Seerat Un Nabi In Hindi – Part 2 : नबी की पैदाइश और उनकी परवरिश
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
आज हम Seerat Un Nabi In Hindi के Part 2 में बात करने वाले है नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश और उनकी परवरिश के बारे में की कैसे हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस दुनिया में आए और उनका खानदान क्या था।
Seerat Un Nabi In Hindi – Part 2
आपको बता दे की उसके बाद बहुत सी बुराइयां भी फेल गई और जहीलत का दौर भी आया था लेकिन हम यह सब बताएंगे तो बात लम्बी हो जायेगी इसलिए हम अप सिदा Seerat Un Nabi In Hindi यानी की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का किस्सा हिंदी में बयान करेंगे।
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नबी की पैदाइश और उनका नाम रखना।
जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पैदा होए तो वो पीर का दिन था हालाकि आपको बता दे की बादमें पर के दिन ही आप नबी बने थे और पीर के दिन ही हिजरत के लिए निकले थे और पीर के दिन ही मदीना पोछे और पीर के दिन को ही आप रोजा भी रखा करते थे।
फिर जब आप पैदा होए तो आपके दादा अब्दुल मुतलिब आपको गोद में उठा कर खाना काबा ले गए आपके लिए दुआ की ओर आपका नाम मोहम्मद रखा।
फिर जब अब्दुल मुतलीब से पूछा की आपने इनका नाम दुसरे लोगो की तरफ क्यों नहीं रखा तो जवाब दिया की में चाहता हूं मेरे पोते पर इस्लाम का असर पड़े।
और आपकी वालिदा यानी आमिना ने आपका नाम अहमद रखा हालाकि आपको बता इस का जीकर इंजिल में भी मौजूद है और कुरान में अल्लाह ने फरमाया है की हमने आपको पूरी दुनिया के लिए रहमत बना कर भेजा।
आपको बता दे की आमना एक पाकीजा बेगम थी और आपको बता दे की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश से पहले ही आपके पिता अब्दुला वफात पा चुके थे इसलिए आपको आपके दादा अब्दुल मुतलिब ने नाम दिया था।
नबी की परवरिश
फिर वहा खाने पीने की कमी की वजह से दूध बकरी के दुध में कमी आया करती थी तो वहा एक रिवाज था की बचो को दूध पिलाने के लिए दूसरी औरते लेने आया करती थीं जिनके उनको पैसे मिला करते थे।
फिर यह हुआ की जब वो औरते आई तो सब ने अमीर बचो को ले गए यह सोच कर की यह हमे जायदा पैसे देंगे उन औरतों में एक हलीमा नाम की थी जिनका जानवर में कमिया थी और उनके घेर में भी दूध की कमी थी इसलिए लोगो ने यह सोच कर उन्हे बचा नही दिया और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यतीम थे इसलिए उनको कोई ले जाने को राजी ना थी।
फिर कुछ समय बाद हलीमा को जब कोई बचा ना मिला तो उनके पास अबू तालिब आए और कहने लगे क्या तुम मेरे पोते की परवरिश कर सकती हो हालाकि आपको बता दे की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यतीम थे मगर हलीमा के पास कोई रास्ता नहीं था इसलिए उन्होंने उनको ले लिया।
हालाकि आपको बता दे की वो जिनपर आई थी वो एक भद्दी थी जो सुस्त और मारियल चाल चलती थी मगर जब उन्होंने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को उसपर बेटा के ले जाने लगी तो उनकी गद्दी की रफ्तार बड़ गई और उन सब को पीछे छोड़ दिया और यह सब देख कर वो सब औरतें देखती रही हालाकि यह एक मोजिजे से कम नहीं था।
आपको बता दे की नबी को ले जाने से पहले हलीमा के घर के हाल यह थे की उनकी गद्दी सुस्त थी और एक घोड़ी थी जो दूध का एक कतरा भी नही देती थी और उनका एक बेटा जो भूख के मारे रोता रहता था।
लेकिन जब नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अपने घर तारीफ लाई तो उनके घर में बरकत आने लगी उनका सीना दूध से भर गया और उठनी भी दूध देने लगी।
फिर हलीमा हर 6 महीने बाद आपको मक्का लाती और वालीदेंन से मिला थी फिर वापस ले जाया करती थी फिर जब दुध की मुद्दत पूरी होई तो वो आपको मक्का ले आई हालाकि वो उनसे बरकत देख चुकी थी तो हलीमा ने वालीदें से कहा क्यों ना बचे को अभी मेरे पास ही रहने दे ताकि यह और तंद्रुश रहे तो उसपे वालिदें ने कहा ठीक है ले जाओ तो हलीमा उनको खुस हो कर अपने घेर ले आई।
इस तरह आप 2 साल तक वही रहे फिर आप पर आपके सीना मुबारक को चाक करने का वाकिया पेस आया और इस वाकिए से हलीमा खूफ जदा होकर आपको आपके वालीदें के पास छोड़ दिया।
फिर आपने मक्का में अपने घर 2 साल गुजारे फिर उसके बाद आप और आपके घर वाले आपको मदीना ले गए जहा आपके पिता अब्दुला की कबर थी और दादा का नानिया था।
फिर मदीना में 1 महीने रह कर आप मक्का के लिए निकल गए तो रास्ते में आपकी वालिदें आमिना का तबियत खराब होई और फिर उनको थोड़ी धुर जाके इंतकाल कर गई और उनको वही दफना दिया गया।
फिर जब आप मक्का पोछे तो बुड्ढे अबू मुतलिप पर घेरा सदमा पोछा था इसलिए आपके लिए उनके दिल में बहुत मोहोब्बत पैदा होई ऐसी मोहोब्बत जो उनके खुद के बेटो के लिए भी नही थी फिर आप उनको एक बैठे से भी बडकर रखने लगे लेकिन फिर आपका भी इंतकाल हो गया।
अब अबू तालिब ने आपका खयाल रखने का जिम्मा उठाया आपको बता दे की यह इनके पिता यानी अब्दुल्ला के सगे भाई थे हालाकि वो यतीम ही थे मगर आपके कारण उनके घर में बरकत आने लगी।
हालाकि आपको बता दे की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यतीम थे इसलिए तिजारत भी किया करते थे और बकरिया भी चलाया करते थे मगर उन्होंने हमेशा ईमानदारी से काम किया और ना झूट बोला करते थे।
हालाकि बकरिया चला ना नबियों की सुन्नत है जो की हर नबी ने बकरिया चलाई है।
Conclusion
हमने इस पोस्ट Seerat Un Nabi In Hindi के पार्ट 2 में जाना की कहा हमारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश और क्या उनका खानदान था अगले पोस्ट में आपके लिए बहुत सी बातें पेस करेंगे तब तक के लिए बाए।
अल्लाह हम सबको नेक अमल करने की तोफिक आता फरमाए आमीन।
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