शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika – तहज्जुद की नमाज़ का तरीका
तहज्जुद की नमाज इस्लाम में एक खास इबादत है, जिसे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तवज्जोह दी और इसको पढ़ने की फजीलत भी बताई। यह एक नफील नमाज है, लेकिन इसकी अहमियत इतनी ज्यादा है कि इसे पढ़ने वाले को बेहद अज्र मिलता है और अल्लाह से करीब होने का मौका मिलता है।
इस आर्टिकल में हम Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika, इसकी रकात, नियत, समय, और फायदे को सहीह हदीस और कुरान की आयतों की रोशनी में जानेंगे।
तहज्जुद की नमाज की नियत – Tahajjud Ki Namaz Ki Niyat
तहज्जुद की नमाज की नियत सिर्फ अल्लाह की रज़ा और अज्र के लिए करनी चाहिए। इसमें दिखावे (रियाकारी) की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया:
“जो इंसान दिखावे के लिए इबादत करता है, अल्लाह उसे इनाम नहीं देगा।”
(सही मुस्लिम – 2986)
Tahajjud Ki Namaz Ki Rakat – तहज्जुद की नमाज़ कितनी रकत है
हज़रत आयशा (र.अ) फरमाती हैं:
“नबी (ﷺ) ने कभी भी 11 रकात से ज्यादा तहज्जुद नहीं पढ़ी, चाहे रमजान हो या कोई और महीना।”
(सही बुखारी – 1147)
✅ 8 रकात – तहज्जुद की नमाज
✅ 3 रकात – वितर
मालूम हुआ कि तहज्जुद की नमाज 2-2 रकात करके पढ़ी जाती है और इसे आराम और इत्मीनान से पढ़ना चाहिए।
Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika Step By Step – तहज्जुद की नमाज कैसे पढ़ी जाती है
1. रात के किसी भी हिस्से में उठें, लेकिन आधी रात के बाद या आखिरी तिहाई हिस्सा सबसे बेहतर समय है।
2. पहले वुज़ू करें और अगर नींद ज्यादा हो तो हल्का सा पानी छिड़क लें।
3. नियत करें और 2-2 रकात करके नमाज पढ़ें।
4. पहले हल्की रकात पढ़ें, फिर लंबी रकात पढ़ें और सजदे को लंबा करें।
5. कुरान की बड़ी आयतें तिलावत करें, ताकि इबादत में गहराई आए।
6. नमाज के बाद अल्लाह से दुआ करें, क्योंकि यह दुआ कबूल होने का सबसे बेहतरीन मौका होता है।
आप जब भी तहज्जुद की नमाज पड़ते तो 2 2 रकात करके पड़ा करते थे शुरू में 2 रकात हल्की पड़ते और धीरे धीरे लंबी करते थे और कुरान को अच्छी तरह पड़ते थे और अल्लाह से दुआ किया करते थे।
(ईवा अल गालिल 2/203)
(अबू दाऊद 1451)
Tahajjud Ki Namaz Ki Fazilat – तहज्जुद की नमाज़ के फायदे
तुम रात में नमाज जरूर पड़ा करो क्युकी ये पहले ईमान वालो की आदत थी और रात को नमाज तो अल्लाह अल्लाह से करीब करती है और गुनाओं से बचाती है और तुम्हारे गुना माफ कर दिए जाते है और जिस्मानी बीमारियों को धुर करती है।
(सही अल जमी – 4079)
जिसने रमजान की रातों में इबादत करी इस नियत से की मुझे अजर मिलेगा तो अल्लाह उसके तमाम गुना माफ कर देता है।
(सही बुखारी – 2008)
अल्लाह हर रात में आता है यानी बंदों के करीब और कहता है कोन है मुझे पुकारने वाला में उसकी दुआ कबूल करूंगा
(Sahih Bukhari – 1145)
(Jamia Trimdhi – 3579)
(Sahih Muslim – 1770)
तहज्जुद की नमाज पड़ने से बदसूरत के चेहरे पर चमक आ जाती है और जलील आदमी को अल्लाह इज्जत नसीब कर देता है।
(अत-तहज्जुद ली अबी अत-दुनिया पेज – 28)
अल्लाह ने फरमाया की जो लोग अपना बिस्तर छोड़ कर रात में नमाज पड़ते है और अल्लाह से मांगते है वो जहन्नुम के कॉफ और जन्नत के लालच में तो कोई नही जानता की अल्लाह ने उनकी आंखों की तंडक के लिए किया समान छुपा रखा है जो इनके अमल के बदले में दिया जायेगा।
(सूरह अल सजदा – 32:16-17)
(सूरह अल जुम्मर – 39:09)
(सूरह अत दहर – 76:20-27)
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम अगर तहज्जुद की नमाज पड़ेंगे तो आराम से जन्नत में जाओगे
(जामिया त्रिमधि – 2485)
✅ गुनाह माफ होते हैं
✅ अल्लाह से करीबी बढ़ती है
✅ बीमारियों से हिफाजत मिलती है
✅ चेहरे पर नूर आता है
✅ दुआएं जल्दी कबूल होती हैं
Tahajjud Ki Ahmiyat – तहज्जुद की अहमियत
नबी सल्लल्लाहुं अलैहि वसल्लम ने फरमाया फर्ज नमाज के बाद सबसे अफजल नमाज तहज्जुद की नमाज है।
(सही मुस्लिम – 2756)
तहज्जुद की नमाज में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इतना कियाम करते की ओवरलोड हो जाते तो आपसे पूछा गया की आपतो बक्से बक्साए हो फिर इतना क्यों तो आपने फरमाया क्या में अल्लाह का शुक्र गुजार बांदा ना बनू।
(सही बुखारी – 1130)
(सही बुखारी – 4837)
(सुन्न नसाई – 1665)
आप रमजान के आखिरी असरे में रातो को जागते थे और घेर वालो को भी जगाते थे और कियाम यानी की नमाज पड़ते रहते थे।
(सही बुखारी – 2024)
Tahajjud Ka Time Kab Tak Hai – तहज्जुद नमाज़ का समय
तहज्जुद की नमाज में हम आपको कभी जल्दी पड़ते देखते तो कभी लेट पड़ते देखते और जायदा तर आप ये नमाज आधी रात में पड़ा करते थे।
(सही मुस्लिम – 745)
(जामिया त्रिमधी – 3459-3579)
Also Read : नमाज पढ़ने का तरीका हिंदी में
✅ ईशा के बाद और फजर से पहले कभी भी तहज्जुद की नमाज पढ़ सकते हैं।
✅ लेकिन सबसे बेहतरीन समय आखिरी तिहाई रात का है, क्योंकि इसी वक्त अल्लाह पहले आसमान पर उतरता है और दुआओं को कबूल करता है।
अगर आपको जल्दी सोने की आदत है, तो आप ईशा के तुरंत बाद भी तहज्जुद पढ़ सकते हैं।
Tahajjud Ki Namaz Sunnat Hai Ya Nafil – तहज्जुद की नमाज़ सुन्नत है या नफील
✅ तहज्जुद की नमाज नफील है, लेकिन यह अंबिया (अ.स.) पर फर्ज थी।
✅ हमारे लिए सिर्फ 5 वक्त की नमाज फर्ज की गई है, लेकिन तहज्जुद को पढ़ने का बहुत बड़ा अज्र है।
नतीजा (Conclusion)
तहज्जुद की नमाज बेहद अहम और अज्र वाली इबादत है। यह गुनाहों की माफी, अल्लाह की करीबी, चेहरे पर नूर, और दुआओं की कबूलियत का सबसे अच्छा जरिया है।
अगर आप रोज तहज्जुद पढ़ने की आदत बना लें, तो यह आपकी आखिरत संवारने और दुनिया की परेशानियों से राहत पाने का सबसे बेहतरीन तरीका होगा।
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