Roza Rakhne Ki Niyat – Roza Rakhne Ki Dua

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे Roza Rakhne Ki Niyat के बारे में और जानेंगे की क्या Roza Rakhne Ki Koi Dua Hai या सिर्फ नियत ही काफी है।

Roza Rakhne Ki Niyat – Roza Rakhne Ki Dua

Roza Rakhne Ki Niyat - Roza Rakhne Ki Dua

Hadees In English

Nabi Sallallahu Alaihi Wasallam Ne Farmaya Jo Shakhs Fajar hone Se Pehle Roza Rakhne Ki Niyat Nahi Karta To Uska Roza Nahi Hai

Hadees In Hindi

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शक्श फजर होने से पहले रोजा रखने की नियत नही करता तो उसका रोजा नही है।

नोट – मालूम हुआ की रोजा रखने के लिए नियत करना जरूरी है और नियत बोल कर नही की जाती बल्कि दिल के इरादे का नाम नियत है।

(Sunan Nisai – 2340)

(Abu Daud – 682)

1. आज कल लोग रोजा रखने की दुआ पड़ा करते है हालाकि रोजा रखने की कोई दुआ हदीस कुरान से साबित नही है।

2. अगर आपको रोजा रखना है तो अजान से पहले नियत करना जरूरी है उसके बाद रोजा नही खेलता है तो थोड़ा इस बात का भी ध्यान रखे।

3. अगर कोई अजान के समय उठता है और अगर उसकी नियत रोजा रखने की है तो वो रख सकता है और कोई सुबह अजान के बाद उठे या सुबह उठे मगर रात को उसकी नियत थी की में रोजा रखूंगा तो वो कुछ भी ना खाए उसका रोजा हो जायेगा।

4. एक हदीस में आता है की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक दिन सुबह यह फरमान भेजा की जो खा चुका हो या खाया ना हो तो वो बाकी दिन रोजा रख कर गुजर ले और रोजा तो उस समय बचो को भी रखता करते थे और जब उनको भूख लगती तो उनको खिलौनों से भेलाया करते थे।

Roza Rakhne Ka Sahi Tarika

Conclusion

आज हमने जाना की Roza Rakhne Ki Niyat करना जरूरी है और Roza Rakhne Ki Koi Dua साबित नही है।

अल्लाह हमे रोजा रखने की तोफिक आता फरमाए और नेक अमल करने की तोफिक आता फरमाए आमीन।

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