बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

Richard McKinney – मस्जिद उड़ाने की साजिश करने वाला खुद बना मुसलमान | इस्लाम कुबूल करने की कहानी

Richard McKinney जो पहले मस्जिद को बम से उड़ाने की साजिश कर रहा था, आखिर उसने इस्लाम को क्यों अपनाया? जानिए इस चौंका देने वाली कहानी को, जो आपको इस्लाम की सच्चाई और इसकी खूबसूरती से रूबरू कराएगी।

Richard McKinney की इस्लाम कुबूल करने की कहानी – नफरत से मोहब्बत तक का सफर

दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो इस्लाम के खिलाफ सोचते हैं, लेकिन जब वे गहराई से इस धर्म को समझते हैं, तो उनकी सोच बदल जाती है। Richard McKinney की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। वह अमेरिका के एक पूर्व सैनिक (U.S. Marine) थे, जो इस्लाम और मुसलमानों से नफरत करते थे। उनकी नफरत इतनी थी कि उन्होंने एक मस्जिद को बम से उड़ाने की योजना बना ली थी। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया।

1. Richard McKinney कौन थे?

Richard McKinney अमेरिका के एक सैनिक थे, जिन्होंने करीब 25 साल तक सेना में सेवा दी थी। उन्होंने अफगानिस्तान और इराक में अपनी सेवाएं दीं और वहां मुस्लिम समुदाय के लोगों से नफरत करना शुरू कर दिया। युद्ध के दौरान उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि मुसलमान उनके दुश्मन हैं। यही कारण था कि जब वे अमेरिका लौटे तो उनके दिल में मुसलमानों के लिए गहरी नफरत थी।

2. मस्जिद को उड़ाने की साजिश क्यों बनाई?

जब McKinney अमेरिका लौटे, तो उन्होंने अपने शहर में मुसलमानों को देखना शुरू किया और उन्हें लेकर उनके दिल में नफरत बढ़ती गई। वे सोचते थे कि इस्लाम एक खतरनाक धर्म है और इसे खत्म करना जरूरी है। उन्होंने योजना बनाई कि वे एक मस्जिद को बम से उड़ा देंगे, ताकि वहां आने वाले मुसलमानों को खत्म किया जा सके।

लेकिन अल्लाह की योजना कुछ और थी!

3. मस्जिद जाने का फैसला और बदलाव की शुरुआत

McKinney ने मस्जिद में जाकर पहले मुसलमानों से मिलने का निश्चय किया। वे वहां इस मकसद से गए कि वे मुसलमानों के बारे में और जानकारी इकट्ठा कर सकें ताकि अपनी योजना को अंजाम दे सकें। लेकिन जब वे वहां पहुंचे, तो उन्हें जो अनुभव हुआ, उसने उनकी सोच को पूरी तरह बदल दिया।

4. मुसलमानों का व्यवहार – नफरत के जवाब में मोहब्बत

जब McKinney मस्जिद पहुंचे, तो वहां मौजूद लोगों ने उनका स्वागत किया। नफरत की आग में जलते इस व्यक्ति को वहां के मुसलमानों ने मोहब्बत और इज्जत से नवाजा। उन्होंने उनसे बातचीत की, उन्हें खाना खिलाया और उनकी परेशानियों को सुना।

McKinney इस व्यवहार से चौंक गए, क्योंकि उन्होंने सोचा था कि मुसलमान उन्हें नफरत से देखेंगे। लेकिन इसके विपरीत, उन्होंने जो अपनापन महसूस किया, उसने उनकी सोच को हिला कर रख दिया।

5. इस्लाम को जानने की कोशिश और दिल में उठे सवाल

मस्जिद में मुसलमानों का व्यवहार देखने के बाद McKinney के मन में सवाल उठने लगे –

आखिर ये लोग इतने अच्छे कैसे हो सकते हैं?

इस्लाम के बारे में जो उन्होंने सुना था, क्या वह गलत था?

इस्लाम वास्तव में क्या सिखाता है?

इन सवालों के जवाब पाने के लिए उन्होंने इस्लाम पर रिसर्च करना शुरू किया। वे कुरान पढ़ने लगे और पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) की सीरत (जीवन) के बारे में जानने लगे। धीरे-धीरे उनकी सोच बदलती गई।

6. इस्लाम कुबूल करने का फैसला

कई महीनों की रिसर्च और मुसलमानों के साथ रहने के बाद, McKinney को एहसास हुआ कि इस्लाम नफरत नहीं बल्कि प्यार, शांति और इंसाफ का धर्म है। उन्होंने फैसला किया कि वे मुसलमान बनेंगे।

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अलहमदुलिल्लाह! Richard McKinney ने इस्लाम कबूल कर लिया और अब वे एक सच्चे मुस्लिम की तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं।

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7. इस्लाम कुबूल करने के बाद की जिंदगी

इस्लाम अपनाने के बाद McKinney ने खुद को पूरी तरह बदल लिया।

उन्होंने मस्जिद में आकर मुसलमानों से सीखा कि इस्लाम क्या सिखाता है।

वे एक शांत और अच्छे इंसान बन गए।

उन्होंने इस्लाम की शिक्षा को फैलाने और दूसरों को भी इस्लाम के बारे में सही जानकारी देने का काम शुरू किया।

उन्होंने अपनी नफरत भरी सोच को त्याग कर मोहब्बत और इंसाफ की राह अपनाई।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

Richard McKinney की यह कहानी हमें एक बहुत बड़ा सबक सिखाती है –

1. इस्लाम सच्चाई और मोहब्बत का धर्म है

अगर कोई इसे दिल से समझे, तो वह जरूर इसकी हकीकत को स्वीकार करेगा।

2. मुसलमानों का अच्छा व्यवहार लोगों की सोच बदल सकता है

नफरत का जवाब नफरत से नहीं, बल्कि मोहब्बत से देना चाहिए।

3. इल्म हासिल करना जरूरी है

गलतफहमी दूर करने के लिए सही जानकारी और रिसर्च बहुत जरूरी है।

4. अल्लाह जिसे चाहता है, उसे हिदायत देता है

कोई भी इंसान कितना भी नफरत करे, अगर अल्लाह उसे हिदायत देना चाहे, तो वह बदल सकता है।

निष्कर्ष

Richard McKinney की कहानी एक ऐसी सच्ची घटना है, जो हमें बताती है कि इस्लाम को नफरत से नहीं, बल्कि समझदारी और दिल से अपनाने की जरूरत है। यह कहानी इस्लाम की सच्चाई और इसकी खूबसूरती को दर्शाती है।

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अल्लाह हमें भी सच्चाई को पहचानने और इस्लाम के रास्ते पर चलने की तौफीक दे, आमीन!

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