बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

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शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है

Sach Ke Fayde Or Jhut Ke Nukshaan – कुरआन और हदीस की रोशनी में

जानिए Sach Ke Fayde Or Jhut Ke Nukshaan कुरआन और हदीस की रोशनी में। इस्लाम में सच्चाई की अहमियत और झूठ से बचने की हिदायतें।

सच बोलना इंसान के किरदार को ऊँचा करता है, जबकि झूठ एक ऐसी बुरी आदत है जो इंसान को बर्बादी की तरफ़ ले जाती है। इस्लाम में सच्चाई (सिद्क़ – صدق) को ईमान का हिस्सा बताया गया है और झूठ (क़ज़िब – كذب) को निफ़ाक (मुनाफ़िक़त) की निशानी बताया गया है। यह लेख कुरआन और हदीस की रोशनी में Sach Ke Fayde Or Jhut Ke Nukshaan को बयान करेगा।

इस्लाम में सच बोलने की अहमियत

1. सच्चे लोगों के साथ रहो

अल्लाह तआला ने कुरआन में फ़रमाया:

ऐ ईमान वालों! अल्लाह से डरो और सच्चों के साथ रहो।

(सूरह तौबा 9:119)

(A) तफ़सीर:

✅ इंसान जिनके साथ रहता है, उनका असर उसकी ज़िंदगी पर पड़ता है।

✅ अगर हम सच्चे लोगों के साथ रहेंगे तो हम भी सच बोलने वाले बनेंगे।

✅ झूठे और मक्कार लोगों की सोहबत से बचना चाहिए क्योंकि वे हमें भी झूठ की तरफ ले जा सकते हैं।

2. इस्लाम में सच को बहुत ऊँचा दर्जा दिया गया है।

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ि.) से रिवायत है कि नबी ए करीम (ﷺ) ने फ़रमाया:

सच्चाई को अपनाओ, क्योंकि सच्चाई नेकी की तरफ़ ले जाती है, और नेकी जन्नत की तरफ़ ले जाती है। इंसान जब लगातार सच्चाई अपनाता है तो अल्लाह के यहाँ उसे ‘सिद्दीक़’ (सच्चा) लिखा जाता है।

(सहीह बुखारी 6094, सहीह मुस्लिम 2607)

3. अल्लाह से डरो और सच बोला करो

अल्लाह फ़रमाते हैं:

ऐ ईमान वालों! अल्लाह से डरो और सीधी-सच्ची बात किया करो। अगर तुम ऐसा करोगे तो अल्लाह तुम्हारे आमाल को सुधार देगा और तुम्हारे गुनाह माफ़ कर देगा। और जिसने अल्लाह और उसके रसूल की इताअत की, उसने बड़ी कामयाबी हासिल कर ली।

(सूरह अल-अहज़ाब 33:70-71)

(A) तफ़सीर:

✅ सच बोलने से इंसान के आमाल पाक हो जाते हैं और अल्लाह उसके गुनाह माफ़ कर देता है।

✅ झूठ बोलने वाला धीरे-धीरे गुनाहों की दलदल में फंस जाता है और तबाही के रास्ते पर चल पड़ता है।

4. अल्लाह सच्चे लोगों के गुनाह माफ़ कर देगा और उन्हें बड़ा इनाम देगा

अल्लाह फ़रमाते हैं:

सच्चे मर्द और सच्ची औरतों के लिए मग़फ़िरत (बख़्शिश) और बहुत बड़ा सवाब (इनाम) है।

(सूरह अल-अहज़ाब 33:35)

(A) तफ़सीर:

✅ जो इंसान हर हाल में सच बोलता है, अल्लाह उसे दुनिया और आखिरत दोनों में कामयाब करता है।

✅ झूठ बोलने वाला इंसान धीरे-धीरे बरकत से महरूम हो जाता है और अल्लाह के अज़ाब का शिकार बनता है।

5. क़यामत के दिन सच्चे लोगों को इनाम मिलेगा

अल्लाह फ़रमाते हैं:

आज वो दिन है जब सच्चे लोगों को उनकी सच्चाई का फ़ायदा दिया जाएगा। उनके लिए जन्नत है, जिसमें नहरें बह रही हैं। वे उसमें हमेशा रहेंगे। अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे अल्लाह से राज़ी हुए।

(सूरह अल-माइदा 5:119)

(A) तफ़सीर:

✅ जो लोग दुनिया में सच्चाई पर कायम रहते हैं, अल्लाह उन्हें जन्नत का वादा करता है।

✅ झूठे लोग क़यामत के दिन पछताएंगे, लेकिन तब उनके पास कोई मौका नहीं रहेगा।

6. जो सच्ची बात लेकर आए, उसे मानो

अल्लाह फ़रमाते हैं:

जो सच्ची बात लेकर आए और जिसने उसे मान लिया, वही लोग मुत्तक़ी (परहेज़गार) हैं।

(सूरह अज़-ज़ुमर 39:33-34)

तफ़सीर:

✅ अल्लाह ने हमें नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़रिए सच्ची बातें सिखाईं।

✅ जो लोग इन हिदायतों को मानते हैं, वे अल्लाह के पसंदीदा बंदे बन जाते हैं।

✅ झूठ का सहारा लेने वाले आखिरत में नाकाम हो जाएंगे।

7. सच्चाई की मिसालें – अंबिया (नबियों) की ज़िंदगी से सीखें

(A) हज़रत इब्राहीम (अ.) – “सिद्दीक़” (सच्चे नबी)

👉 हज़रत इब्राहीम (अ.) को कुरआन में “सिद्दीक़” (सच्चा) कहा गया है:

और किताब (क़ुरआन) में इब्राहीम का ज़िक्र करो, बेशक वह सिद्दीक़ (सच्चे) नबी थे।

(सूरह मरयम 19:41)

✅ हज़रत इब्राहीम (अ.) की सच्चाई की वजह से अल्लाह ने उन्हें अपना ख़लील (ख़ास दोस्त) बना लिया और उनके ज़रिए इस्लाम की बुनियाद रखी।

(B) हज़रत यूसुफ़ (अ.) – सच्चाई ने जेल से हुकूमत तक पहुँचाया

👉 हज़रत यूसुफ़ (अ.) पर जब झूठा इल्ज़ाम लगाया गया, तब भी उन्होंने सच्चाई का दामन नहीं छोड़ा। जब वह मिस्र के बादशाह के सामने आए तो एक आदमी ने गवाही दी:

मैंने इस शख़्स को हमेशा सच्चाई पर पाया है।

(सूरह यूसुफ़ 12:46)

✅ उनकी सच्चाई की वजह से अल्लाह ने उन्हें मिस्र का हाकिम बना दिया और उन्हें दुनिया में इज़्ज़त अता की।

(C) हज़रत मूसा (अ.) – फ़िरऔन के सामने भी सच का एलान

👉 जब हज़रत मूसा (अ.) फ़िरऔन के दरबार में गए और अल्लाह का पैग़ाम सुनाया, तो फ़िरऔन ने उन्हें झुठलाने की कोशिश की। मगर हज़रत मूसा (अ.) ने हर हाल में सच बोला और अपनी क़ौम को ग़ुलामी से आज़ादी दिलाई।

और मूसा ने कहा: ऐ मेरे रब! तू जानता है कि मैंने कभी झूठ नहीं बोला।

(सूरह क़सस 28:33)

(D) हज़रत ईसा (अ.) – नवजात बच्चे की गवाही में सच्चाई

👉 जब हज़रत ईसा (अ.) पैदा हुए, तो लोगों ने हज़रत मरयम (अ.) पर इल्ज़ाम लगाया। मगर अल्लाह ने हज़रत ईसा (अ.) को नवजात बच्चे की हालत में ही बोलने की क़ुदरत दी। उन्होंने कहा:

मैं अल्लाह का बंदा हूँ, उसने मुझे किताब दी और मुझे नबी बनाया।

(सूरह मरयम 19:30)

✅ इस सच्चाई ने हज़रत मरयम (अ.) की बेगुनाही साबित कर दी और हज़रत ईसा (अ.) की नबूवत का ऐलान हुआ।

(E) हज़रत मुहम्मद (ﷺ) – “अस-सादिक़ अल-अमीन” की गवाही

👉 हमारे नबी मुहम्मद (ﷺ) को उनकी नबूवत से पहले ही “अस-सादिक़ अल-अमीन” (सच्चे और अमानतदार) के ल़क़ब से जाना जाता था। जब उन्होंने पहली बार इस्लाम का पैग़ाम दिया, तो मक्का के लोग भी उनकी सच्चाई की गवाही देने लगे।

हदीस में आता है:

कुरैश के लोगों! अगर मैं कहूं कि इस पहाड़ के पीछे एक फ़ौज आ रही है, तो क्या तुम मेरी बात मानोगे?

सभी ने कहा: “हाँ! क्योंकि हमने तुम्हें कभी झूठ बोलते नहीं सुना।

(सहीह बुखारी 4770)

✅ यह गवाही साबित करती है कि नबी (ﷺ) की सच्चाई इतनी मशहूर थी कि उनके दुश्मन भी उन्हें झूठा नहीं कह सकते थे।

✅ इन नबियों की ज़िंदगी से हमें सीख मिलती है कि सच्चाई ही कामयाबी का असली रास्ता है।

सच्चाई की वजह से मिलने वाले फ़ायदे

1. अल्लाह की रज़ामंदी

👉 सच्चे लोग अल्लाह के क़रीब होते हैं।

2. दिल का सुकून

👉 सच्चाई अपनाने वाला हमेशा सुकून में रहता है।

3. लोगों का भरोसा

👉 सच बोलने वाला इंसान हमेशा इज़्ज़त पाता है।

4. दुनिया और आख़िरत में कामयाबी

👉 सच्चाई इंसान को जन्नत की तरफ़ ले जाती है।

Also Read: नमाज पढ़ने का तरीका – सीखें सही तरीका (Quran और हदीस से) Step By Step

इस्लाम में झूठ के नुक़सान

1. झूठ बोलने वाले पर अल्लाह की लानत है

कुरआन में अल्लाह फ़रमाते हैं:

बेशक, झूठ बोलने वालों पर अल्लाह की लानत है।

(सूरह आले-इमरान 3:61)

तफ़सीर:

✅ झूठ बोलने वाला अल्लाह की रहमत से दूर हो जाता है।

✅ ऐसा इंसान गुनाहों में घिर जाता है और आखिरत में बड़ा नुक़सान उठाता है।

✅ झूठ इंसान को मुनाफ़िक़ (दिखावा करने वाला) बना देता है, जिसे अल्लाह नापसंद करता है।

2. इस्लाम झूठ को सबसे ख़तरनाक बुराई बताता है।

कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाते हैं:

झूठ तो वही लोग गढ़ते हैं जो अल्लाह की आयतों पर ईमान नहीं रखते और वही झूठे हैं।

(सूरह अन-नहल 16:105)

3. झूठ जहन्नम की तरफ़ ले जाता है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

झूठ से बचो, क्योंकि झूठ गुनाह की तरफ़ ले जाता है, और गुनाह जहन्नम की तरफ़ ले जाता है। इंसान जब लगातार झूठ बोलता है तो अल्लाह के यहाँ उसे ‘कज़्ज़ाब’ (झूठा) लिखा जाता है।

(सहीह बुखारी 6094, सहीह मुस्लिम 2607)

4. झूठ बोलने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक ख़्वाब का ज़िक्र करते हुए बताया कि झूठ बोलने वालों को क़यामत के दिन अज़ाब दिया जाएगा:

मैंने देखा कि एक आदमी लेटा हुआ है और दूसरा आदमी लोहे की सलाख़ से उसके जबड़े को चीर रहा है, फिर दूसरी तरफ़ के जबड़े को भी चीरता है, और जब तक वह दूसरी तरफ़ जाता है, पहला जबड़ा ठीक हो जाता है, फिर यह सज़ा दोहराई जाती है। मैंने पूछा: यह कौन लोग हैं? तो फ़रिश्तों ने जवाब दिया: यह वो लोग हैं जो झूठ बोलते थे और उनकी बातें हर तरफ़ फैला दी जाती थीं।

(सहीह बुखारी 6096)

5. झूट बोलने वाले पर तो तबाई है।

तबाही है उस शख्स के लिए, जो सिर्फ़ लोगों को हंसाने के लिए झूठ बोलता है। तबाही है उसके लिए! तबाही है उसके लिए!

(सुन्न अबू दाऊद 4992)

तफ़सीर:

✅ जो लोग मज़ाक-मज़ाक में झूठ बोलते हैं, वे भी अल्लाह की नज़रों में गुनहगार हैं।

✅ झूठ कभी हल्का नहीं होता, चाहे वह मज़ाक में ही क्यों न कहा जाए।

6. नबी पे झूट बांधना

हजरत अली बयान करते है की मुझे नबी सल्लालाहू अलैहि वसल्लम ने कहा जो ऐसी बात कहे जो मैने कही हो यानी मुझपे झूट बंदे वो जेहेनुम में जायेगा।

(सही बुखारी 107)

तफ़सीर:

✅ किसी को भी झूठी हदीस गढ़ने या गलत बयानी करने से बचना चाहिए।

✅ झूठी बातें फैलाने वालों को जहन्नम की सज़ा दी जाएगी।

झूठ के बुरे अंज़ाम

1. अल्लाह की नाफ़रमानी

👉 झूठ बोलने वाला अल्लाह के ग़ज़ब का हक़दार बनता है।

2. दिल की बेचैनी

👉 झूठ बोलने से दिल में हमेशा डर और बैचेनी रहती है।

3. लोगों का भरोसा ख़त्म होना

👉 झूठा इंसान समाज में इज़्ज़त खो देता है।

4. आख़िरत में सज़ा

👉 झूठ की वजह से इंसान जहन्नम का हक़दार बनता है।

सिर्फ 3 जगहों पर झूठ बोलना जायज़ है – इस्लाम की रोशनी में

👉 इस्लाम में झूठ बोलना हराम माना गया है, लेकिन कुछ खास हालात में इसकी इजाज़त दी गई है। नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि तीन मौकों पर झूठ बोलना जायज़ है।

हदीस:

रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:

वो शख्स झूठा नहीं जो लोगों के बीच सुलह कराने के लिए अच्छी बातें करता है, भलाई की बातें करता है।

(सुनन अबू दाऊद: 4921, जामिया तिर्मिज़ी: 1939)

1. वो 3 मौके जब झूठ बोलना जायज़ है

(A) बीवी को राज़ी करने के लिए

👉 शौहर अपनी बीवी को खुश करने और घर की शांति बनाए रखने के लिए ऐसी बातें कह सकता है, जो हकीकत में न भी हों, लेकिन इससे प्यार और मुहब्बत बढ़ती हो।

उदाहरण:

✅ अगर बीवी पूछे, “क्या मैं सबसे खूबसूरत हूं?” तो शौहर कह सकता है, “हां, तुमसे खूबसूरत कोई नहीं।”

✅ कोई ऐसा वादा जो दिल बहलाने के लिए किया जाए, जैसे “मैं तुम्हें चाँद तारे लाकर दूँगा।”

(B) जंग में दुश्मन को हराने के लिए

👉 जंग में हिकमत और चालाकी अपनाना ज़रूरी होता है। इसलिए अगर किसी जंग में दुश्मन को धोखे में रखने के लिए झूठ बोलना पड़े, तो इसकी इजाज़त है।

उदाहरण:

✅ जंग में दुश्मन को गलत रास्ता बताना।

✅ अपनी ताकत छुपाकर रखना।

✅ फौजी रणनीति के तहत गलत जानकारी देना।

(C) दो झगड़ालू लोगों के बीच सुलह कराने के लिए

👉 अगर दो लोग आपस में दुश्मनी रखते हों, तो उन्हें मिलाने और उनके बीच प्यार बढ़ाने के लिए झूठ बोलना जायज़ है।

उदाहरण:

✅ किसी एक से कहना, “वो तुमसे सुलह करना चाहता है।”

✅ दोनों को यकीन दिलाना कि दूसरा उन्हें पसंद करता है।

हकीकत:

✅ इस्लाम में आमतौर पर झूठ बोलना हराम है, लेकिन जब मामला मुहब्बत बढ़ाने, जंग में हिकमत अपनाने और लोगों के बीच सुलह कराने का हो, तो इस्लाम इसकी इजाज़त देता है। हमें इन बातों को समझदारी और हिकमत के साथ अपनाना चाहिए, ताकि झूठ का गलत इस्तेमाल न हो।

सच्चाई अपनाने और झूठ से बचने के तरीके

1. अल्लाह का डर रखना

👉 हमेशा याद रखें कि अल्लाह हर चीज़ को देख रहा है।

2. अच्छे लोगों की सोहबत अपनाएं

👉 सच्चे और नेक लोगों की सोहबत में रहें।

3. हर हाल में सच बोलने की आदत डालें

👉 हालात चाहे कैसे भी हों, सच बोलें।

4. झूठ से बचने की दुआ पढ़ें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सच्चाई की दुआ सिखाई:

ऐ अल्लाह! मुझे दुनिया और आख़िरत में सच्चा बना दे।

नतीजा

👉 इस्लाम में सच बोलना इमान की निशानी और कामयाबी की कुंजी है, जबकि झूठ बोलना गुनाहों की जड़ और हलाकत की राह है। कुछ लोग यह मानते हैं कि बिना झूठ बोले ज़िंदगी नहीं चल सकती, लेकिन कुरआन और हदीस में बार-बार सच बोलने की ताकीद की गई है और झूठ के नुक़सानात बयान किए गए हैं।

✅ सच इंसान को बरकत, भलाई और जन्नत की तरफ ले जाता है, जबकि झूठ उसे गुनाह, हलाकत और जहन्नम की तरफ। हमें चाहिए कि हमेशा सच बोलें और झूठ से बचें, ताकि अल्लाह की रहमत हासिल कर सकें।

अल्लाह हम सबको सच्चाई पर कायम रखे, आमीन!

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