Ashura Ka Roza : 10 Muharram Ke Roze Ki Fazilat

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

आज हम जानेंगे की Ashura Ka Roza Kyu Rakha Jata Hai इस रोजे का क्या सावाब मिलता है और 10 Muharram यानी की आशूरा के दिन क्या हुआ था।

Ashura Ka Roza

Ashura Ka Roza

Ashura Ke Roze Ka Time – आशूरा का रोजा कब रखना चाहिए

हदीस – आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से जब पूछा गया की 10 Muharram को तो यहूदी और नसरना रोजा रखते है तो आपने फरमाया इंशाअल्लाह अगले साल हम 9 का रोजा रखेंगे और फिर अगले साल आ ना पाया आप इस दुनिया से रुखसत कर गए इसलिए हम 9,10 का रोजा रखते है।

(सही मुस्लिम 2666)

नोट – आज उलेमा कहते है की हमे 9,10 या 10,11 का रोजा रखना चहिए ताकि यहूदियों की मुखालिफत हो और अगर कोई 10 Muharram का भी रखना चाहे तो कोई हर्ज नहीं।

हदीस – नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने आशूरा (Ashura) की सुबह अंसार के मोहोलो में खबर बेझी की जिसने सुबह खा भी लिया हो तो बाकी दिन रोजे की तरह पूरा करे और जिसने ना खाया हो वो रोजे से रहे क्युकी रमजान के रोजे की फजीलत के बाद हम इस दिन का रोजा रखते और अपने बच्चो से भी रखवाते थे।

(सही बुखारी 1960)

नोट – आशूरा (Ashura) का रोजा आपने अपने बच्चो को भी रखने का हुकुम दिया करते थे।

हदीस – जब नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम जब मदीना तसरीफ लाए तो आपने देखा की यहूदी आशूरा (Ashura) के दिन रोजा रखते है जब आपने पूछा तो फरमाया ये वो दिन हैं जिस दिन मूसा अलैहिस्सलाम को फिरोन से निजात दिलाई थी इसलिए वो रोजा रखते है तो आपने फरमाया हम मूसा अलैहिस्सलाम से जायदा करीब है फिर इस Ashura Ka Roza रखने का हुकुम फरमाया।

(सही बुखारी 3943)

(सही बुखारी 2004)

(सही बुखारी 3397)

नोट – जब बनी इस्राइल कॉम को मूसा अलैहिस्सलाम ने फिरोन से निजात दिलाई तो वो दिन 10 Muharram यानी आशूरा (Ashura) का था और उस दिन मूसा अलैहिस्सलाम ने रोजा रखने का हुकुम दिया था इसलिए यहूदी 10 Muharram (Ashura) का रोजा रखा करते है तो आपने भी हुकुम दिया की तुम भी रखा करो।

हदीस – यहूदी आशूरा (Ashura) के दिन रोजा रखते थे और इस दिन ईद मानते थे और अपनी औरतों को जेवर पहनाते और सिंगार करते तो नबी सल्लालाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम भी 10 Muharram के दिन रोजा रखो।

(सही मुस्लिम 2661)

नोट – हालाकि यहूदियों के लिए ये दिन ईद का दिन भी खेलता था मगर नबी सल्लालाहू अलैहि वसल्लम ने हमे सिर्फ रोजा रखने को हो गया गया।

हदीस – आयशा रजी अल्लाहु अन्हू फरमाते है की जब नबी सल्लालाहू अलैहि वसल्लम मदीना तारीफ लाए तो आपने फरमाया Ashura Ka Roza रखे फिर जब Ramzan Ke Roze फर्ज होए तो फरमाया जिसके इच्छा हो वो रखे जिसकी इच्छा ना हो वो ना रखे।

(सही बुखारी 3831)

(सही मुस्लिम 2641)

नोट – जब रमजान के रोजे फर्ज होए तो आपने आशूरा का रोजा रखने पर इतना जोर नही दिया क्युकी Ashura Ka Roza सुन्नत था।

आशूरा के रोजे की फजीलत – Ashura Ke Roza Ki Fazilat

हदीस – नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया सब रोजों में से अफजल रोज रमजान के बाद मोहर्रम के रोजे है जो अल्लाह का महीना है।

(सही मुस्लिम 2755)

नोट – रमजान के रोजों के बाद जो सबसे अफजल रोजा बताया गया वो Ashura Ka Roza था क्युकी ये अल्लाह ताला का महीना है।

हदीस – आशूरा (Ashura) का रोजा पिछले 1 साल के गुना माफ का कुफ्फरा है।

(सही मुस्लिम 2746)

नोट – आशूरा (Ashura) के रोजे की फजीलत ये है की पिछले 1 साल के गुना माफ हो जाते है।

Ashura Ke Din Kya Hua Tha – आशूरा के दिन क्या हुआ था

कुरान – मूसा अलैहिस्सलाम और उनके साथी तो रात को ही निकल गए और जब लोगो ने उनका पीछा करा यह तक की सुबह वो इतने करीब आ गए की एक दूसरे को देखने लगे तो मूसा अलैहिस्सलाम के साथी हैरान हो गए और कहने लगे की अब तो पकड़े गए तो मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा हरगिज नहीं मेरे साथ मेरा अल्लाह है कोई रास्ता निकलेगा तो हमने मूसा अलैहिस्सलाम को वही बिजी की अपनी छड़ी दरिया में मारो फिर दरिया टुकड़े टुकड़े हो गया जैसे की हर टुकड़ा एक पहाड़ था फिर हमने मूसा अलैहिस्सलाम और उनके साथी को वहा से निकल दिया और फिरोन और उसके साथी को डूबा कर हलाक कर दिया।

(सूरह अस सुरा 26:61-62-63)

नोट – मूसा अलैहिस्सलाम जो की हमारे नबी है उनको बनी इस्राइल कॉम के लिए बेजा गया था ताकि जो मिस्र का बादशा जिसे हम फिरोन नाम से जानते है वो लोगो पे काफी जुल्म करा करता था और खुद को खुदा बोलता था इसलिए अल्लाह ने नबी मूसा अलैहिस्सलाम को बेजा था और कॉम के लिए इसलिए भी बेजा था ताकि तुम अल्लाह का एहसान मानो मगर उन्होंने ना फरमानी की और जो समझा उनके लिए अल्लाह के जन्नत के वादे है और आशूरा (Ashura) के दिन ही फिरोन से निजात मिली और आपने रोजा रखा।

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1. Ashura Ke Din Kya Karna Chahie – आशूरा के दिन क्या करना चाहिए

नोट – आशूरा (Ashura) के दिन हमे रोजे रखना चाहिए क्युकी मूसा अलैहिस्सलाम को इस दिन फिरोन से निजात मिली थी मगर यहूदियों की मुखालिफत के लिए हमे 9,10 या 10,11 का रोजा रखना चाहिए इसके इलावा कुछ हदीस से साबित नही ना सरबत बाटना ना कोई नमाज ना दुआ।

2. Ashura 10 Muharram : आशूरा 10 मोहरम

नोट – आशूरा (Ashura) मोहर्म की 10 तारिक को आता है जो अल्लाह का महीना है।

Conclusion

आज हमने इस आर्टिकल में जाना Ashura Ka Roza क्यों रखा जाता है और हमे कब रखना चाहिए।

अल्लाह हमे इस दिन रोजा रखने और दिन को समझने की तोफिक आता फरमाए आमीन।

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