शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
अल्लाह की रहमत से नाउम्मीद ना हो – Surah At Zummer 39 Ki Aayat 53 Ki Tafseer
Surah At Zummer 39 Ki Aayat 53 Ki Tafseer में अल्लाह फरमाता है कि उसकी रहमत से नाउम्मीद ना हो क्योंकि वह तमाम गुनाह माफ़ करने वाला है। जानें इस आयत की तफ़सीर, इसकी फ़ज़ीलत और इससे मिलने वाली सीख।
Aaj Ki Aayat
Surah At Zummer 39 Ki Aayat 53 Ki Tafseer In English
Aye Nabi Tum Keh Do Aye Mere Imandar Bando Jinhone Gunna Karke Apni Janno Per Zulm Kara Hai To Tum Khuda Ki Rehmat Se Na Umeed Na Hona Beshak Khuda Tumhare Gunna Maaf Kar Dega Khuda Bada Bakshne Wala Bada Mehrbaan Hai
(Surha Al Zumer 39 – 53)
Surah At Zummer 39 Ki Aayat 53 Ki Tafseer In Hindi
“ऐ मेरे बंदों, जिन्होंने अपने ऊपर जुल्म किया है (गुनाह किए हैं), अल्लाह की रहमत से नाउम्मीद न हो, बेशक अल्लाह तमाम गुनाह माफ़ कर देगा। बेशक, वह बड़ा बख्शने वाला, बड़ा मेहरबान है।”
(सूरह अज़-जुमर 39:53)
1. इस आयत की तफ़सीर
👉 इस आयत में अल्लाह ने गुनहगार बंदों को हौसला दिया है कि वह चाहे जितने भी गुनाह कर चुके हों, लेकिन अगर तौबा कर लें, तो अल्लाह उन्हें माफ़ कर सकता है।
(A) अल्लाह की रहमत हर चीज़ से बढ़कर है
हदीस में आता है कि अल्लाह की रहमत उसके ग़ज़ब (ग़ुस्से) पर ग़ालिब है।
(सहीह मुस्लिम, हदीस 2751)
✅ इसका मतलब यह है कि अल्लाह गुनाहों की सज़ा देने से पहले अपने बंदों को माफ़ करने का मौक़ा देता है।
हदीस:
“अल्लाह ने रहमत को सौ हिस्सों में तक़सीम किया, उसमें से एक हिस्सा इंसानों, जिन्नों, जानवरों और कीड़ों में रखा, जिसकी वजह से वे एक-दूसरे पर मेहरबान होते हैं। बाकी 99 हिस्से अल्लाह ने अपने लिए रखे, जिनसे वह क़यामत के दिन अपने बंदों पर रहमत करेगा।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस 2752)
(B) तौबा करने वाले के गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं
रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“जो शख्स सच्चे दिल से तौबा कर लेता है, तो अल्लाह उसके गुनाह ऐसे माफ़ कर देता है जैसे उसने कभी गुनाह किए ही न हों।”
(इब्ने माजा, हदीस 4250)
(C) शैतान का सबसे बड़ा हथियार – मायूसी
शैतान इंसान को यह यकीन दिलाने की कोशिश करता है कि उसके गुनाह इतने बड़े हैं कि अब अल्लाह उसे कभी माफ़ नहीं करेगा। लेकिन यह आयत बताती है कि मायूसी हराम है और अल्लाह से हमेशा माफ़ी मांगते रहना चाहिए।
2. इस आयत से हमें क्या सीख मिलती है?
✅ तौबा की दरवाज़े हमेशा खुले हैं – कोई भी गुनाह इतना बड़ा नहीं कि अल्लाह उसे माफ़ न कर सके।
✅ अल्लाह की रहमत से नाउम्मीद न हों – चाहे कितने भी गुनाह हो जाएं, अगर दिल से सच्ची तौबा कर लें, तो माफ़ी मिल सकती है।
✅ अल्लाह बड़ा बख्शने वाला और मेहरबान है – उसकी मग़फ़िरत की हद कोई नहीं जान सकता।
✅ मायूसी हराम है – शैतान हमें मायूस करने की कोशिश करता है, लेकिन अल्लाह हमें उम्मीद और रहमत की तरफ़ बुलाता है।
3. तौबा करने का सही तरीका
(A) गुनाह को कबूल करें
अपने किए पर शर्मिंदा हों और सच्चे दिल से मानें कि गुनाह हुआ है।
(B) अल्लाह से माफ़ी मांगें
सच्चे दिल से दुआ करें और अपने गुनाहों की बख्शिश चाहें।
(C) गुनाह छोड़ने का पक्का इरादा करें
दोबारा उसी गुनाह को न करने का इरादा करें।
(D) नेकी की तरफ़ लौटें
गुनाह के बजाय नेकी करें, नमाज़ पढ़ें, सदक़ा दें और अल्लाह की इबादत में लगें।
4. तौबा की फ़ज़ीलत (महत्व)
हदीस:
“अल्लाह अपने बंदे की तौबा से इतना खुश होता है जितना वह आदमी जो रेगिस्तान में अपना ऊंट खो बैठता है और फिर अचानक उसे मिल जाता है।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस 2675)
✅ तौबा करने से गुनाहों की जगह नेकी लिखी जाती है:
“जो शख्स तौबा करता है और नेकी की राह पर चलता है, अल्लाह उसके बुरे आमाल को नेकियों में बदल देता है।”
(सूरह अल-फुरकान 25:70)
नतीजा
Surah At Zummer 39 Ki Aayat 53 Ki Tafseer हमें सिखाती है कि गुनाह कितने भी बड़े हों, अगर इंसान अल्लाह से सच्चे दिल से तौबा कर ले, तो अल्लाह उसे माफ़ कर देगा। इसलिए मायूसी को छोड़कर तौबा और इबादत में मशगूल होना चाहिए।
✅ अल्लाह की रहमत से उम्मीद रखो, क्योंकि वह बड़ा बख्शने वाला और मेहरबान है।
👉 अगर आपको यह तफ़सीर पसंद आई हो, तो इसे दूसरों तक भी पहुँचाएं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग अल्लाह की रहमत से नाउम्मीद होने के बजाय उसकी बख्शिश की तरफ़ बढ़ें!
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