Seerat Un Nabi In Hindi – Part 1 : मक्का में नबी से पहले के हालात

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे Seerat Un Nabi In Hindi के बारे में की मक्का के मुसरिकिन का क्या था अखिदा और क्या उनके सर्क थे।

Seerat Un Nabi In Hindi – Part 1

Seerat Un Nabi In Hindi

आपको बता दे की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आखिरी नबी है और इन पे नाजिल की होई किताब कुरान मस्जिद अल्लाह की आखिरी आसमानी किताब है।

हालाकि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ही वो नबी है जिनके जरिए खुदा ने हमे दुनिया में मुकाबल तरीके से जिंदगी गुजारने का तरीका बता दिया है।

हालाकि इसे पहले बहुत से नबी आए मगर वो सिर्फ उस समय के लिए ही थे और उन कोमो के लिए ही भेजे जाते थे मगर आपको पूरी दुनिया के लिए रहमत बना कर भेजा गया है।

इसलिए अल्लाह ने कुरान में फरमाया है की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जिंदगी तुम्हारे लिए बेहतरीन नमूना है।

अब हमे Seerat Un Nabi In Hindi यानी नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जिंदगी की शुरवात करने से पहले हमे थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा यानी की मक्का का हाल क्या था और वह क्या अखिदा था यह पहले जानना पड़ेगा।

देखिए हम पूरे अरब की बात नही करने वाले क्युकी अगर हम वहा से बात करेंगे तो इब्राहिम अलेइहसल्लम के बात से ही शुरू करनी पड़ेगी इसलिए हम सिर्फ मक्का के शहर से शुरू करेंगे तो चलिए शुरू करते है।

यह बात तो थे है की मक्का में आबादी का आगाज हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम से हुआ और उनके बाद काफी हुकमूरन गुजरे थे हालाकि इस्माईल अलैहिस्सलाम की वजह से इब्राहिम अलैहि सलाम को मानने वाले और अल्लाह पर ईमान सब का था और वह तोहिद पर थे।

फिर बहुत समय गुजरने के बाद उन्होंने इस तालीम को बुला दिया हालाकि कुछ इब्राहिम अलैहि सलाम का आकामत को भूले नहीं और तोहिद उनमें बाकी थी।

शिर्क की शुरवात

फिर एक शक्श amr ibn luhay वहा आया हालाकि आपको बता दे की वह तोहिद पर ही था और इब्राहिम अलैहि सलाम के सारे आकामत को भी मानने वाला था तो लोग भी उससे मोहोब्बत करने लगे और उसको बड़ा आलिम मानने लगे।

फिर उस शक्श ने MULK E SHAAM का सफर किया तो उसने देखा की वहा बुत्तो की पूजा की जा रही थी तो उसने सोचा की यह तरीका भी अच्छा है तो वो वहा से हुबल बुत्त भी ले आया और उसे खाना काबा में रख दिया।

हालाकि आपको बता दे की MULK E SHAAM वह शहर है जहा बहुत से नबी आए और वहा खुदा की आसमानी किताबें भी नाजिल होई थी इसलिए उसने यह बुत लाने का इरादा कर था।

फिर उसको मक्का में रखने के बाद सबको इसके बारे में बताया तो सबने इस पर लबेक कहा और इस ही तरह अरब में बुत परस्ती का आगाज हुआ और धीरे धीरे ऐसे ही लोग बहुत से बूथ बना लिए गए।

बुत्तो से सिफारिश का अखीदे

फिर उन्होंने यह तरीका बना लिया की वो उन बूथों से मागते और यह उनका अखिदा था की यह बुत हमारी सिफारिश अल्लाह से करा देंगे।

और जब हज करने का महीना आता तो उनके आगे सिर को झुकते और उनके आगे गिरते पड़ते और सिफारिश की दुआ किया करते थे।

जानवरो पे गेरुला का नाम लेकर जीबा करना

फिर उनका एक अखीदा और बना की वो जानवरो को उनके पास लाके या फिर किसी भी जगह पर उनका नाम लेकर जिंबा किया करते थे।

बुत्तो के लिए हिस्सा निकलना

उनका एक अखीदा यह भी था की खाने पीने की चीज़े और खेती में से एक हिस्सा बूथों के नाम किया करते हालाकि एक हिस्सा अल्लाह के नाम पर भी किया करते थे बस असल बात यह थी की जब तंगी आ जाति तो अल्लाह का हिस्सा बूथों के नाम करने को राजी रहते मगर बूथों का हिस्सा अल्लाह के नाम नही करते थे उनको लगता था की बूथों का हिस्सा तो उन तक पॉच जाता है मगर अल्लाह का हिस्सा अल्लाह तक नहीं पोचता है।

बुत्तो के नाम की नियत करना

और एक अखीदा यह भी था की वो जब नियत किया करते थे तो बूथों का नाम लिया करते थे अल्लाह का नही इसलिए उनके उपर खेती का सामान और सवारी का पे सवार होना भी सही नि था क्युकी उसमे भी वो बूथों का नाम लिया करते थे।

जानवरो पे अतियाचार और अखिदा

और एक अखीदा यह भी था की अगर कोई उठनी से 10 बचे लगातार फीमेल होते तो ऐसी उठनी को आजाद छोड़ दिया जाता था उसपर सवारी भी नही होती थी और उसके बाल भी नही काटे जाते थे और मेहमान के सिवा उसका दूध कोई नही पिता था और जब भी यह फीमेल बचा देती तो उसका कान चिर दिया जाता और उसको भी इसके साथ छोड़ दिया जाता था।

और एक आखिदा यह भी था की एक बकरी से जब 2 2 करके 10 फीमेल बचे होते तो वह मां उन्ही का जोड़ा बना देती थी उसके बाद उनसे जो बचे होते उन्हे सिर्फ मर्द खा सकते थे औरत नही खा सकती थी और आपको बता दे की अगर कोई बचा मुर्दा पैदा होता तो उसको सभी खा सकते थे।

हालाकि यह सब जानवरो के साथ इस आखिदे से करते थे की उनको लगता था की यह बुत उसकी वजह से अल्लाह से हमारी सफरिश कर देंगे।

हालाकि आपको बता दे की अल्लाह ने कुरान इन सब की वजात कर दी थी की ना उन्हे यह बुत कोई फायदा दे सकते है और ना इनकी सिफारिश कर सकते है।

भविष्य सितारों पे ईमान

यह एक चीज पर भी ईमान रखते थे जिन्हे कइनी और नजूमी कहा जाता है हालाकि आपको बता दे यह दोनो यह बताया करते थे की दुनिया में आगे क्या आने वाला है और नाजूमी सितारों की रफ्तार देख कर यह अंदाजा लगाया करते थे हालाकि इन सब बातो को मानना सितारों पर ईमान लाना है।

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बदसागुनी का अखिदा

आपको बता दे यह बत्सागुनी पर भी ईमान रखते थे जैसे की एक चिड़िया या पक्सी के पास आते और उसको भागते अगर वो दाए तरफ जाता तो अच्छा सगुण माना जाता और वो बाए तरफ जाता तो अपसागुण माना जाता था और इसी तरफ अगर कोई जानवर रास्ता काट जाता तो उसे मानुष खयाल करते थे।

और एक यह भी था की वह खरगोश की हड्डी लटकते थे और जानवरो और औरते को मानुष समझते थे।

और हज के महीने में बहुत सी बिद्दातें किया करते थे जिनका खासा अल्लाह ने कुरान में कर रखा है।

तो यह थे उन सब के हाल इसलिए अल्लाह ने उनको मुसरिक कहा आपको बता दे की मुसरीक उनको कहा जाता है जो अल्लाह के तो मानते है मगर और लोगो की भी इबादत किया करते है जैसे वह बूथों की किया करते थे।

Conclusion

हमने इस पोस्ट में जाना की क्या है Seerat Un Nabi in Hindi और क्या था अरब के मुसलमानों का हाल और क्या थी इनकी बिद्दते और अखिदे अब हम पिलते है आपसे अगले पार्ट में पोस्ट अगर पसंद आए तो अपने भाइयों तक शेर करे ताकि उनको भी दिन की समझ हो जाए।

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