बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है
Namaz Kyun Zaroori Hai – मुसलमानों को 5 बार नमाज क्यों पढ़नी चाहिए?
Namaz Kyun Zaroori Hai – जानिए नमाज़ क्यों ज़रूरी है, मुसलमानों को 5 बार नमाज़ पढ़ने का कारण, इसकी फज़ीलत, कुरान और हदीस से, और इसके वैज्ञानिक लाभ। पूरी जानकारी इस लेख में।
Namaz Kyun Zaroori Hai
नमाज़ (सलात) इस्लाम के पांच मूल स्तंभों (Pillars) में से एक है। यह न केवल एक इबादत है, बल्कि यह इंसान की रूहानी और जिस्मानी तंदुरुस्ती के लिए भी बेहद अहम है। कुरान और हदीस में नमाज़ की अनगिनत फज़ीलतें और इसके अनिवार्यता (Farz) के बारे में बताया गया है।
अहम पहलू:
✅ नमाज़ इस्लाम का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है।
✅ यह अल्लाह से सीधा रिश्ता जोड़ता है।
✅ कुरान और हदीस में इसकी अहमियत को बार-बार बयान किया गया है।
✅ यह गुनाहों को मिटाने और जन्नत की ओर ले जाने का ज़रिया है।
✅ वैज्ञानिक रूप से भी यह शरीर और दिमाग के लिए फायदेमंद है।
5 वक्त की नमाज़ फर्ज़ क्यों की गई? – नमाज़ पढ़ना क्यों ज़रूरी है?
👉 बहुत से लोग यह सवाल करते हैं कि Namaz Kyun Zaroori Hai
👉 हमें काम भी करने होते हैं, पैसा कमाना भी ज़रूरी है, फिर नमाज़ के लिए समय कैसे निकालें?
👉 अगर नमाज़ पढ़ेंगे, तो ग्राहक (कस्टमर) चले जाएंगे या बॉस नाराज़ हो जाएगा!
👉 ग़ैर-मुस्लिम भी पूछते हैं कि अल्लाह ने मुसलमानों पर 5 वक्त की नमाज़ क्यों फर्ज़ की?
👉 और अगर कोई नमाज़ नहीं पढ़ता, तो Namaz Na Padhne Ka Azab क्या है?
इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए हमें नमाज़ के असली मकसद और उसकी अहमियत को समझना होगा।
1. नमाज़ क्यों फर्ज़ की गई?
📖 कुरआन में अल्लाह फ़रमाते हैं:
“और नमाज़ क़ायम करो, बेशक नमाज़ बेहयाई और बुरी बातों से रोकती है।”
(सुरह अल-अंकिाबूत 29:45)
✅ इस आयत से पता चलता है कि नमाज़ सिर्फ़ इबादत ही नहीं, बल्कि यह इंसान को बुराई और गुनाहों से बचाने का ज़रिया भी है।
✦ जब इंसान दिन में 5 बार अल्लाह के सामने खड़ा होता है, तो उसके दिल में तक़वा (ख़ुदा का डर) आता है।
✦ यह ज़िंदगी का बैलेंस बनाए रखती है – इंसान सिर्फ़ दुनिया में मसरूफ़ (व्यस्त) नहीं रहता, बल्कि अपने आख़िरत (आख़िरी जिंदगी) की भी फिक्र करता है।
2. नमाज़ और कारोबार / नौकरी में बरकत
👉 बहुत से लोग कहते हैं कि “अगर हम नमाज़ पढ़ेंगे, तो काम कब करेंगे?”
✅ लेकिन हक़ीक़त इसके उलट है!
📖 कुरआन में अल्लाह फ़रमाते हैं:
“और जो अल्लाह से डरता है, अल्लाह उसके लिए निकलने का रास्ता बना देता है और उसे ऐसी जगह से रिज़्क़ देता है जहाँ से उसने गुमान भी नहीं किया होता।”
(सुरह अत-तलाक़ 65:2-3)
✦ नमाज़ काम में रुकावट नहीं, बल्कि बरकत का ज़रिया है!
✦ जो अल्लाह के लिए वक्त निकालता है, अल्लाह उसके कामों को आसान कर देता है।
✦ नमाज़ से ज़िंदगी में बरकत आती है, कारोबार और नौकरी में इज़ाफ़ा होता है।
✅ रिज़्क़ (रोटी-रोज़ी) अल्लाह के हाथ में है, ग्राहक या बॉस के हाथ में नहीं!
हज़रत उमर रज़ि. ने फरमाया:
“जिसने अपने रिज़्क़ में बरकत चाही, उसे नमाज़ की पाबंदी करनी चाहिए।”
3. 5 वक्त की नमाज़ का शुक्र अदा करें – 5 Waqt Ki Namaz Ke Fayde
🌅 1. फज्र (सुबह की नमाज़) – नई शुरुआत का शुक्र
✅ जब रात का अंधेरा छंटता है और हल्की रोशनी फैलती है, तो यह नए दिन की शुरुआत होती है।
✅ इस वक़्त हम अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं कि उसने हमें एक और दिन दिया।
1. फजर की नमाज़ का महत्व (Ahmiyat): क़ुरान और हदीस की रोशनी में फ़ज़ीलत और फायदे
(A) कुरआन में फजर की नमाज का हुक्म
अल्लाह तआला ने फरमाया:
“और नमाज़ क़ायम करो सूरज के झुकने से लेकर रात के अंधेरे तक और फजर की नमाज को भी, क्योंकि फजर की नमाज के वक्त (फरिश्ते) गवाही देते हैं।”
(📖 सूरह अल-इसरा 17:78)
✅ इस आयत में फजर की नमाज का खासतौर पर ज़िक्र किया गया है, जिससे इसकी अहमियत साबित होती है।
(B) फजर की नमाज जहन्नम से बचाती है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो शख्स फजर और अस्र की नमाज पढ़ेगा, वह जहन्नम में दाखिल नहीं होगा।”
(📖 सहीह मुस्लिम 634)
(C) फजर की नमाज अल्लाह की हिफाजत में रखती है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो शख्स सुबह की नमाज अदा करता है, वह अल्लाह की हिफाजत में आ जाता है।”
(📖 सहीह मुस्लिम 657)
(D) फजर की नमाज का सवाब पूरी रात इबादत करने के बराबर है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जिसने ईशा की नमाज जमात के साथ पढ़ी, वह आधी रात तक इबादत करने वाला हुआ। और जिसने फजर की नमाज जमात के साथ पढ़ी, वह पूरी रात इबादत करने वाला हुआ।”
(📖 सहीह मुस्लिम 656)
2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से फजर की नमाज क्यों जरूरी है?
(A) सेहत के लिए फायदेमंद
सुबह जल्दी उठने से शरीर ताजगी महसूस करता है और पूरे दिन एनर्जी बनी रहती है।
(B) हवा सबसे ज्यादा शुद्ध होती है
इस वक्त ऑक्सीजन सबसे शुद्ध होती है, जिससे सांस लेने में फायदा होता है।
(C) मानसिक शांति मिलती है
सुबह की इबादत से दिल और दिमाग को सुकून मिलता है।
3. रूहानी (आध्यात्मिक) फायदे
✅ फजर की नमाज पढ़ने वाला शैतान से महफूज़ रहता है।
✅ इस नमाज के जरिए अल्लाह की रहमत और बरकत हासिल होती है।
✅ यह दिन की शुरुआत अल्लाह की याद से करने का बेहतरीन जरिया है।
🌞 2. ज़ुहर (दोपहर की नमाज़) – मेहनत और बरकत का शुक्र
✅ जब सूरज अपनी बुलंदी पर होता है, तब इंसान अपने काम और मेहनत में मशगूल होता है।
✅ ज़ुहर की नमाज़ हमें याद दिलाती है कि हमारी रोज़ी, बरकत और ताक़त अल्लाह ही देता है।
1. जोहर की नमाज़ का महत्व: क़ुरान और हदीस की रोशनी में फ़ज़ीलत और फायदे
(A) कुरआन में जोहर की नमाज का हुक्म
अल्लाह तआला ने फरमाया:
“अपने नमाज़ों की हिफाज़त करो, खास तौर पर बीच वाली नमाज (सलात-उल-वुस्ता) की, और अल्लाह के सामने अदब से खड़े हो जाओ।”
(📖 सूरह अल-बक़राह 2:238)
✅ इस आयत में “सलात-उल-वुस्ता” यानी बीच की नमाज का ज़िक्र है, जिसे बहुत से उलमा ने जोहर की नमाज बताया है।
(B) जोहर की नमाज जहन्नम की आग से बचाती है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो शख्स सर्दी और गर्मी की शिद्दत में जोहर की नमाज पढ़ता है, अल्लाह उसे जहन्नम की आग से बचा लेता है।”
(📖 सहीह बुखारी 540)
(C) जोहर की नमाज फरिश्तों की गवाही में पढ़ी जाती है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“तुम्हारे पास रात और दिन के फरिश्ते आते हैं, और वे फजर और जोहर की नमाज में इकट्ठा होते हैं।”
(📖 सहीह बुखारी 555)
(D) जोहर की 4 सुन्नत पढ़ने पर जन्नत की खुशखबरी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो कोई जोहर से पहले 4 रकात और जोहर के बाद 2 रकात (सुन्नत) पढ़ेगा, अल्लाह उसे जन्नत में घर देगा।”
(📖 सुनन अबू दाऊद 1269)
2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोहर की नमाज क्यों जरूरी है?
(A) शरीर को आराम और राहत मिलती है
दोपहर के वक्त इंसान सबसे ज्यादा थका हुआ महसूस करता है, ऐसे में जोहर की नमाज एक मानसिक और शारीरिक राहत देती है।
(B) काम के दौरान ताजगी और एनर्जी मिलती है
जोहर की नमाज से दिन के बीच में ब्रेक मिलता है, जिससे काम में ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
(C) ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है
नमाज की हरकतों से शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे थकान कम होती है।
3. रूहानी (आध्यात्मिक) फायदे
✅ जोहर की नमाज अल्लाह की रहमत को हासिल करने का जरिया है।
✅ यह इंसान को दुनिया के कामों में मशगूल होने से बचाती है और अल्लाह की याद दिलाती है।
✅ यह दिल को सुकून और रूह को ताजगी देती है।
🏙️ 3. अस्र (शाम से पहले की नमाज़) – दिन के ढलने का शुक्र
✅ जब सूरज हल्का होने लगता है और मौसम ठंडा होने लगता है, तो यह याद दिलाता है कि हर चीज़ का वक़्त तय है।
✅ यह नमाज़ हमें दिनभर के गुनाहों की माफ़ी मांगने और बाकी दिन के लिए अल्लाह से रहमत मांगने का मौका देती है।
1. असर की नमाज़ का महत्व: क़ुरान और हदीस की रोशनी में फ़ज़ीलत और फायदे
(A) कुरआन में असर की नमाज का हुक्म
अल्लाह तआला ने फरमाया:
“अपने नमाज़ों की हिफाज़त करो, खास तौर पर बीच वाली नमाज (सलात-उल-वुस्ता) की, और अल्लाह के सामने अदब से खड़े हो जाओ।”
(📖 सूरह अल-बक़राह 2:238)
✅ इस आयत में “सलात-उल-वुस्ता” यानी बीच की नमाज का ज़िक्र है, जिसे कई उलमा ने असर की नमाज बताया है।
(B) असर की नमाज जहन्नम से बचाने वाली है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो फजर और असर की नमाज पढ़ेगा, वह जहन्नम में दाखिल नहीं होगा।”
(📖 सहीह मुस्लिम 634)
(C) असर की नमाज फरिश्तों की गवाही में पढ़ी जाती है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“रात और दिन के फरिश्ते तुम पर बारी-बारी आते हैं, और वे असर और फजर की नमाज में जमा होते हैं।”
(📖 सहीह बुखारी 555)
📖 हदीस:
“जिसने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, उसकी तमाम नेकियां ज़ाया कर दी जाएंगी।”
(सही बुखारी 553)
3. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से असर की नमाज क्यों जरूरी है?
(A) शरीर को ताजगी मिलती है
असर के वक्त इंसान की ऊर्जा कम हो जाती है, और नमाज से दोबारा ताजगी मिलती है।
(B) तनाव और थकान दूर होती है
असर की नमाज एक मानसिक और शारीरिक ब्रेक का काम करती है, जिससे दिनभर की थकान कम होती है।
(C) ब्लड सर्कुलेशन और मेटाबोलिज्म बेहतर होता है
✅ इस वक्त की हलचल से शरीर को एनर्जी मिलती है, जिससे मेटाबोलिज्म सही रहता है।
🌇 4. मगरिब (सूरज डूबने के बाद की नमाज़) – दिन के खत्म होने का शुक्र
✅ जब सूरज डूबता है और अंधेरा फैलने लगता है, तो यह हमें याद दिलाता है कि यह दुनिया भी एक दिन खत्म हो जाएगी।
✅ मगरिब की नमाज़ हमें दिनभर की नेमतों पर शुक्र अदा करने का मौका देती है।
1. मगरिब की नमाज़ का महत्व: क़ुरान और हदीस की रोशनी में फ़ज़ीलत और फायदे
(A) कुरआन में मगरिब की नमाज का हुक्म
अल्लाह तआला ने फरमाया:
“तो अपने रब की तस्बीह करो (यानी इबादत करो) सूरज के निकलने से पहले और इसके डूबने से पहले।”
(📖 सूरह काफ 50:39)
✅ इस आयत में सूरज डूबने के बाद इबादत का हुक्म दिया गया है, जिससे मगरिब की नमाज की अहमियत साबित होती है।
एक और जगह अल्लाह फरमाते हैं:
“और नमाज कायम करो सूरज के झुकने से लेकर रात के अंधेरे तक।”
(📖 सूरह अल-इसरा 17:78)
✅ इस आयत में सूरज के झुकने (असर) से लेकर रात के अंधेरे (ईशा) तक की नमाज का जिक्र है, जिसमें मगरिब की नमाज भी शामिल है।
(B) मगरिब की नमाज जल्दी पढ़ने की ताकीद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“मेरी उम्मत उस वक्त तक भलाई पर रहेगी जब तक कि वे मगरिब की नमाज को सूरज डूबते ही अदा करेंगे।”
(📖 सहीह बुखारी 573)
(C) मगरिब की 6 रकात पढ़ने पर बड़ा सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो शख्स मगरिब के बाद 6 रकात नमाज पढ़े और इनमें कोई ग़लत बात न करे, तो उसके पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।”
(📖 सुनन तिर्मिज़ी 435)
(D) मगरिब की नमाज और फरिश्तों की हाजिरी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“तुम पर रात और दिन के फरिश्ते बारी-बारी आते हैं, और वे फजर और मगरिब की नमाज में जमा होते हैं।”
(📖 सहीह बुखारी 555)
📖 हदीस:
“जो मगरिब की नमाज़ अदा करता है, उसके पिछले छोटे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।”
(सुन्नन इब्न माजह 1081)
2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मगरिब की नमाज क्यों जरूरी है?
1. दिनभर की थकान मिटती है
इस वक्त शरीर को आराम की जरूरत होती है, और नमाज से मानसिक और शारीरिक राहत मिलती है।
(B) शरीर के बायोलॉजिकल सिस्टम को फायदा होता है
इस वक्त नमाज पढ़ने से डाइजेशन सही होता है और शरीर रिलैक्स महसूस करता है।
(C) शांति और तसल्ली मिलती है
सूरज डूबने के बाद का वक्त इंसान के लिए सुकून का होता है, और इस वक्त की इबादत से रूहानी ताकत मिलती है।
3. रूहानी (आध्यात्मिक) फायदे
✅ मगरिब की नमाज गुनाहों की माफी का जरिया है।
✅ यह शैतान के असर से बचाती है और अल्लाह की रहमत को हासिल करने का मौका देती है।
✅ इसे वक्त पर अदा करने से अल्लाह की बरकत और सुकून हासिल होता है।
🌙 5. ईशा (रात की नमाज़) – आराम और दुआओं का शुक्र
✅ जब रात गहरी हो जाती है और दुनिया सोने की तैयारी करती है, तो यह हमें आख़िरत की याद दिलाता है।
✅ ईशा की नमाज़ के बाद इंसान अल्लाह से दुआ कर सकता है, अपना हिसाब कर सकता है और अगले दिन के लिए रहमत मांग सकता है।
1. ईशा की नमाज़ का महत्व: क़ुरान और हदीस की रोशनी में फ़ज़ीलत और फायदे
(A) कुरआन में ईशा की नमाज का हुक्म
अल्लाह तआला ने फरमाया:
“और नमाज कायम करो सूरज के झुकने से लेकर रात के अंधेरे तक।”
(📖 सूरह अल-इसरा 17:78)
✅ इस आयत में “रात के अंधेरे तक” का जिक्र किया गया है, जिसका मतलब ईशा की नमाज भी शामिल है।
एक और जगह अल्लाह फरमाते हैं:
“वह जिसने रात में भी इबादत करने वाला बनाया और जिसने दिन को रोज़ी कमाने का जरिया बनाया।”
(📖 सूरह अल-फुरकान 25:47-48)
✅ रात की इबादत में ईशा की नमाज और तहज्जुद की नमाज शामिल होती है, जो बहुत अहम मानी जाती है।
(B) ईशा की नमाज और फजर की नमाज पढ़ने वाला जन्नत में जाएगा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जिसने ईशा की नमाज जमात के साथ पढ़ी, मानो उसने आधी रात तक इबादत की। और जिसने फजर की नमाज भी जमात के साथ पढ़ी, मानो उसने पूरी रात इबादत की।”
(📖 सहीह मुस्लिम 656)
(C) ईशा की नमाज में सुस्ती करना मुनाफिकों की निशानी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“सबसे भारी नमाज मुनाफिकों के लिए फजर और ईशा की होती है। अगर वे जानते कि इनमें क्या सवाब है, तो वे जरूर इन्हें पढ़ने आते, चाहे घुटनों के बल ही क्यों न आना पड़े।”
(📖 सहीह बुखारी 657)
(D) ईशा की 4 सुन्नत पढ़ने का बड़ा सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जो ईशा से पहले 4 रकात (सुन्नत) पढ़ेगा, अल्लाह उसे जन्नत में घर देगा।”
(📖 सुनन अबू दाऊद 1269)
2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ईशा की नमाज क्यों जरूरी है?
(A) नींद बेहतर होती है
ईशा की नमाज पढ़ने से मानसिक सुकून मिलता है, जिससे गहरी और आरामदायक नींद आती है।
(B) तनाव और बेचैनी कम होती है
दिनभर की थकान के बाद ईशा की नमाज पढ़ने से इंसान का तनाव दूर होता है।
(C) शरीर और दिमाग को आराम मिलता है
नमाज की हरकतें शरीर को रिलैक्स करती हैं और दिनभर की भागदौड़ के बाद राहत मिलती है।
3. रूहानी (आध्यात्मिक) फायदे
✅ ईशा की नमाज से दिनभर के गुनाह माफ हो जाते हैं।
✅ यह शैतान के असर से बचाती है और अल्लाह की रहमत को हासिल करने का जरिया है।
✅ इसे वक्त पर अदा करने से जन्नत की खुशखबरी मिलती है।
✅ हकीकत:
आज हम देखते हैं कि सुबह होती है, जब हल्की सी रोशनी फैलने लगती है, और यह मौसम को भी प्रभावित करती है—यह फज्र (Fajr) का समय होता है। फिर जैसे-जैसे सूरज ऊपर चढ़ता है और दिन पूरी तरह रोशन हो जाता है—यह जुहर (Dhuhr) का समय होता है।
इसके बाद जब हल्की ठंडक महसूस होने लगती है और सूरज थोड़ा झुकने लगता है—यह अस्र (Asr) का समय होता है। फिर शाम होते ही सूरज डूबने लगता है और आसमान में सुरमई रंग बिखर जाता है—यह मग़रिब (Maghrib) का समय होता है। और अंत में, जब रात का अंधेरा पूरी तरह छा जाता है—यह इशा (Isha) का समय होता है।
जैसा कि आप इस इमेज में देख सकते हैं…
फायदे – हमें जो पाँच वक्त की नमाज़ दी गई है, वह सिर्फ़ एक इबादत ही नहीं, बल्कि अल्लाह तआला की दी हुई नेमतों का शुक्र अदा करने का ज़रिया भी है। जिस तरह दिन और रात के मौसम में बदलाव होता है, उसी तरह नमाज़ के औक़ात भी सूरज के अनुसार तय किए गए हैं, ताकि हम हर वक्त अल्लाह की नेमतों को याद कर सकें और उसका शुक्र अदा करें।
6. सही वक्त पर नमाज़ क़ायम करने का हुक्म
क़ुरआन से हुक्म:
❝ नमाज़ क़ायम करो और मुश्रिकों में से मत हो जाओ। ❞
📖 (सूरह अर-रूम: 31)
✅ महज़ नमाज़ पढ़ने का नहीं, बल्कि उसे सही वक्त पर क़ायम करने का हुक्म दिया गया है।
हदीस से नमाज़ की अहमियत
➖ नबी (ﷺ) ने फ़रमाया:
“मेरे बाद तुम पर ऐसे लोग हुक्मरान होंगे जो तुम्हें नमाज़ के वक्त पर अदा करने से रोकेंगे, लेकिन तुम फिर भी वक्त पर नमाज़ अदा करना।”
📖 (अबू दाऊद 433)
➖ नबी करीम (ﷺ) से पूछा गया कि सबसे अफ़ज़ल अमल कौन-सा है?
“आपने फ़रमाया: नमाज़ को उसके अव्वल वक्त पर अदा करना।”
📖 (सुन्न अबू दाऊद – 426)
✅ नमाज़ महज़ एक फर्ज़ नहीं, बल्कि अल्लाह से जुड़े रहने और उसकी नेमतों का शुक्र अदा करने का सबसे बड़ा ज़रिया है। इसे वक्त पर पढ़ें और अल्लाह के क़रीब हो जाएं।
जैसा कि आप इस सूची में देख सकते हैं…
नमाज़ को वक्त पर पढ़ना क्यों जरूरी है? | |
✔️ जब मौसम बदलता है, तो उसी के मुताबिक़ हमें नमाज़ अदा करने का हुक्म दिया गया है। | |
✔️ अल्लाह की बनाई हुई क़ुदरत और उसकी नेमतों का शुक्र अदा करने के लिए। | |
✔️ अपने दिल और रूह को सुकून देने के लिए। | |
✔️ अल्लाह रब्बुल आलमीन ने हमें जीवन दिया। | |
✔️ दिन और रात का सुन्दर बदलाव बनाया। | |
✔️ हमें इबादत करने का मौका दिया। |
4. नमाज से जिस्मानी फायदे है – Nawaz Ke Fayde
नोट – हमारा जो Brain है उसमे cerebrum होता है और cerebrum में postcantrel gyrus होता है वो जो काम करता है वही नमाज में होता है आप इस वीडियो में देख सकते है
फायदे – इस वीडियो में कुछ Point बताए गए है जिसे डॉक्टर Postcentral Gyrus कहते है जैसे हमारा शरीर मोमेंट में आता है और खून की धारा हर जगह जाति है जो योगा करने में भी काम आता है
5. नमाज से सुकून मिलता है – namaz mein sukoon hai
जो लोग ईमान लाए उनके दिल अल्लाह के जीकर से इत्मीनान हासिल करते है याद रखो अल्लाह ही के जीकर से दिलो की तसल्ली हासिल होती है
(सुरह राड़ 13:28)
5. नमाज तो लोगो से रिश्ते जोड़ती है
जम्मात के साथ नमाज अकेले नमाज पड़ने से 27 दर्जा फजीलत रखती है
(सही बुखारी 645)
नोट – अल्लाह ने तो नमाज को जम्मात के साथ पड़ने का हुकुम बेजा ताकि तुम मोहोबत से एक साथ रहो
6. नमाज़ से गुनाह माफ होते हैं
✅ जी हां, नमाज़ इंसान के छोटे-छोटे गुनाहों को मिटा देती है। इस बारे में कई हदीसें मौजूद हैं:
हदीस – प्यारे नबी सल्लालाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह ताला तो नमाज के जरिए गुनाओ को मिटा देता है
(सही बुखारी – 528)
अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“तुम क्या यह नहीं देखते कि अगर किसी के दरवाजे पर एक नदी हो और वह उसमें दिन में पाँच बार नहाए, तो क्या उसके जिस्म पर कोई मैल बाकी रहेगा?”
सहाबा (रज़ि.) ने अर्ज़ किया, “नहीं, बिल्कुल भी मैल नहीं रहेगा।”
तब आप (ﷺ) ने फरमाया, “यही मिसाल पाँच वक्त की नमाज़ की है, अल्लाह उसके ज़रिए गुनाहों को मिटा देता है।”
(सहीह बुखारी 528, सहीह मुस्लिम 667)
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“जब कोई बंदा नमाज़ पढ़ता है, तो उसके पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं, बशर्ते कि वह बड़े गुनाहों से बचे।”
(सहीह मुस्लिम 233)
✅ नमाज़ सिर्फ़ अल्लाह की इबादत नहीं, बल्कि एक ऐसा अमल है जो गुनाहों की माफी का भी ज़रिया बनता है। इसलिए हमें अपनी पाँचों नमाज़ों की पाबंदी करनी चाहिए और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए।
7. पाँच वक्त की नमाज़ और जन्नत की गारंटी
हदीस – हमारे प्यार नबी मोहमादु रसुल्लुला सल्लाहू अलैहि वसल्लम फरमाते है की अल्लाह का फरमान है मैने तुम लोगो पर 5 वक्त की नमाज फर्ज की है और में इस बात की जमानत देता हूं की जो इसे हमेशा अपने वक्त पर अदा करेगा में उसे जन्नत में दाखिल करूंगा और जो इसे हमेशा ना पड़ेगा उसके लिए मेरी कोई जमानत नहीं
(अबू दाऊद 428)
यह हदीस इस्लाम में नमाज़ की अहमियत को बयान करती है। अल्लाह ने हमें दिन में पाँच बार नमाज़ अदा करने का हुक्म दिया है, और जो इसे पाबंदी से अदा करेगा, उसके लिए अल्लाह ने जन्नत की गारंटी दी है। लेकिन जो इसे छोड़ देगा, उसके लिए अल्लाह की तरफ़ से कोई वादा नहीं।
Also Read : Namaz ka tarika in hindi – नमाज पढ़ने का तरीका हिंदी में
8. क्या नमाज़ छोड़ना बड़ा गुनाह है?
✅ जी हाँ, नमाज़ छोड़ना बहुत बड़ा गुनाह है।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“हमारे और कुफ्र (नास्तिकता) के बीच का फर्क नमाज़ है, जो इसे छोड़ देगा, उसने कुफ्र किया।”
(सहीह मुस्लिम 82)
Conclusion
आज के इस लेख में हमने जाना कि नमाज़ क्यों ज़रूरी है (Namaz Kyun Zaroori Hai) और मुसलमानों को पांच वक्त की नमाज़ की पाबंदी क्यों करनी चाहिए।
नमाज़ सिर्फ एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि यह एक मुकम्मल जिंदगी जीने का तरीका है। यह इंसान को गुनाहों से बचाती है, अल्लाह से जोड़ती है, मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए फायदेमंद है और आखिरत में कामयाबी का जरिया है। मुसलमान को हर हाल में पांच वक्त की नमाज़ की पाबंदी करनी चाहिए ताकि वह अल्लाह की रहमत और बरकतों का हकदार बन सके।
अल्लाह हमे नेक अमल करने की तोफिक आता फरमाए आमीन।
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