बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Universe: आसमान, ज़मीन, सूरज, चाँद और सितारों की तख़लीक – इस्लाम और साइंस की रोशनी में
अल्लाह तआला ने पूरे ब्रह्मांड (Universe) को हिकमत और ताकत से पैदा किया। इस्लाम में कायनात की तख़लीक (सृष्टि) का ज़िक्र कुरआन और हदीस में विस्तार से मिलता है। वहीं, साइंस भी इस बात की खोज कर रही है कि यह दुनिया कैसे बनी और इसकी असल हकीकत क्या है। आइए इस विषय को इस्लाम और साइंस दोनों की रोशनी में समझते हैं।
कायनात (Universe) की तख़लीक – इस्लाम की रोशनी में
अल्लाह तआला ने फ़रमाया:
“और वही है जिसने छः दिनों में आसमानों और ज़मीन को पैदा किया और उसका अर्श पानी पर था।”
(सूरह हूद: 7)
इस आयत से मालूम होता है कि अल्लाह ने पूरी कायनात (Universe) को छः दिनों में बनाया।
1. छः दिनों की तफ़सील – कौन से दिन क्या बना?
इस बारे में कुरआन में ज्यादा तफसील नहीं दी गई, लेकिन हदीस और दूसरी आसमानी किताबों से कुछ मालूमात मिलती हैं।
हदीस में तख़लीक़ का ज़िक्र
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
1. शनिवार (सनीचर) – ज़मीन (मिट्टी) बनाई गई।
2. रविवार (इतवार) – पहाड़ बनाए गए।
3. सोमवार – दरख्त (पेड़-पौधे) बनाए गए।
4. मंगलवार – नफ़रत (मक़रूह) चीजें बनाई गईं।
5. बुधवार – नूर (रोशनी) यानी सूरज, चाँद और सितारे बनाए गए।
6. गुरुवार – जानदार मख़लूक (जीव-जंतु) बनाए गए।
(सहीह मुस्लिम: 2789)
कायनात (Universe) की तख़लीक – इस्लाम की रोशनी में
1. बिग बैंग थ्योरी क्या कहती है?
आधुनिक विज्ञान कहता है कि ब्रह्मांड की शुरुआत एक बहुत बड़े विस्फोट (Big Bang) से हुई। यह विस्फोट करीब 13.8 अरब साल पहले हुआ था।
(A) इस्लाम और विज्ञान में समानता:
कुरआन में बताया गया है:
“क्या काफ़िरों ने नहीं देखा कि आसमान और ज़मीन आपस में जुड़े हुए थे, फिर हमने उन्हें अलग कर दिया?”
(सूरह अंबिया 21:30)
यह आयत ठीक उसी सिद्धांत की ओर इशारा करती है, जिसे आज वैज्ञानिक “बिग बैंग” के नाम से जानते हैं।
(B) कौन-कौन से वैज्ञानिक इस सिद्धांत को मानते हैं?
Georges Lemaître (1894-1966): सबसे पहले बिग बैंग थ्योरी का प्रस्ताव रखा।
Edwin Hubble (1889-1953): उन्होंने यह सिद्ध किया कि ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है।
Stephen Hawking (1942-2018): उन्होंने बिग बैंग थ्योरी के पक्ष में कई वैज्ञानिक प्रमाण दिए।
सूरज, चाँद और सितारों की तख़लीक
कुरआन में सूरज, चाँद और सितारों की तख़लीक का भी ज़िक्र मिलता है।
1. सूरज (शम्स) की तख़लीक
(A) कुरआन के अनुसार:
अल्लाह तआला ने फ़रमाया:
“और हमने आसमान को एक महफूज़ छत बनाया, और वे उसकी निशानियों से मुँह मोड़ते हैं। और वही है जिसने रात और दिन को बनाया, और सूरज और चाँद को पैदा किया। वे सब अपनी-अपनी कक्षा में तैर रहे हैं।”
(सूरह अंबिया: 32-33)
इससे मालूम होता है कि सूरज और चाँद एक तजर्बे के मुताबिक अपनी-अपनी कक्षा में घूमते हैं।
(B) विज्ञान के अनुसार:
सूरज एक गैसीय गोला है, जिसमें हाइड्रोजन और हीलियम गैसें मौजूद हैं।
इसका तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक होता है।
यह थर्मोन्यूक्लियर रिएक्शन के जरिए रोशनी और गर्मी पैदा करता है।
2. चाँद (क़मर) की तख़लीक
(B) कुरआन के अनुसार:
अल्लाह ने फरमाया:
“और उसने चाँद को उनमें नूर बनाया और सूरज को चमकता दिया।”
(सूरह नूह: 16)
(B) विज्ञान के अनुसार:
चाँद की कोई अपनी रोशनी नहीं होती, वह सूरज की रोशनी को परावर्तित करता है।
चंद्रमा की उत्पत्ति “Giant Impact Hypothesis” से हुई, जिसमें एक बड़ा उल्कापिंड पृथ्वी से टकराया और उसका एक टुकड़ा अलग होकर चाँद बना।
3. सितारों (नजूम) की तख़लीक
(A) कुरआन के अनुसार:
“हमने नज़दीकी आसमान को सितारों से सजाया और उन्हें शैतानों को मार भगाने का ज़रिया बनाया।”
(सूरह मुल्क: 5)
इस आयत से पता चलता है कि सितारे सिर्फ रोशनी के लिए नहीं बल्कि शैतानों को रोकने के लिए भी बनाए गए हैं।
(B) विज्ञान के अनुसार:
सितारे हाइड्रोजन और हीलियम से बने होते हैं।
जब हाइड्रोजन गैस परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) के जरिए जलती है, तो ऊर्जा और रोशनी उत्पन्न होती है।
सितारों की उम्र लाखों से अरबों साल तक होती है।
ब्रह्मांड का फैलाव (Expanding Universe)
1. कुरआन और विज्ञान में समानता
कुरआन में अल्लाह फरमाता है:
“और हमने आसमान को अपनी ताकत से बनाया और हम उसे लगातार फैला रहे हैं।”
(सूरह अज-जारियात 51:47)
2. विज्ञान कहता है:
एडविन हबल (Edwin Hubble) ने 1929 में खोज की कि ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है।
इस खोज के आधार पर “Expanding Universe Theory” आई।
इससे यह साबित होता है कि ब्रह्मांड किसी एक जगह स्थिर नहीं है, बल्कि यह निरंतर फैल रहा है।
उलमा के कौल (विद्वानों की राय)
इस मसले पर उलमा के अलग-अलग तफसीरात मिलती हैं:
1. इब्ने कसीर (रह.) की तफसीर
इब्ने कसीर (रह.) ने कहा:
“छः दिनों में कायनात की तख़लीक से मालूम होता है कि अल्लाह तआला के पास सब कुछ करने की ताक़त है, लेकिन उसने हिकमत और तदरीज (क्रमबद्धता) को पसंद किया।”
(तफसीर इब्ने कसीर)
2. इमाम तबरी (रह.) की राय
इमाम तबरी (रह.) ने कहा:
“पहले आसमानों को धुएँ (गैसों) की शक्ल में बनाया गया, फिर उन्हें मुकम्मल किया गया।”
(तफसीर अत-तबरी)
इस्लाम और साइंस का नजरिया
आज साइंस भी यह मानती है कि पहले कायनात गैस और धूल के गुबार की शक्ल में थी, और धीरे-धीरे उसने मुकम्मल सूरत इख्तियार की। यह कुरआन की इस आयत से भी मेल खाती है:
“फिर उसने आसमान की तरफ रुख किया और वह धुएँ (गैस) की शक्ल में था।”
निष्कर्ष
1. अल्लाह ने छः दिनों में आसमान और ज़मीन को बनाया।
2. हदीस के मुताबिक, अलग-अलग दिनों में मिट्टी, पहाड़, पेड़, रोशनी, जानदार मख़लूक और आदम (अ.) को बनाया गया।
3. सूरज, चाँद और सितारे अल्लाह की अज़मत की निशानियाँ हैं।
4. उलमा और साइंस भी इस बात की तस्दीख (पुष्टि) करते हैं कि कायनात पहले धुएँ (गैस) की शक्ल में थी।
अल्लाह हमें सही समझ दे और उसकी निशानियों में तफक्कुर (गहराई से सोचना) करने की तौफ़ीक़ दे। आमीन!
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