शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Nabi (ﷺ) Pe Jhut Badna Kaisa Hai – Sahih Bukhari 106 Ki Tafseer
जानिए इस्लाम में नबी (ﷺ) पर झूठ बाँधने का क्या हुक्म है? कुरआन और हदीस की रोशनी में इस गंभीर गुनाह के बारे में Sahih Bukhari 106 Ki Tafseer से पढ़ें।
इस्लाम में सच्चाई (सिद्क़) की बहुत अहमियत है, और झूठ (क़ज़्ब) को सख़्ती से मना किया गया है। लेकिन अगर यह झूठ अल्लाह के रसूल (ﷺ) पर बाँधा जाए, तो इसका गुनाह कई गुना बढ़ जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि नबी (ﷺ) पर झूठ बाँधने का इस्लाम में क्या हुक्म है, इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं, और इस बारे में कुरआन और हदीस क्या कहती हैं।
Aaj Ki Hadees
Hadees In English
Nabi Sallallahu Alaihi Wasallam Ne Farmaya Jo Shaks Aisi Baat Kahe Jo Maine Na Kahi Ho To Vo Jahannum Me Jayega
Hadees In Hindi
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शक्श ऐसी बात कहे जो मैने ना कही हो तो वो जहन्नुम में जायेगा।
Sahih Bukhari – 106
इस हदीस की तफ़सीर
1. नबी पर झूठ बोलना सबसे बड़ा गुनाह है
इस हदीस में रसूलुल्लाह ﷺ ने चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर आप ﷺ पर झूठ गढ़े या कोई बात आपकी ओर झूठी मंसूब करे, तो उसका अंजाम जहन्नम होगा। इसका मतलब यह है कि नबी पर झूठ बोलना हल्की बात नहीं, बल्कि यह बहुत बड़ा गुनाह और हराम (निषिद्ध) है।
2. क्यों है इतना बड़ा गुनाह?
नबी करीम ﷺ पर झूठ बाँधना इस्लाम के पूरे ढांचे को हिला सकता है, क्योंकि:
लोग नबी की कही हुई बात को हक मानते हैं और उस पर अमल करते हैं।
अगर किसी ने झूठी बात आपकी ओर मंसूब कर दी, तो वह इस्लामी शिक्षाओं में मिलावट कर देगा।
यह इस्लाम की सच्चाई को बिगाड़ने और लोगों को गुमराह करने का कारण बन सकता है।
3. झूठी हदीसें गढ़ने वालों का हश्र
इस हदीस में ऐसे लोगों के लिए जहन्नम की सख्त सज़ा बताई गई है जो जानबूझकर झूठ बोलकर उसे नबी ﷺ की तरफ मंसूब करते हैं। इस्लामी इतिहास में कुछ लोगों ने झूठी हदीसें गढ़ने की कोशिश की, लेकिन मुहद्दिसीन (हदीस के विद्वान) ने उन्हें पहचान कर सही और झूठी हदीसों को अलग किया।
(A) क्या हम झूठी हदीसों को मान सकते हैं?
एक हदीस में आता है कि क़यामत की निशानी में से एक यह भी होगी कि लोग झूठी किताबें लिखेंगे और उन्हें इस्लाम का हिस्सा बना देंगे।
क्या हम उन किताबों को सच मान सकते हैं जो नबी ﷺ से साबित ही नहीं हैं?
(B) झूठी हदीसें क्यों फैलाई गईं?
कई मुनाफिकों (Hypocrites) और यहूदियों ने इस्लाम को नुकसान पहुँचाने के लिए झूठी हदीसें गढ़ी थीं।
हमें चाहिए कि हम सिर्फ सहीह (Authentic) हदीसों पर ही अमल करें।
(C) इमामों की बात और हदीस का टकराव
बहुत से लोग जब सही हदीस पेश की जाती है, तो कहते हैं कि “इमाम अबू हनीफा रहमतुल्लाह अलैह” का नजरिया कुछ और था।
लेकिन इमाम अबू हनीफा खुद फरमाते हैं:
अगर मेरी कोई बात हदीस-ए-सहीह के खिलाफ हो, तो मेरी बात को दीवार पर मार दो।
इसका मतलब यह है कि हमें हमेशा कुरान और सही हदीस को प्राथमिकता देनी चाहिए।
4. क्या गलतफ़हमी से झूठ बोलने पर भी सज़ा होगी?
अगर कोई व्यक्ति अनजाने में कोई गलत बात नबी ﷺ की तरफ मंसूब करता है, तो यह उतना बड़ा गुनाह नहीं होगा जितना जानबूझकर झूठ बोलने का है। लेकिन फिर भी किसी बात को नबी ﷺ की ओर मंसूब करने से पहले जांच-परख करना ज़रूरी है।
इस हदीस से हमें क्या सीख मिलती है?
✅ हदीस सुनाने या लिखने से पहले उसकी प्रामाणिकता (सहिह या ज़ईफ) जांचनी चाहिए।
✅ अगर हमें किसी हदीस की सत्यता का ज्ञान न हो, तो उसे न फैलाएँ।
✅ दीन में कोई नई चीज़ (बिदअत) न घड़ें और न ही गलत जानकारी फैलाएँ।
✅ हमेशा सहिह हदीसों पर अमल करें और दूसरों को भी सही जानकारी दें।
निष्कर्ष
👉 अगर कोई शख्स नबी ﷺ की तरफ कोई झूठी बात मंसूब करता है, तो उसका अंजाम जहन्नम है।
👉 हमें चाहिए कि हम सहीह हदीसों की रोशनी में अमल करें और झूठी या जईफ हदीसों को फैलाने से बचें।
👉 इमामों की भी यही तालीम है कि अगर कोई बात हदीस से टकराए, तो हदीस को अपनाया जाए।
इस्लाम में नबी (ﷺ) पर झूठ बाँधना बहुत बड़ा गुनाह है, जो इंसान को सीधे जहन्नम तक ले जा सकता है। हमें चाहिए कि हम सिर्फ़ सही और प्रामाणिक हदीसों पर ही अमल करें और दूसरों तक पहुँचाएं। झूठी हदीसों और गलत जानकारी से बचें और लोगों को भी आगाह करें।
अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे दूसरों तक ज़रूर पहुँचाएं ताकि वे भी नबी (ﷺ) पर झूठ बाँधने के गुनाह से बच सकें!
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