शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Qasas ul Anbiya Part 1 – Kainaat Ki Paidais
अल्लाह तआला ही कायनात का खालिक़ (सृष्टा) है। उसने आसमानों, ज़मीन, सूरज, चाँद, सितारों, इंसानों और जिन्नात को पैदा किया। इस्लाम हमें बताता है कि कायनात की शुरुआत कैसे हुई और अल्लाह ने इसे किस मकसद के लिए बनाया।
कुरआन-ए-पाक और अहादीस के हवाले से हम इस हकीकत को समझ सकते हैं कि यह दुनिया अचानक वजूद में नहीं आई, बल्कि अल्लाह तआला ने एक मुकम्मल हिकमत के तहत इसे बनाया।
आज हम क़ससुल अंबिया के पहले हिस्से में कायनात की पैदाइश पर गौर करेंगे। कुरआन और हदीस की रोशनी में जानने की कोशिश करेंगे कि यह अज़ीम निज़ाम किस हिकमत और मसलेहत के साथ तख़लीक़ किया गया। जो कुछ भी हमें इस कायनात में नज़र आता है, वह अल्लाह की कुदरत और उसकी बेमिसाल ताक़त की निशानी है।
तो आइए, इस रुहानी सफर की शुरुआत करते हैं और तख़लीक़-ए-कायनात के इस पुर-असरार वाक़ये को समझने की कोशिश करते हैं!
कायनात की पैदाइश
1. सबसे पहले क्या मौजूद था?
बहुत पहले, जब कुछ भी नहीं था – न आसमान, न ज़मीन, न सूरज, न चाँद – सिर्फ़ अल्लाह था। कोई और चीज़ वजूद में नहीं थी। न रोशनी थी, न अंधेरा। न हवा थी, न पानी। हर चीज़ के बनने से पहले सिर्फ़ अल्लाह ही था, जो हमेशा से है और हमेशा रहेगा।
रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“अल्लाह था और उसके अलावा कुछ भी न था।”
(सहीह बुखारी, हदीस 3191)
अल्लाह कौन हैं? वे कब आए? यह जानने के लिए नीचे दिया गया लेख पढ़ें।
अल्लाह कौन हैं? वे कब आए? | इस्लाम, वेद, बाइबिल और अन्य धर्मों में ईश्वर की पहचान
2. सबसे पहली मख़लूक़ (सबसे पहले क्या बना?)
सबसे पहले, अल्लाह तआला ने अपने “अर्श” (सिंहासन) को पैदा किया। यह अर्श किसी मज़बूत चीज़ पर नहीं था, बल्कि पानी पर तैर रहा था। उस समय न ज़मीन थी, न कोई इंसान और न कोई और मख़लूक़।
रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“अल्लाह का अर्श पानी पर था।”
(सहीह बुखारी, हदीस 3191)
(A) अर्श” (सिंहासन)
अर्श की हकीकत को सिर्फ अल्लाह ही जानते हैं। इस पर कुछ हदीस भी मिलती हैं, जिन्हें आप इस लेख में देख सकते हैं।
(B) पानी
पानी का मतलब जरूरी नहीं कि वही पानी हो जो दुनिया में है। इस पर उलेमा के कथन भी हैं, जिन्हें आप नीचे दिए गए लेख में देख सकते हैं।
अर्श और पानी (Arsh Aur Pani) – कुरआन और हदीस की रोशनी में
3. कलम (पेन)
इसके बाद अल्लाह ने “कलम” (पेन) को पैदा किया और उसे हुक्म दिया कि वह लिखे।
“अल्लाह ने सबसे पहले कलम को पैदा किया और उससे फरमाया: लिख! उसने पूछा: क्या लिखूं? तो अल्लाह ने फरमाया: क़ियामत तक जो कुछ होना है, उसे लिख दो।”
(अबू दाऊद, हदीस 4700)
इस पर उलेमा के अलग-अलग नजरिए हैं कि पहले अर्श था या कलम। इस बात को समझने के लिए आप इस लेख को पढ़ सकते हैं।
कलम (पेन) और अर्श – क्या पहले अर्श बना या कलम?
4. आसमान और ज़मीन सूरज, चाँद और सितारों की तख़लीक़
“और वही है जिसने छः दिनों में आसमानों और ज़मीन को पैदा किया
(सूरह हूद 11:7)
कौन से दिन क्या पैदा किया गया, यह हमें दूसरी आसमानी किताबों में भी मिलता है। इस पर उलेमा के कथन भी हैं, जैसा कि आप नीचे दिए गए लेख में देख सकते हैं।
Universe: आसमान, ज़मीन, सूरज, चाँद और सितारों की तख़लीक – इस्लाम और साइंस की रोशनी में
5. फ़रिश्तों, जिन्नात और इंसानों की तख़लीक़
(A) फ़रिश्तों की तख़लीक़:
फ़रिश्ते नूर (रौशनी) से बनाए गए।
“फ़रिश्तों को नूर से पैदा किया गया।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस 2996)
फ़रिश्तों की विशेषताएँ
ये अल्लाह के हुक्म के मुताबिक काम करते हैं।
इनमें ना मर्द होते हैं और ना औरत।
ये खाना-पीना नहीं करते।
इनके पास अपनी मर्जी नहीं होती, सिर्फ अल्लाह के हुक्म को मानते हैं।
जिब्रील (अ.), मीकाईल (अ.), इसराफ़ील (अ.) और अज्राईल (अ.) मुख्य फ़रिश्ते हैं।
फ़रिश्तों की तख़लीक़ कब हुई?
उलेमा के अनुसार, फ़रिश्तों की तख़लीक़ जिन्नात और इंसानों से पहले हुई थी।
इमाम इब्न कसीर रहमतुल्लाह अलैह लिखते हैं:
“फ़रिश्ते इंसानों और जिन्नात से पहले पैदा किए गए।”
(तफ़सीर इब्न कसीर)
(B) जिन्नात की तख़लीक़:
अल्लाह तआला ने जिन्नात को आग से बनाया।
“और जिन्नों को उससे पहले आग की लपट से पैदा किया।”
(सूरह अल-हिज्र 15:27)
जिन्नों की विशेषताएँ
ये आग से बनाए गए हैं, लेकिन ठोस नहीं होते।
ये इंसानों की तरह सोचने-समझने की क्षमता रखते हैं।
इनमें से कुछ अच्छे होते हैं और कुछ बुरे (शैतान) होते हैं।
इन्हें इंसानों की तरह ज़िंदगी और मौत दी गई है।
ये इंसानों को देख सकते हैं, लेकिन इंसान इन्हें नहीं देख सकते।
जिन्नों की तख़लीक़ कब हुई?
हज़रत इब्न अब्बास (र.) फरमाते हैं:
“अल्लाह ने जिन्नात को इंसानों से 2000 साल पहले बनाया था।”
(तफ़सीर इब्न कसीर)
इब्न कसीर रह. लिखते हैं कि जिन्नात को इंसानों से पहले ज़मीन पर बसाया गया था, लेकिन जब उन्होंने फसाद मचाया, तो अल्लाह ने फ़रिश्तों को भेजकर उन्हें अलग कर दिया।
(C) इंसानों की तख़लीक़:
सबसे पहले हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) को मिट्टी से बनाया गया।
“अल्लाह ने इंसान को बजती हुई, सूखी मिट्टी से पैदा किया।”
(सूरह अल-हिज्र 15:26)
अब यह कौन कब था और कौन कब बनाया गया, यह जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
हज़रत आदम (अ.) की तख़लीक़
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“अल्लाह ने आदम (अ.) को अपनी सूरत पर बनाया और उनकी लंबाई साठ हाथ (करीब 90 फीट) थी।”
(सहीह बुखारी, हदीस 3326)
इंसान की विशेषताएँ
इंसानों को मिट्टी से बनाया गया।
इन्हें सोचने-समझने की शक्ति दी गई।
इनमें नफ़्स (इच्छाएँ) और इरादा (स्वतंत्रता) दिया गया।
इंसानों को दुनिया में इम्तिहान के लिए भेजा गया।
इंसानों की तख़लीक़ कब हुई?
उलेमा के अनुसार, हज़रत आदम (अ.) की तख़लीक़ जिन्नात के बाद हुई।
इमाम इब्न कसीर लिखते हैं:
“अल्लाह ने पहले फ़रिश्तों को, फिर जिन्नों को और अंत में इंसानों को बनाया।”
(क़ससुल अंबिया, इब्न कसीर)
कायनात बनाने का मक़सद
अल्लाह तआला ने कायनात को यूं ही नहीं बनाया, बल्कि इसका एक मक़सद है
अल्लाह की इबादत।
“मैंने जिन्न और इंसानों को सिर्फ़ अपनी इबादत के लिए पैदा किया।”
(सूरह अज़-ज़ारियात 51:56)
अल्लाह रब्बुल आलमीन ने इंसान और जिन्नात को इबादत के लिए पैदा किया, मगर फरिश्तों को क्यों पैदा किया गया? यह आप इस लेख में देख सकते हैं।
Also Read: फ़रिश्ते कौन हैं? उनकी तख़लीक़, जिम्मेदारियाँ और इस्लाम में उनका मक़ाम
नतीजा (Conclusion)
कायनात की तख़लीक़ अल्लाह की कुदरत का बहुत बड़ा निशान है। जो चीज़ें हमें साधारण लगती हैं, उनके पीछे अल्लाह की हिकमत छुपी है।
इस्लामी तालीम हमें सिखाती है कि इस कायनात में इंसान का असल मक़सद अल्लाह की इबादत और उसकी रहमत का तलबगार बनना है। इसलिए हमें चाहिए कि हम अपने रब की पहचान करें और उसकी फरमाबरदारी में अपनी जिंदगी गुजारें।
अब अगले भाग में, हम बात करेंगे कि ज़मीन पर पहला इंसान कौन आया था, क्यों आया था, और कहाँ बनाया गया था। यह जानने के लिए आप क़ससुल अंबिया का भाग 2 देखें।
Also Read: Qasas ul Anbiya Part 2 – Duniya Ka Pahla Insan Kaun Tha : दुनिया का पहला इंसान कौन था।
अगर आपको यह पसंद आए, तो इसे अपने दोस्तों को भेजें, क्योंकि दीन की बातें जानना और समझना हम पर फर्ज़ है, ताकि हमें नसीहत मिले और हम दीनदार बनें।
1 thought on “Qasas ul Anbiya Part 1 – Kainaat Ki Paidais”