बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
नमाज पढ़ने का तरीका – सीखें सही तरीका (Quran और हदीस से) Step By Step
नमाज का सही तरीका हिंदी में सीखें, क़ुरआन और हदीस की रोशनी में।नमाज़ पढ़ने का तरीका(Namaz Ka Tarika Step By Step) जानें और सही इस्लामिक तरीके से अदा करें।
नमाज का तरीका क्या है ? आसान और सुन्नतों के मुताबित कौनसी नमाज़ कितनी रकात होती है, नमाज़ की क्या शर्ते है, और औरतों और मर्दो की नमाज़ में क्या फर्क है इन तमाम बातो की जानकारी के लिए नमाज़ पढ़ने का तरीका Step by step में जाने।
नमाज़ से जुड़े कुछ अहम बातें जो याद रखें
1. 5 Pillars of Islam In Hindi – Islam Ki Buniyad
हदीस:इस्लाम की बुनियाद 5 चिज़ो पे कायम है।
- यह गवाई देना की अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही और बेशक नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के सच्चे रसूल है।
- नमाज कायम करना।
- जकात अदा करना।
- हज करना।
- रमजान के रोजे रखना।
(सही बुखारी – 08)
2. कायम के दिन सबसे पहले सवाल नमाज का होगा।
हदीस : कयामत के दिन सबसे पहला सवाल नमाज का होगा, अगर वो ठीक रही तो उसके आमाल ठीक होंगे और अगर वो खराब निकली तो उसके सारे आमाल खराब हो जायेंगे।
(अल अस्वत, सही अल जमी – 2573)
3. नमाज बुराई से रोकती है।
Quran : और नमाज कायम करो बेशक नमाज बुराई और बेहयाई से रोकती है।
(सूरह अल अल्काबुत – 29:45)
4. नमाज और कुफ्र
हदीस : बेशक आदमी और सिर्क और कुफ्र के दरमियान (फासले मिटाने वाला अमल) नमाज को छोड़ना है।
(सही मुस्लिम – 83)
5. नमाज के जरिए अल्लाह की मगफिरत
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अगर किसी के दरवाजे पर नहर जाति हो और वो उसमे रोजाना 5 – 5 दफा नाहे तो क्या खयाल है, उसके बदन में मेल बाकी रह सकता है। सहाबा किराम ने कहा नही या रसुलूलाह हरगिज नही, आपने फरमाया यही हाल 5 वक्त की नमाज का है। अल्लाह रब्बुल आलमिन नमाज के जरिए गुनाओ को मिटा देता है।
(सही बुखारी – 528)
6. नमाज से अल्लाह की मदद मिलती है।
Quran : ए ईमान वालो सबर और नमाज के जरिए अल्लाह की मदद चाहो अल्लाह सबर करने वालो के साथ है।
(सूरह अल बकरा – 2:153)
7. नमाज से अल्लाह को याद करना
Quran : और मेरी याद के लिए नमाज कायम करो।
(सूरह ताहा – 20:14)
8. नमाज से दिल को तसल्ली मिलती है।
Quran : जो लोग ईमान लाए उनके दिल अल्लाह के जीकर से इत्मीनान हासिल करते है। याद रखो अल्लाह ही के जीकर से दिल्लो को तसल्ली हासिल होती है।
(सूरह अर राड्ड – 13:28)
नमाज की शर्तें – Namaz rules and regulations
1. नमाज में सुन्नत पर अमल करना
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया नमाज उस तरह पड़ो जिस तरह मुझे पड़ता देखो, यानी की नमाज़ पढ़ने का तरीका(Namaz Ka Tarika Step By Step)वही है, जिस तरह नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नमाज पढ़ी थी।
(सही बुखारी – 7246)
नोट – आज जो लोगो ने मुख्तलिफ नमाज़ पढ़ने का तरीका बना रखा है, वो सुन्नत नही बल्कि सुन्नत वही है, जो नबी की नमाज का तरीका था।
2. नमाज को रफ्तार से ना पड़ा करो
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक शक्श से फरमाया जो तेजी से नमाज पड़ रहा था। फरमाया जाओ वापस नमाज पड़ो तुमने नमाज नही पड़ी और फिर जब रुकु में जाओ तो सुकून से जाओ और जब खड़े हो तो सुकून से खड़े हो और जब सजदे में जाओ तो सुकून से जाओ और जब बैठो तो सुकून से बैठो और फिर सजदे में जाओ तो सुकून से जाओ, इस तरह नमाज़ पढ़ने का तरीका(Namaz Ka Tarika Step By Step)अदा करो।
(सही बुखारी – 6667)
3. दुआ का तरीका – Namaz Ki Duaen
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम अल्लाह से दुआ मांगों और इस यकीन से मांगो की तुम्हारी दुआ कबूल होगी और अच्छी तरह जान लो की अल्लाह बेपरवाही और बेतावज्जुही मांगी होई गफलत और खेल कूद में मुबतला दिल की दुआ कबूल नही करता है।
(जामिया त्रिमधी – 3479)
4. नमाज को उसके वक्त पर पड़ा करो
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा गया अमल में सबसे अफजल अमल कोनसा है, आपने फरमाया नमाज को उसके अव्वल वक्त पर अदा करना।
(सुन्न अबू दाऊद – 426)
हदीस : यकीनन नमाज मोमिनों पर मुकरर्र वक्त पर फर्ज है।
(सुरह निसा – 4:103)
5. ईशा की नमाज में देर करना
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कभी ईशा जल्दी पढ़ाते कभी देर से, जब देखते लोग जमा हो गए तो जल्दी पड़ाते और जब लोग देर से जमा होते तो देर से पढ़ाते।
(सही बुखारी – 560)
6. जमात के साथ नमाज पढ़ना
हदीस : जमात के साथ नमाज अकेले नमाज पढ़ने से 27 दर्जा फजीलत रखती है।
(सही बुखारी – 645)
7. नमाज में घुसल होना जरूरी है।
हदीस : अल्लाह रब्बुल आलमिन नमाज को बगैर घुसल के कबूल नही करता है।
(सही मुस्लिम – 224)
8. वुजु के बिना नमाज अधूरी है।
हदीस : अबू हुरैरा रजी अल्लाहु अन्हू बयान करते है। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिस आदमी का वुजू टूट जाए उसकी नमाज कबूल नही होता जब तक की वो वुजू ना कर ले।
(सही बुखारी – 135)
Wuzu Ka Tarika – वजू का तरीका हिंदी में
9. मर्द के सत्तर
हदीस : जो नाफ और गुटनों के दरमियान है, वो सत्तर है।
(सही अल जमी – 5583)
हदीस : अपनी रान को ढको क्युकी रान सत्तर है।
(मुस्तर्दक अहमद – 6684)
हदीस : तुम में से कोई भी हरगिज नमाज ना पढ़े एक लिबास में जिसका कोई भी होसा उसके कंधो तक ना हो।
(सुन्न निसाई – 769)
10. औरतों को किम्मार (चादर) में नमाज पढ़ना
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो औरत हेज की उमर तक पोंछ चुकी है, उसकी नमाज अल्लाह रब्बुल आलमिन कबूल नही करता है, जब तक की को अपना किमार (चादर) ना पहनी हो।
(सुन्न अबू दाऊद – 641)
11. नमाज में अपना चेहरा मस्जिदे हरम की तरफ करो
Quran : ए नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपना चेहरा मस्जिदे हरम की तरफ फेर ले और आप जहा कही हो अपना चेहरा उसी तरफ फेरा करे।
(सुरह अल बकरा – 2:144)
12. नमाज में नियत होना जरूरी है।
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तमाम अमाल का दरमदार नियत पर है और हर शक्श के लिए वही है, जो वो नियत करे।
(सही बुखारी – 01)
Note – नियत दिल के इरादे के नाम है और बोलकर करना जायज नहीं जिसने बोल कर की उसने बिदअत की
हदीस : हर नए इजाज बिदअत है और हर बिदअत गुमराई है और हर गुमराइ जहन्नुम में ले जायेगी।
(सुन्न निसाई – 1578)
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिसने ऐसा कोई अमल किया जिस पर मेरा हुकुम नही तो वो अमल मरदूद है।
(सही मुस्लिम – 1718)
13. नमाज का वक्त हो जाए और क़ाज़ाई हाजत की जरूरत हो
हदीस : जब तुम में से किसी को क़ाज़ाई हाजत की जरूरत पेस आ जाए और नमाज खड़ी हो चुकी हो तो पहले क़ाज़ाई हाजत के लिए जाए।
(सुन्न अबू दाऊद – 88)
(सही अल जमी – 299)
14. नमाज का वक्त हो जाए और खाना सामने हो
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया नमाज नही पड़ने चाहिए जब खाना सामने हो।
(सही मुस्लिम – 560)
15. ऐसी जगह नमाज ना पड़ा करो
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम लोग सोए होए शक्श के पीछे नमाज ना पढ़ो और ना बात करने वाले के पीछे।
(अबू दाऊद – 694)
(सही अल जमी – 7349)
16. नमाज में कोई सामान आगे रखना
हदीस : आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जब तुम में से कोई अपना सामान पालन की पिछली लकड़ी के बराबर रख ले तो नमाज पड़े और परवा ना करे चाहे की चीज उसके आगे से गुजर जाए।
(सही मुस्लिम – 499)
17. अल्लाह की इबादत ऐसे करा करो
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया एहसान यह है की आप अल्लाह की इबादत ऐसे करे की आप अल्लाह को देख रहे हो नही तो यह सोच ले की अल्लाह आपमो देख रहा है।
18. कोई बीमारी हो या बेवा हो तोभी नमाज पड़नी है।
हदीस : इमरान बिन हुसैन रजी अल्लाहु अन्हू कहते है की मुझे बवासीर की बीमारी थी तो मैंने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से नमाज के बारे में पूछा तो आपने फरमाया खड़े होकर नमाज पड़ो और अगर यह भी नही कर सकते हो बैठ कर नमाज पड़ो और अगर यह भी नही कर सकते तो लेट कर नमाज पड़ो।
(सही बुखारी – 1117)
नमाज की विधि:
1. रफायेदें करना
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नमाज शुरू करते वक्त अपने दोनो हाथ कंधो तक उठाते इसी तरह रुकु के लिए जाते तो अपने हाथो को कंधो तक उठाते फिर जब रुकु से उठते तो अपने हाथ को कंधो तक उठाते फिर सजदे में जाते थे।
(सही बुखारी – 735)
(Sahih Muslim – 391)
2. कंधे और पैर को मिला कर खड़े होया करो
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया सफेएं बराबर कर ले, में तुम्हे अपने पीछे से भी देखता हूं। हजरत अनस फरमाते है की हम कंधे से कंधा और पैर से पैर मिला कर खड़े होते थे। क्युकी नबी फरमाते थे की में देखता हूं शैतान सफ्फो में से निकलता है इसलिए करीब करीब पैर मिला कर खड़े हुआ करो।
(सही बुखारी – 725)
(Abu Daud – 667)
3. नमाज में निगाओ को कहा रखे
हदीस : आयशा रजी अल्लाहू अन्हू बयान करती है। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नमाज में निगाओ को नीचे रखा करते थे, और इधर उधर देखने से मना फरमाया है।
(अल मुस्ताद – 1761)
(सही बुखारी – 751)
4. नमाज में हाथ कहा और कैसे बांधे
हदीस : साहल बिन साअद बयान करते है की लोगो को हुकुम दिया जाता था, के दाए हाथ बाए हाथ पर रखे और उसको सीने पर रखे और उसको पकड़ ले।
(सही बुखारी – 740)
(सुन्न निसाई – 887)
5. सना पड़ा करो – Namaz Se Pehle Ki Sana
हदीस : In Kalamat Ke Zariya
(सही बुखारी – 399)
“फिर आउजुबिला हिमिंस शैतानी राजिम बिस्मिल्ला अर रहमान हीर रहीम पड़े।”
नोट – कुरान शुरू करने से पहले शैतान को हटाने के लिए पड़ी जाति है।
6. सुरह फातिहा वाजिब है।
हदीस : उस शक्श की नमाज नही जो सुरह फातिहा नही पड़ता है और अगर ईमान के पीछे भी हो तब भी मन में पड़ना है और इमाम के पीछे सुरह फातिहा तक ही मन में पड़े फिर बाकी की सुरह को सुन लिया करे, लेकिन अकेले पड़ो तो भी तुम सुरह फातिहा तक पड़ सकते हो और अगर जायदा पड़ना चाहो तो बेथर है।
(सही बुखारी – 756)
(सही मुस्लिम – 394)
(सही मुस्लिम – 395)
(सुन्न अबू दाऊद – 823)
Surah Fatiha In Hindi Tafseer Ke Saath
7. Ameen kehna
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया की जब इमाम कहे गैरील मगजूबी अलेहिम वालज जुआलिन तो तुम आमीन कहो और आवाज बुलंद करो क्युकी जिसका आमीन फरिस्तों के आमीन से मिल गया तो उनके गुना माफ कर दिए जाएंगे।
(सुन्न अबू दाऊद – 932/863)
(सही बुखारी – 780)
(सही मुस्लिम – 410)
8. Jab Namaz Me Sheitan Bula De
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया की जब नमाज में शैतान खयालात डाले या नमाज भुला दे तो तुम आउजुबुल्लाह पड़ो और 3 बार दाएं तरफ तुक्को।
(सही मुस्लिम – 2203)
9. नमाज में गलती करना
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया की जब रुकु में जाओ तो पीट सिदी हाथ कानो के यह तक रखो और सजदे में जाओ तब भी अपनी पीट सिदी रखो और घुटनों को पकड़ो और हाथ फैला कर रखो।
(मुस्नद अहमद – 22642)
(सही अल जमी – 986)
(अबू दाऊद – 859)
(अबू दाऊद – 855)
(अबू दाऊद – 734)
10. Ruku Me Padne Wali Dua – नमाज में रुकू में क्या पढ़ा जाता है
1. Ruku Ki Dua
हदीस : रुकु में शुबान रबियल अज़ीम 3 मर्तबा पड़ा करो।
(सही मुस्लिम – 772)
2. Ruku Or Sajde Ki Dua
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रुकु और सजदे में शुबानाका अल्लाहुम्मा रब्बाना वा बि हमदिका अल्लाहुम्म मगफीरली भी पड़ा करते थे।
(सही बुखारी – 794/817)
(सही मुस्लिम – 484)
3. Ruku Or Sajde Ki Dua
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रुकु और सजदे में यह दुआ भी पड़ा करते थे।
(सही मुस्लिम – 487)
3. Ruku Or Sajde Ki Dua
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रुकु और सजदे में यह दुआ भी पड़ा करते थे।
(सुन्न अबू दाऊद – 873)
11. रुकु के बाद की दुआ
1. Ruku Ke Baad Ki Dua
हदीस : रब्बना लकल हम्द
(सही मुस्लिम – 409)
2. Ruku Ke Baad Ki Dua
हदीस : रब्बान वा लकल हम्द
(सही बुखारी – 689)
3. Ruku Ke Baad Ki Dua
हदीस : अल्लाहुम्मा रब्बाना लकल हम्द
(सही बुखारी – 796)
4. Ruku Ke Baad Ki Dua
हदीस : अल्लाहुम्मा रब्बाना वा लकल हम्द
(सही बुखारी – 795)
5. Ruku Ke Baad Ki Dua
(सही बुखारी – 799)
6. Ruku Ke Baad Ki Dua
(सही मुस्लिम – 771)
11.रुकु के बाद की दुआ के फायदे
हदीस : जब इमाम समियाल्लाह हुलिमन हमीद कहे तो तुम अल्लाहुमा रब्बाना लकल हम्द कहो, क्युकी जिसका कॉल फरिसतो के कॉल से मिल गया उसके सारे गुना बक्स दिए जाते है।
(सही मुस्लिम – 782)
(सही मुस्लिम – 409)
12. सजदा
हदीस : जब तुम में से कोई सजदा करे तो अपने हाथो को कंद्दो के बराबर रखो और उठ की तरह ना बैठे यानी की अपनी हतेलिया जमीन पर रखी और कोणी जमीन पर मत रखो और अपने पैरो को खड़ा रखो और उंगलियों को किबले की तरफ रखो।
(सुन्न निसाई – 1091)
(सुन्न निसाई – 270)
(सही मुस्लिम – 494)
(सही बुखारी – 822)
(सही मुस्लिम – 493)
(सही बुखारी – 390)
(सही मुस्लिम – 495)
(सुन्न अबू दाऊद – 898)
(सही बुखारी – 486)
(इब्न खुजाइमा – 654)
1. सजदे की दुआ
हदीस : जब तुम सजदे में हो तो सुबहाना रबियाल आला पड़ा करो।
(पाक है मेरा रब जो सबसे बुलंद है।)
(सही मुस्लिम – 772)
(सुन्न अबू दाऊद – 885)
2. सजदे की दुआ
(सही मुस्लिम – 771)
(सुन्न त्रिमधी – 3421)
3. सजदे की दुआ
(सुन्न नसाई – 1100)
(सुन्न अबू दाऊद – 879)
13. सजदे में बंदा खुदा के सबसे जायदा करीब होता है।
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया बंदा सजदे की हालत में अपने रब से सबसे जायदा करीब होता है, इसलिए जायदा से जायदा दुआ करा करो।
14. Sajde Me Ruku Me Quran Na Pade
हदीस : ए लोगो खबर दार मुझे रुकु और सजदे में कुरान पड़ने से रोका गया है।
(सही मुस्लिम – 479)
15. दोनो सजदो के दरमियान पड़ने वाली दुआ
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया दोनो सजदो के दरमियान रब्बीन फिर्ल रब्बीन फिरली पड़ा करो।
(इब्न माझा – 897)
(सुन्न निसाई – 1145)
(सुन्न अबू दाऊद – 874)
(सुन्न अबू दाऊद – 818)
16. दोनो सजदो के बाद उठने का तरीका
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब दूसरे सजदे से सिर उठाते तो थोड़ी देर बैठते फिर दोनो हाथो का सहारा लेकर उठा करते थे।
(सही बुखारी – 824)
(तमाम अल मिनान – 196)
17. 2 रकातो के दरमियान बैठना
हदीस : जब नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 2 रकातो के बाद बैठते (यानी की तसाहुद में बैठते) तो बाएं पैर पर बैठते और दाए पैर को खड़ा रखते और दाए हतेली को दाए घुटने पर रखते और बाए हतेली को बाए पैर पर रखते फिर उंगली से इशारा करते और आइश्ता दुआ करते थे।
(सही बुखारी – 828)
(सही बुखारी – 580)
(सही मुस्लिम – 579)
(सही मुस्लिम – 580)
(सुन्न निसाई – 889)
(मुस्नद अहमद – 6000)
(अबू दाऊद – 686)
18. फिर यह दुआ (यानी अत्तेयात) पड़ा करते थे।
(Sahih Bukhari 6265)
19. उसके बाद दरूद सलाम भेजते थे।
(Sahih Bukhari 3370)
20. फिर यह दुआ पड़ते थे।
(सही मुस्लिम – 588)
(सही मुस्लिम – 590)
21. फिर यह दुआ पड़ते थे।
(सही बुखारी – 834)
(सही मुस्लिम – 2705)
22. Sallam kaise fere
हदीस : नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दुआ पड़ने के बाद सलाम फेरते थे और इस तरह फेरते थे की आपकी गाल मुबारक की सफेदी साफ साफ दिखाई देती थी।
(सुन्न अबू दाऊद – 996)
(सुन्न अबू दाऊद – 997)
23. Sajda E Sahw
हदीस : जब नमाज में शक हो जाए की मैने कितनी रकात पड़ी तो उसको भूल जाओ और जितनी रकात पर यकीन हो उतना रखो फिर जब सलाम फेर लो तो 2 सजदे करो अगर 5 रकात भी होई भी होई तो सजदे से वो 6 रकात हो जायेगी।
(सही मुस्लिम – 571)
(सही बुखारी – 1226)
(सही बुखारी – 1228)
नोट – यह भी एक नमाज़ पढ़ने का तरीका है। जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से साबित है।
निष्कर्ष
नमाज इस्लाम का सबसे अहम इबादत है। इसे सही तरीके से पढ़ना जरूरी है ताकि यह कबूल हो। इस लेख में हमने कुरान और हदीस की रौशनी में नमाज का सही तरीका समझाया है। उम्मीद है कि यह गाइड आपके लिए मददगार साबित होगी।
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सब्र की अहमियत – इस्लाम में धैर्य का महत्व
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