शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
इस्लाम में Takabbur (घमंड) की हकीकत और नुकसान – कुरान और हदीस की रोशनी में
तक़ब्बुर (घमंड) इंसान को बर्बादी की तरफ ले जाता है। जानिए इस्लाम में तक़ब्बुर क्यों हराम है, इसके नुकसान, और इसे दूर करने के इस्लामी तरीके। कुरान और हदीस की रोशनी में पूरी जानकारी।
तक़ब्बुर (घमंड) क्या है?
इस्लाम में तक़ब्बुर यानी घमंड को एक बहुत बड़ा गुनाह माना गया है। तक़ब्बुर का मतलब है अपने आपको दूसरों से बेहतर समझना, लोगों को नीचा दिखाना और अपनी ताकत, धन या इल्म पर घमंड करना। यह इंसान के दिल में बुराई को जन्म देता है और अल्लाह के करीब जाने से रोकता है।
कुरान में अल्लाह फरमाते हैं:
“और ज़मीन पर घमंड से मत चलो, न तो तुम धरती को फाड़ सकते हो और न ही पहाड़ों की ऊँचाई तक पहुँच सकते हो।”
(सूरह अल-इसरा 17:37)
हदीस में आया है:
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जिसके दिल में राई के दाने के बराबर भी घमंड होगा, वह जन्नत में नहीं जाएगा।”
(सहीह मुस्लिम 91)
इससे साबित होता है कि इस्लाम में तक़ब्बुर को बहुत नापसंद किया गया है और यह जन्नत में जाने से रोकने वाला अमल है।
तक़ब्बुर क्यों हराम है? (इस्लामी नजरिया)
1. अल्लाह को घमंड करने वाले पसंद नहीं
कुरान में कई जगह पर अल्लाह ने साफ़ तौर पर तक़ब्बुर करने वालों को नापसंद किया है।
कुरान में अल्लाह फरमाते हैं:
“अल्लाह किसी भी तक़ब्बुर करने वाले और घमंडी को पसंद नहीं करता।”
(सूरह लुक़मान 31:18)
2. शैतान की सबसे बड़ी गलती तक़ब्बुर था
जब अल्लाह ने शैतान (इब्लीस) को आदम (अलैहिस्सलाम) को सजदा करने का हुक्म दिया, तो उसने घमंड किया और इंकार कर दिया।
कुरान में अल्लाह फरमाते हैं:
“और (याद करो) जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो, तो सभी ने सजदा किया सिवाय इब्लीस के। उसने इंकार किया और घमंड किया और काफ़िरों में से हो गया।”
(सूरह अल-बक़रा 2:34)
3. तक़ब्बुर इंसान को बर्बादी की तरफ ले जाता है
घमंड करने वाला इंसान खुद को सही मानता है और दूसरों की नसीहत नहीं सुनता। यह उसे गुमराही और बर्बादी की तरफ ले जाता है। फिर चाहे वह ताकत, दौलत, या इल्म पर घमंड करे, इसका अंजाम हमेशा बुरा ही होता है।
हदीस में आया है:
“तीन लोग ऐसे हैं जिन पर अल्लाह नज़र-ए-रहमत नहीं फरमाएगा – तक़ब्बुर करने वाला, अपने माँ-बाप की नाफरमानी करने वाला, और शराबी।”
(सहीह तिर्मिज़ी 1905)
तक़ब्बुर के नुकसान
✅ अल्लाह की नाराजगी मिलती है
✅ इंसान को दुनिया और आख़िरत दोनों में नुकसान होता है
✅ दिल सख्त हो जाता है और नेकी से दूर हो जाता है
✅ लोग ऐसे इंसान से नफरत करने लगते हैं
✅ यह इंसान को गुमराही की तरफ ले जाता है
हदीस में आता है:
“अल्लाह फरमाते हैं: बड़ाई (अज़मत) मेरी चादर है और घमंड मेरी चादर है, जो इनमें से किसी को मुझसे छीनने की कोशिश करेगा, मैं उसे अज़ाब दूँगा।”
(सहीह मुस्लिम 2620)
तक़ब्बुर से बचने के इस्लामी तरीके
1. तवाज़ो (विनम्रता) अपनाएं
हमेशा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करें।
लोगों को अपने से छोटा या कमतर न समझें।
2. अल्लाह का ज्यादा से ज्यादा जिक्र करें
अल्लाह की याद से दिल में नर्मी आती है और घमंड खत्म होता है।
पांचों वक्त की नमाज पाबंदी से पढ़ें और अल्लाह से दुआ करें।
3. हदीस और कुरान की तालीम को समझें
रसूलुल्लाह (ﷺ) सबसे बड़े इंसान थे, फिर भी वे सबसे ज्यादा विनम्र थे।
खुद को हमेशा अल्लाह का बंदा समझें और उसका शुक्र अदा करें।
4. सदका और ज़कात दें
तक़ब्बुर अक्सर दौलत और ताकत की वजह से आता है, इसलिए अपनी दौलत का एक हिस्सा गरीबों को दें।
5. गरीबों और जरूरतमंदों के साथ समय बिताएं
इससे घमंड दूर होता है और इंसान में इंसानियत और विनम्रता बढ़ती है।
नतीजा (Conclusion)
इस्लाम में तक़ब्बुर यानी घमंड को बहुत बड़ा गुनाह माना गया है। यह शैतान की सबसे बड़ी गलती थी, और यह इंसान को अल्लाह की रहमत से दूर कर देता है। हमें चाहिए कि हम अपने दिल से तक़ब्बुर को निकाल दें और तवाज़ो (विनम्रता) को अपनाएं।
आइए, हम अल्लाह से दुआ करें:
“ऐ अल्लाह! हमारे दिलों से तक़ब्बुर (घमंड) को निकाल दे और हमें तवाज़ो (विनम्रता) अपनाने की तौफीक दे।”
आमीन!
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