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भारत की मुस्लिम हुकूमत का Part – 3 : Muhammad Ghori

इस लेख में हम मोहम्मद ग़ौरी (Muhammad Ghori) के इतिहास को विस्तार से जानेंगे। क्या वास्तव में पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) ने मोहम्मद ग़ौरी को मारा था? भारत में मोहम्मद ग़ौरी की हुकूमत कैसी रही? इन सभी सवालों के जवाब आपको यहाँ मिलेंगे।

मोहम्मद ग़ौरी का प्रारंभिक जीवन (Mohammad Ghori History In Hindi)

गज़नी शहर के पास एक और इलाका था, जिसे Ghor कहा जाता था। यह क्षेत्र पहले गज़नी सल्तनत के अधीन था।

जब गज़नवी सल्तनत कमजोर होने लगी, तब घोर का शासक बहाउद्दीन साम बना। उसके दो बेटे थे:

1. गयासुद्दीन गौरी

2. मोइज़ुद्दीन मोहम्मद

मोइज़ुद्दीन मोहम्मद का असली नाम सियाबुद्दीन मोहम्मद था, जिसे दुनिया बाद में मोहम्मद ग़ौरी के नाम से जानने लगी। इनका जन्म 1149 ईस्वी में अफगानिस्तान के घोर शहर में हुआ था।

और यह बचपन से ही इतने बहादुर थे की बड़े बड़े जाबाज आपसे साला लिया करते थे और बड़ा जाबाज कमांडर भी था।

(मध्यकालीन भारत का इतिहास (Medieval India), एनसीईआरटी, 2000।)

(Tabaqat-i-Nasiri, अंग्रेजी अनुवाद: Henry G. Raverty, 1881।)

मोहम्मद ग़ौरी का राज्यारोहण

1163 में गयासुद्दीन मोहम्मद घोर का सुल्तान बना, लेकिन उसने अपने भाई मोहम्मद ग़ौरी को भी सत्ता में भागीदार बना लिया। दोनों ने मिलकर अपने राज्य का विस्तार किया और 1173 में गज़नी पर कब्ज़ा कर लिया।

फिर वहा का सुलतान मोहम्मद गोरी बन गया अब यह से शुरू होता है मोहम्मद ग़ौरी का सफर।

(Early History of India, Clarendon Press, 1908।)

मोहम्मद ग़ौरी की पहली लड़ाई (Muhammad Ghori Ki Pehli Jung)

आपको बता दे की Muhammad Ghori (मोहम्मद ग़ौरी) का एक ही सपना था अपनी सल्तनत को फैलाना और इस्लामी हुकूमत को कायम करना इसलिए वह उठा और अपने भाई के साथ मुल्तान को फतेह करने निकल पड़ा।

मुल्तान में कर्मतियां जो एक सिया हुकूमत थी यह हुकूमत अबासिया को नही मानती थी इसलिए 1175 में मोहम्मद ग़ौरी ने मुल्तान को फतेह कर लिया था

इसके बाद उसने उच (पाकिस्तान के पंजाब में स्थित एक इलाका) को भी अपने कब्ज़े में ले लिया।

फिर धीरे धीरे Muhammad Ghori (मोहम्मद ग़ौरी) ने पाकिस्तान के इलाको को फतेह कर लिया था मगर अभी लाहौर बचा हुआ था लाहौर में गजनवी सल्तनत आखिरी सांसें ले रही थी फिर मोहम्मद ग़ौरी ने लाहौर पर इतना खतरनाक हमला किया की गजनवी सल्तनत की आखिरी सांसें भी बंद हो गई और चारो तरफ गोरी सल्तनत हो गई।

(Tabaqat-i-Nasiri, Bibliotheca Indica Series, 1881।)

भारत पर मोहम्मद ग़ौरी के आक्रमण (Muhammad Ghori Ka Bharat Per Hamla)

फिर 1176 में मोहम्मद ग़ौरी ने कहा अब हिंदुस्तान को फतेह करने का वक्त आ गया है

(Cambridge History of India, Vol 3: The Delhi Sultanate, Cambridge University Press, 1928।)

1. पहला आक्रमण (1178) – गुजरात में हार

मोहम्मद ग़ौरी ने 1178 आधी सेना को लेकर गुजरात के राजा मूलराज सोलंकी पर हमला किया, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा। यह उसकी भारत में पहली हार थी।

(Tabaqat-i-Nasiri, अंग्रेजी अनुवाद: Henry G. Raverty, 1881।)

2. दूसरा आक्रमण (1191) – तराइन का पहला युद्ध

फिर 1191 में मोहम्मद ग़ौरी भारत के लिए अपनी बड़ी सेना लेकर निकल गया और भारत के ख़बर से पंजाब तक पॉच गया और भटिंडा के किले को फतेह कर लिया।

आपको बता दे की उस समय किसी किले को फतेह करना अपनी हुकूमत का झंडा गाड़ना माना जाता था।

फिर यह खबर राजपूत राजा Prithviraj Chauhan (पृथ्वीराज चौहान) को पता चली तो वह घबरा गया की अगर मोहम्मद ग़ौरी इसी तरह फतेह करता रहा तो हिंदुस्तान को भी फतेह कर सकता है।

आपको बता दे की पृथ्वीराज चौहान की हुकूमत राजेश्तान हरियाणा और पंजाब मदेय परदेश के कुछ हिस्सों तक थी और अजमेर पृथ्वीराज चौहान का गढ़ था।

फिर Prithviraj Chauhan (पृथ्वीराज चौहान) उठा और अपनी लाखो की सेना को लेकर निकल पड़ा और मोहम्मद ग़ौरी ने भी सेना को लेकर निकल पड़ा फिर जंग होई आपको बता दे की मोहम्मद ग़ौरी की सेना पृथ्वीराज चौहान की सेना से कम थी।

(A) युद्ध का परिणाम:

पृथ्वीराज चौहान की सेना अधिक शक्तिशाली थी।

युद्ध में गौविंद ताई (पृथ्वीराज चौहान का भाई) ने मोहम्मद ग़ौरी को घायल कर दिया।

मगर Muhammad Ghori (मोहम्मद ग़ौरी) फिर भी लड़ता रहा और गोविंद ताई को भी घायल करके ही छोड़ा।

मोहम्मद ग़ौरी युद्ध के मैदान में बेहोश हो गया।

कुछ सैनिकों ने मोहम्मद ग़ौरी को उठाया और अफ़गानिस्तान ले जा कर जान बचाई

ग़ौरी की सेना भागने लगी, जिससे यह युद्ध राजपूतों की जीत में समाप्त हुआ।

(A Comprehensive History of India, Vol 5: The Delhi Sultanate, 1970।)

1192 – तराइन का दूसरा युद्ध (Muhammad Ghori And Prithviraj Chauhan War)

मोहम्मद ग़ौरी ने कसम खाई कि जब तक वह बदला नहीं लेगा, तब तक न अच्छे कपड़े पहनेगा, न आराम करेगा।

फिर 1 साल बाद ही यानी 1192 में ही Prithviraj Chauhan (पृथ्वीराज चौहान) को खत भेजा की अगर तुम भलाई चाहते हो तो अपनी हुकूमत मेरे हवाले कर दो वरना ऐसे अंजाम होगा जो तुमने सपने में भी ना सोचा होगा।

फिर यह खेत पड़ कर पृथ्वीराज चौहान हसने लगा और कहने लगा ये आदमी पागल है अभी मुझसे हार के गया है फिर भी धमकी दे रहा है।

हालाकि आपको बता दे की Prithviraj Chauhan (पृथ्वीराज चौहान) के मन में यह चल रहा था की इतनी जल्दी 1 साल में ही वापस जंग करना चाहता है यह आम बात नही इसलिए फिर पृथ्वीराज चौहान ने अपने आस पास के राजा को बुलाना शुरू कर दिया था।

मगर कुछ राजा Prithviraj Chauhan (पृथ्वीराज चौहान) के साथ नही आए जिनमे से एक कन्नौज का सबसे ताकतवर राजा जिसका नाम जयचंद है वो भी इस जंग में सामिल ना हुआ।

आपको बता दे की राजा जयचंद की बेटी को Prithviraj Chauhan (पृथ्वीराज चौहान) भागा कर अपने राज में ले आता है और शादी कर लेता है बस इस कारण ही उसने साथ नही दिया था।

लेकिन फिर भी पृथ्वीराज चौहान काफी सेना लाखो में ले आया जबकि Muhammad Ghori (मोहम्मद ग़ौरी) के पास बहुत जायदा काम सेना थी हालाकि आपको बता दे पृथ्वीराज चौहान ने गमंद में आकर कहा था की इन चांद मुसलमान को तो में चुटकी में हरा दूंगा।

1. युद्ध की रणनीति:

1192 में, ग़ौरी ने अपनी सेना को पाँच भागों में बाँट दिया:

चार समूहों ने सामने से हमला किया।

पाँचवां समूह पीछे छिपा रहा।

जब पृथ्वीराज चौहान ने ग़ौरी की सेना को कमजोर होते देखा, तो उसने सोचा कि वह फिर से जीत जाएगा। लेकिन तभी ग़ौरी ने अपने पाँचवें समूह को भेजा और पृथ्वीराज की सेना चारों ओर से घिर गई।

2. युद्ध का परिणाम:

पृथ्वीराज चौहान पराजित हुआ और उसे बंदी बना लिया गया।

शुरुआत में मोहम्मद ग़ौरी ने उसे माफ कर दिया और अजमेर का राजा बना दिया।

लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने फिर से विद्रोह किया, जिससे ग़ौरी ने उसे मार डाला।

(A Comprehensive History of India, Vol 5: The Delhi Sultanate, 1970।)

भारत में मोहम्मद ग़ौरी की विजय

फिर कुछ समय ही बाद Muhammad Ghori (मोहम्मद ग़ौरी) ने हंदुस्तान को फत्तेह करना शुरू कर दिया और कही राजा को हालाकि आपको बता दे कही राजपूत राजा ने ऐसे ही घुटने टेक दिए थे।

1194 में, उसने कन्नौज के राजा जयचंद को हराया।

धीरे-धीरे मोहम्मद ग़ौरी ने आधे हिंदुस्तान पर कब्ज़ा कर लिया।

उसने पृथ्वीराज चौहान के भाई को अजमेर का राजा बना दिया।

1202 में, ग़ौरी के भाई की मृत्यु हो गई, जिससे ग़ौरी पूरे साम्राज्य का एकमात्र शासक रह गया।

आपको बता दे की एक सेनापति जिसका नाम Qutubuddin Aibak था वो मोहम्मद ग़ौरी के साथ हर जंग में शामिल और बहादुर था इसलिए मोहम्मद ग़ौरी उसे हिंदुस्तान की हुकूमत दे कर वापस अपने शहर अफ़गानिस्तान आता है।

(दिल्ली सल्तनत का इतिहास (The Delhi Sultanate), ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 2012।)

मोहम्मद ग़ौरी की मृत्यु (Muhammad Ghori Ki Maut)

1206 में, मोहम्मद ग़ौरी अफगानिस्तान वापस लौटने के लिए रवाना हुआ। रास्ते में पाकिस्तान के पंजाब में उसने आराम किया।

1. हत्या का षड्यंत्र:

जब वह नमाज अदा कर रहा था, तभी किसी ने उस पर तलवार से हमला कर दिया।

मोहम्मद ग़ौरी की मौके पर ही मृत्यु हो गई।

(The History of India, as Told by Its Own Historians, 1867।)

उत्तराधिकारी कौन बना?

ग़ौरी की कोई औलाद नहीं थी। उसने कहा था,

“मेरी औलाद मेरे बहादुर सैनिक हैं, उन्हीं में से किसी को मेरा उत्तराधिकारी बना देना।”

इसलिए उसके सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को भारत का शासक बनाया गया, जिसने दिल्ली सल्तनत की नींव रखी।

(A Comprehensive History of India, Vol 5: The Delhi Sultanate, 1970।)

निष्कर्ष (Conclusion)

मोहम्मद ग़ौरी एक महान योद्धा था, जिसने भारत में मुस्लिम शासन की नींव रखी।

उसकी मृत्यु के बाद, उसका सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का पहला सुल्तान बना।

अगले भाग में हम कुतुबुद्दीन ऐबक की हुकूमत के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Also Read: भारत की मुस्लिम हुकूमत का Part – 4 : Qutubuddin Aibak

➡ भारत की मुस्लिम हुकूमत (Part – 2) : महमूद गजनवी

➡ भारत की मुस्लिम हुकूमत (Part – 1) : मुहम्मद बिन कासिम

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