कलम (पेन) और अर्श – क्या पहले अर्श बना या कलम?

बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

कलम (पेन) और अर्श – क्या पहले अर्श बना या कलम?

इस्लाम में अल्लाह की कुदरत और कायनात की तखलीक (सृष्टि) को लेकर कई अहम सवाल उठते हैं। उनमें से एक सवाल यह भी है कि अल्लाह ने सबसे पहले क्या बनाया – अर्श (सिंहासन) या कलम (पेन)? इस पर उलमा के अलग-अलग नजरिए हैं। इस लेख में हम कुरआन, हदीस और उलमा के कौल की रोशनी में इस मसले को समझने की कोशिश करेंगे।

कलम (पेन) की तखलीक – हदीस की रोशनी में

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया कि अल्लाह ने सबसे पहले कलम को पैदा किया और उसे लिखने का हुक्म दिया।

1. अबू दाऊद की हदीस

हज़रत उबादा बिन सामित (र.अ) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“अल्लाह ने सबसे पहले कलम को पैदा किया और उससे फरमाया: लिख! उसने पूछा: क्या लिखूं? तो अल्लाह ने फरमाया: क़ियामत तक जो कुछ होना है, उसे लिख दो।”

(अबू दाऊद: 4700, तिर्मिज़ी: 2155)

इस हदीस से पता चलता है कि अल्लाह ने सबसे पहले कलम बनाया और उससे तक़दीर (क़िस्मत) को लिखने के लिए कहा।

2. सहीह मुस्लिम की हदीस

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“अल्लाह ने आसमान और ज़मीन को पैदा करने से 50,000 साल पहले तमाम मख़लूक़ात की तक़दीर लिख दी थी, और उसका अर्श पानी पर था।”

(सहीह मुस्लिम: 2653)

इस हदीस में दोनों चीजों का ज़िक्र है – कलम की तखलीक और अर्श का पानी पर होना।

अर्श (सिंहासन) की तखलीक – कुरआन की रोशनी में

कुरआन में साफ़ तौर पर आता है कि अल्लाह का अर्श पानी पर था।

“और वही है जिसने आसमानों और ज़मीन को छह दिनों में पैदा किया, और उसका अर्श पानी पर था।”

(सूरह हूद: 7)

यह आयत बताती है कि अल्लाह का अर्श उस वक्त पानी पर था, जब कायनात की तखलीक शुरू हुई।

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पहले क्या बना – अर्श या कलम? उलमा के दो नजरिए

इस सवाल पर उलमा के दो मशहूर नजरिए मिलते हैं।

1. पहला नजरिया – पहले कलम बनी

इमाम नववी (रह.) ने फरमाया कि सबसे पहले कलम बनी, क्योंकि हदीस में अल्लाह ने सबसे पहले कलम को बनाने और उससे लिखने का हुक्म देने का ज़िक्र किया है।

इब्ने कसीर (रह.) ने भी यही राय दी कि पहले कलम बनी, फिर अर्श।

2. दूसरा नजरिया – पहले अर्श बना

इब्ने तैयमिय्या (रह.) ने कहा कि सबसे पहले अर्श बना, क्योंकि सहीह मुस्लिम की हदीस में आता है कि अर्श पानी पर था और उस वक्त तक़दीर लिखी नहीं गई थी।

इमाम तबरी (रह.) ने भी यही राय दी कि पहले अर्श, फिर कलम।

3. क्या यह मसला ईमान का हिस्सा है?

इस बारे में उलमा ने यह फैसला किया कि:

1. चाहे पहले अर्श बना हो या कलम – इसका असर हमारे ईमान पर नहीं पड़ता।

2. अहम बात यह है कि दोनों चीज़ें अल्लाह की मख़लूक़ (सृष्टि) हैं और वह जैसा चाहे, वैसा कर सकता है।

3. इस मसले पर गहराई में जाने के बजाय हमें अल्लाह की कुदरत पर ईमान रखना चाहिए।

निष्कर्ष

1. कलम और अर्श दोनों अल्लाह की बनाई हुई मख़लूक़ हैं।

2. हदीसों में यह बयान हुआ कि पहले कलम बनी और उसने तक़दीर लिखी।

3. लेकिन कुछ उलमा ने कहा कि पहले अर्श बना, फिर कलम।

4. इस मसले में उलझने के बजाय हमें अल्लाह की अज़मत और उसकी तखलीक (रचनाओं) पर ईमान रखना चाहिए।

अल्लाह हमें सही समझ दे और हमारे ईमान को मज़बूत करे। आमीन!

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