तनत का संस्थापक था और उसकी शासन नीति ने दिल्ली सल्तनत की नींव रखी। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने सत्ता स्थापित की और उसकी प्रमुख उपलब्धियाँ क्या थीं।
कुतुबुद्दीन ऐबक कौन था?
कुतुबुद्दीन ऐबक का जन्म 1150 ईस्वी में तुर्किस्तान में हुआ था। बचपन में ही उसे गुलाम बनाकर बेच दिया गया और बाद में ईरान के एक काज़ी ने उसे खरीद लिया। वहीं पर उसने तीरंदाजी, तलवारबाजी और घुड़सवारी में महारत हासिल की।
कुछ समय बाद उसे गजनी लाकर मोहम्मद गोरी को बेच दिया गया। उसकी बहादुरी और युद्ध-कौशल देखकर मोहम्मद गोरी ने उसे अपने भरोसेमंद सैनिकों में शामिल कर लिया।
(संदर्भ: सतीश चंद्र, Medieval India, पृष्ठ 35)
कुतुबुद्दीन ऐबक का उत्थान
मोहम्मद गोरी की सेना में रहते हुए ऐबक ने कई युद्धों में भाग लिया। उसकी बहादुरी से प्रभावित होकर मोहम्मद गोरी ने उसे सेनापति बना दिया।
(संदर्भ: सतीश चंद्र, Medieval India, पृष्ठ 35)
1. इनाम बाँटने की दरियादिली
जब मोहम्मद गोरी ने अपनी सेना के गुलामों को इनाम देना शुरू किया, तब कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी पूरी इनामी दौलत गरीबों में बाँट दी। यह देखकर मोहम्मद गोरी ने उसे गुलामों का सरदार बना दिया।
(संदर्भ: सतीश चंद्र, Medieval India, पृष्ठ 35)
राजपूतों से संघर्ष और विजय
जब मोहम्मद गोरी भारत छोड़कर वापस गजनी चला गया, तब कुछ राजपूत शासकों ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी।
1. हरी राजा से संघर्ष
कुतुबुद्दीन ऐबक जब गजनी से लौटा, तो उसने देखा कि राजपूत राजा हरी ने कुछ क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। ऐबक ने उसे हराकर विजय प्राप्त की, जिसके बाद हरी राजा ने आत्महत्या कर ली।
(नोट: ऐतिहासिक रूप से आत्महत्या की अवधारणा को जनरलाइज़ नहीं किया जा सकता, यह एक व्यक्तिगत निर्णय होता था, न कि पूरे समुदाय की पहचान।)
(हबीबुल्लाह, The Foundation of Muslim Rule in India, पृष्ठ 67)
2. चालुक्य सेना पर विजय (1197 ई.)
1197 में ऐबक ने माउंट आबू में चालुक्य सेना को हराया, जिसका नेतृत्व भीम द्वितीय कर रहा था।
(हबीबुल्लाह, The Foundation of Muslim Rule in India, पृष्ठ 67)
3. वाराणसी, बदायूं, चंदवार और कन्नौज पर कब्जा
1197-1199 के बीच कुतुबुद्दीन ऐबक ने बदायूं, वाराणसी, चंदवार और कन्नौज को फतेह कर लिया।
(हबीबुल्लाह, The Foundation of Muslim Rule in India, पृष्ठ 67)
गुलाम वंश की स्थापना
मोहम्मद गोरी के निधन के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत में अपना शासन स्थापित किया। हालांकि, उसने खुद को “सुल्तान” घोषित नहीं किया, बल्कि कहा कि “मैं मोहम्मद गोरी का गुलाम हूँ।” इसी कारण उसके शासन को “गुलाम वंश” कहा जाता है।
(डॉ. सतीश चंद्र – “Medieval India: From Sultanate to the Mughals” Volume 1)
कुतुब मीनार का निर्माण
कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू करवाया था, लेकिन इसे बाद में इल्तुतमिश ने पूरा किया। यह मीनार सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के सम्मान में बनाई गई थी।
(सैय्यद अतहर अली – “The Delhi Sultanate”)
ढाई दिन का झोपड़ा (अजमेर, 1192)
कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में ढाई दिन का झोपड़ा नामक एक मस्जिद का निर्माण करवाया। ऐसा कहा जाता है कि इसे मोहम्मद गोरी के आदेश पर बनवाया गया था, लेकिन यह पूरी तरह से निर्मित नहीं हो सकी।
(सैय्यद अतहर अली – “The Delhi Sultanate”)
कुतुबुद्दीन ऐबक का शासन और मृत्यु
कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. तक दिल्ली पर शासन किया।
वह एक दयालु और न्यायप्रिय शासक था।
मृत्यु: 1210 में एक पोलो (चौगान) खेलते समय घोड़े से गिरने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
(Medieval India: From Sultanate to the Mughals” Volume 1)
इल्तुतमिश का उत्तराधिकार
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद आरामशाह को सुल्तान बनाया गया, लेकिन वह शासन करने में अक्षम साबित हुआ। इसके बाद इल्तुतमिश को दिल्ली का सुल्तान घोषित किया गया, जिसने गुलाम वंश को मजबूत किया।
(Medieval India: From Sultanate to the Mughals” Volume 1)
निष्कर्ष
कुतुबुद्दीन ऐबक भारत में मुस्लिम शासन की नींव रखने वाला पहला शासक था। उसकी शासन नीति ने दिल्ली सल्तनत को आगे बढ़ाया। उसने कई महत्वपूर्ण विजय हासिल कीं और गुलाम वंश की स्थापना की।
अगले भाग में हम जानेंगे कि इल्तुतमिश के शासनकाल में दिल्ली सल्तनत कैसे विकसित हुई।
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