बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Sood Khane Walo Ka Anzam – सूरह अल-बक़रह (2:275) की तफ़सीर
Sood Khane Walo Ka Anzam जानिए सूद खाने वालों का कयामत के दिन अंजाम कुरान और हदीस की रोशनी में। अल्लाह ने सूद को हराम क्यों किया और इसका क्या नुकसान है? पढ़ें तफ़सील से।
Aaj Ki Aayat
इस्लाम में सूद (ब्याज) को सख्ती से हराम करार दिया गया है। कुरान और हदीस में सूद खाने वालों के लिए बेहद सख्त अंजाम बताए गए हैं। कयामत के दिन उनकी हालत कैसी होगी और इस दुनिया में भी सूद का क्या नुकसान है, इस लेख में हम इसे विस्तार से समझेंगे।
Hadees In English
Jo Log Sood Khatey Hain Wo Qayamat Ke Din Aise Uthenge Jaise Sheitan Ne Lipat Kar Pagal Bana Diya Ho Jabki Allah Ne Tijarat Ko Halal Or Sood Ko Haram Kar Diya Hai To Jo Koi Allah Ki Taraf Se Aai Nasihat Sun Kar Sood Khana Chord De To Jo Vo Pehle Kha Chuka Uska Mamla Allah Ke Hawale Hai Or Jo Ye Nasihat Sunne Ke Baad Bhi Sood Khata Hai To Vo Log Hi Jahanum Me Jaynge Or Vo Waha Humesha Rahengey
Hadees In Hindi
जो लोग सूद खाते है वो कयामत के दिन ऐसे उठेंगे जैसे शैतान ने लिपट कर पागल बना दिया हो जब की अल्लाह ने तिजारत को हलाल और सूद को हराम कर दिया है। तो जो कोई अल्लाह की तरह से आई नसीहत सुन कर सूद खाना छोड़ दे तो जो वो पहले खा चुका उसका मामला अल्लाह के हवाले है। और जो यह नसीहत सुनने के बाद भी सूद कहते है तो वो लोग ही जहन्नुम में जायेंगे और वो वहा हमेशा रहेंगे।
1. इस आयत की तफ़सीर
(A) शैतान की तरह पागल होकर उठेंगे
कयामत के दिन सूद खाने वालों की हालत बहुत खतरनाक होगी। वे ऐसे उठेंगे जैसे किसी जिन्न या शैतान ने उन्हें पागल बना दिया हो। यह अज़ाब इस बात की निशानी है कि उन्होंने अल्लाह के हुक्म को तोड़ा और हलाल-हराम में फर्क नहीं किया।
(B) जहन्नुम में हमेशा रहेंगे
जो लोग सूद खाने से तौबा नहीं करेंगे और मरते दम तक सूद लेते रहेंगे, उनके लिए जहन्नुम का अज़ाब तैयार किया गया है।
(C) जो सूद खाता है, वह अल्लाह और उसके रसूल से जंग करता है
अल्लाह तआला फरमाते हैं:
“अगर तुम (सूद से) बाज़ न आओगे, तो अल्लाह और उसके रसूल की तरफ़ से ऐलान-ए-जंग सुन लो। और अगर तौबा कर लो, तो तुम्हारे लिए तुम्हारा मूल धन (असली रकम) ही है। ना तुम ज़ुल्म करो और ना तुम पर ज़ुल्म किया जाए।”
(सूरह अल-बक़रह 2:279)
(D) सूद खाने वाले, लिखने वाले और गवाह सब पर लानत है
हदीस:
अब्दुल्लाह इब्न मसऊद (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सूद खाने वाले, सूद खिलाने वाले, सूद लिखने वाले और उसके गवाह बनने वालों पर लानत भेजी है।
(सहीह मुस्लिम: 1598)
(E) सूद खाने वालों का अज़ाब – मीराज की रात का मंज़र
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जिस रात मुझे मेराज कराई गई, मैंने एक आदमी को देखा जो एक नहर में तैर रहा था और उसके मुंह में पत्थर फेंके जा रहे थे। मैंने पूछा: ‘यह कौन है?’ फरिश्तों ने कहा: ‘यह सूद खाने वाला है।'”
(मुस्नद अहमद: 5962, सहीह बुखारी: 2085)
2. इस दुनिया में सूद खाने का नुकसान
सूद खाने से सिर्फ आखिरत में ही नहीं, बल्कि इस दुनिया में भी बहुत से नुकसान होते हैं।
(A) बरकत खत्म हो जाती है
कुरान में अल्लाह तआला फरमाते हैं:
“अल्लाह सूद को मिटा देता है और सदक़ात में बढ़ोतरी करता है।”
(सूरह अल-बक़रह 2:276)
इसका मतलब यह है कि जो कमाई सूद से होती है, उसमें बरकत नहीं रहती। चाहे वह कितना भी पैसा जमा कर ले, वह किसी न किसी तरीके से खत्म हो जाता है।
(B) समाज में आर्थिक असमानता बढ़ती है
सूद से गरीब और गरीब होता है और अमीर और अमीर हो जाता है। यह आर्थिक असंतुलन को जन्म देता है और समाज में अन्याय फैलाता है।
(C) दिल कठोर हो जाता है
जो लोग सूद पर चलते हैं, उनके दिल से रहम और इंसाफ खत्म हो जाता है। वे सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचते हैं और गरीबों की तकलीफ की परवाह नहीं करते।
(D) हराम कमाई और दुआ की नामंजूरी
नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया:
“अल्लाह रब्बुल आलमीन फरमाते हैं कि एक व्यक्ति जो गंदा (नापाक) है, जिसका बदन नापाक है, वह दुआ करता है: ‘ऐ मेरे अल्लाह!’ – जबकि उसका खाना हराम है, उसका पीना हराम है, उसकी परवरिश हराम है, तो उसकी दुआ कैसे कबूल होगी?”
(सहीह मुस्लिम: 2346)
3. सूद से बचने का तरीका
(A) अल्लाह से तौबा करें
अगर कोई व्यक्ति पहले सूद खा चुका है, तो उसे अल्लाह से सच्चे दिल से तौबा करनी चाहिए। कुरान में अल्लाह तआला फरमाते हैं:
“जो तौबा कर ले, वह अल्लाह की रहमत का हक़दार है।”
(सूरह अज़-ज़ुमर 39:53)
(B) हलाल कारोबार करें
तिजारत (व्यापार) इस्लाम में हलाल है। इसलिए सूद की बजाए हलाल कारोबार पर ध्यान देना चाहिए।
(C) सदका दें
सूद का पैसा किसी गरीब या मस्जिद में देना हलाल नहीं है, लेकिन अगर पहले सूद लिया है तो उसे गरीबों में बिना सवाब की नीयत से बांट देना चाहिए।
निष्कर्ष
सूद इस्लाम में एक गंभीर गुनाह है। यह न केवल कयामत में अज़ाब का कारण बनेगा, बल्कि इस दुनिया में भी बरकत को खत्म कर देगा। इसलिए, एक सच्चे मुसलमान को सूद से बचना चाहिए और हलाल तरीकों से रोज़ी कमाने की कोशिश करनी चाहिए।
क्या आपने कभी सूद से बचने के लिए कदम उठाए हैं? कमेंट में अपनी राय दें और इस्लामिक जानकारी को दूसरों तक पहुंचाने के लिए इस लेख को शेयर करें!
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