बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है
Dua e Qunoot in Hindi: अर्थ, तर्जुमा, पढ़ने का तरीका और फज़ीलत
दुआ ए क़ुनूत (Dua e Qunoot In Hindi) का हिंदी अनुवाद, अर्थ, पढ़ने का तरीका और इसके फायदे। इसे वित्र की नमाज़ में क्यों पढ़ा जाता है? जानिए इस्लामी हदीस और कुरान की रोशनी में।
1. दुआ ए क़ुनूत क्या है?
दुआ ए क़ुनूत (Dua e Qunoot) इस्लाम में एक खास दुआ है, जिसे खास तौर से वित्र की नमाज में पढ़ा जाता है। “क़ुनूत” का अर्थ है “ताबे’दारी, नम्रता और दुआ करना”।
इसे नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुश्किल समय में पढ़ा और अपनी उम्मत को सिखाया। यह दुआ रात की नमाज़ (वित्र) में पढ़ी जाती है और इसमें अल्लाह से मदद, रहमत और रास्ता दिखाने की गुजारिश की जाती है।
2. Dua E Qunoot In Hindi #1
जब एक कबीले ने नबी सल्लाहू अलैहि वसल्लम से गुजारिश की हमे deen सीखना है तो कुछ साहाबा किराम को यहां बेज दीया जाए जो इलम रखते है तो आप सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने 70 साहाबा किराम को बेजा जो इलम रखते थे लेकिन उस कबीले ने धोका दिया और सारे साहाबा किराम को कतल कर दिए फिर एक सहाबा बच गया था जो पहाड़ के अपर चला गया मगर इन्होंने उसको भी मर डाला फिर ये सब जिब्राइल अलेह सलाम ने नबी सल्लाहू अलैहि वसल्लम को इसके बारे में बताया तो आपने 40 दिन तक फजर की नमाज में बदवा दी जिसमे ये दुआ भी पड़ा करते है जिसे Dua E Qunoot In Hindi कहते है और वो दुआ ये थी
(A) दुआ ए कुनूत अरबी में – Dua E Qunoot In Arabic
“अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तइनु क व नस्तग्फिरूक व नुअमिनु बि क व न त वक्कलु अलैक व नुस्नी अलैकल खैर व नशकुरुक वला नक्फुरू क व नख लओ व नतरूकु मंय्यफ्जुरू क अल्लाहुम्म इय्या क नअबुदू व लका नुसल्ली व नस्जुदू व इलैक व नसआ व नहफिदु व नरजु रहमत क व नख्शा अजा इन्न अजा ब क बिल कुफ्फारि मुल्हिक.”
(B) Dua E Qunoot Hindi Mein – दुआ ए कुनूत Hindi
“अल्लाह हम मदद चाहते हैं तूझसे माफी मांगते हैं तुझ पर ईमान रखते हैं और तुझ पर भरोसा भी करते हैं और तेरी ही तारीफ करते हैं और तेरा शुक्र अदा करते हैं ना शुक्री नहीं करते है । उस शख्स को अलग करते हैं छोड़ते हैं जो अल्लाह की नाफरमानी करते है । अल्लाह हम तेरी इबादत करते हैं और तेरे लिए ही नमाज़ पढ़ते सजदा करते हैं और तेरी तरफ दौड़ते और झपटते रहते हैं और तेरी रहमत के उम्मीदवार हैं और तेरे आजाब़ से भी डरते हैं बेशक तेरा आजाब़ काफिरों को पहुंचने वाला है ।”
(C) Dua E Qunoot In English – दुआ ए कुनूत In English
“Allahumma Inna Nastainuka W Nastagfiruka W Nua-minu Bika Wanat- wakkalu Alaika W Nusni Alaikal Khair W Nash Kuruk walaa Nakfuruka W Nakh Lao W Natruku Mayyaf- zuruk Allahumma Iyyaka N’Abudu W Lakaa Nusalli W Nasjudu W ILaika Nas’aA W Nahfidu W Narzuu Rahmat’K W Nakhsha Azza Inna Azza B’k Bil Kuffari Mullh-eek.”
(सही बुखारी 2801)
(सुन्न बईहकी 2/210)
नोट – ये Dua E Qunoot In Hindi पहली दुआ है जिसे आप सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फजर में पड़ा करते है और आपने ये 40 दिन तक पड़ी क्युकी तब आपने उस कबीले के लिए बदुआ किया करते थे तो ये दुआ हम किसी पे बदुआ के टाइम पड़ना नबी से साबित है और वो ये अमल फजर में किया करते थे
3. Dua E Qunoot In Hindi #2
हसन बिन अली रजि अल्लाह अन्हु बयान करते है की नबी सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने मुझे कुछ कलामात सिखाए जो में वित्त की नमाज में पड़ा करता था वो ये है
(A) दुआ ए कुनूत अरबी में – Dua E Qunoot In Arabic
“अल्लाहुम्मदिनी फीमन हदैत, वआफिनी फीमन आफैत व तवल्लनी फीमन तवल्लैत, वबारिक ली फीमा अस्त, वकिनी शर-र मा कज़ैत, फइन्न-क तकज़ी वायुकज़ा अलैक, वइन्नहू ला यजिल्लु मंव वालैत, तबारक – रब्बना व तआलैत व सल्लल्लाहु अलन्नबिय्य”
(B) Dua E Qunoot Hindi Mein – दुआ ए कुनूत Hindi
“ऐ अल्लाह ! मुझे हिदायत दे उन में जिन को तूने हिदायत दी और मुझे आफियत (चैन) दे उन में जिनको तूने आफियत दी और मुझे दोस्त बना उन में जिन को तूने दोस्त बनाया और मुझे बरकत दे उस में जो तूने मुझे दिया है और मुझे उस बुराई से बचा जिस का तूने फैसला किया है, पस बेशक तू ही फैसला करता है और तेरे ऊपर किसी का फैसला नहीं होता, बेशक वह ज़लील नहीं होता जिस को तू दोस्त रखे, तू बरकतवाला है हमारे रब और तू बुलंद ( ऊँचा, अज़ीम ) है और अल्लाह की रहमत हो नबी पर”
(सुन्न अबू दाऊद 1425-1226)
(सुन्न निसाई 1746-1747-1748)
नोट – ये दूसरी Dua E Qunoot In Hindi है जिसे वित्त की नमाज में पड़ा करते थे
4. दुआ ए क़ुनूत कब पढ़ी जाती है?
(A) वित्र की नमाज़ में
यह दुआ तीन रकात वाली वित्र वाजिब नमाज़ की तीसरी रकात में रुकू से पहले या बाद में पढ़ी जाती है।
(B) मुसीबत और कठिन समय में
जब कोई बड़ी परेशानी या मुसीबत आती है, तो इसे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने पढ़ा।
(C) खास इबादत और दुआ के लिए
यदि कोई व्यक्ति अल्लाह से रहमत, मदद और हिफाज़त की दुआ करना चाहता है तो इसे पढ़ सकता है।
5. हदीस और कुरान में दुआ ए क़ुनूत की अहमियत
(A) सहीह मुस्लिम हदीस 677
हजरत अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है कि नबी ए करीम (स.अ.व.) ने क़ुनूत दुआ को कठिन समय में पढ़ा और अपने साथियों को सिखाया।
(B) इमाम तिर्मिज़ी (हदीस 464)
रसूलुल्लाह (स.अ.व.) ने वित्र नमाज़ में दुआ ए क़ुनूत पढ़ने की तालीम दी।
(C) कुरान (अल-बक़रा 2:186)
“जब मेरे बन्दे मुझसे दुआ माँगते हैं तो मैं उनकी दुआ कबूल करता हूँ।”
6. दुआ ए क़ुनूत पढ़ने के फायदे
(A) अल्लाह की मदद मिलती है
यह दुआ अल्लाह से रहमत और सहायता माँगने का सबसे अच्छा तरीका है।
(B) गुनाहों की माफी होती है
इस दुआ में अल्लाह से तौबा और मग़फिरत की दुआ की जाती है।
(C) दिल को सुकून मिलता है
रात के वक़्त इस दुआ को पढ़ने से दिल को सुकून और राहत मिलती है।
(D) मुसीबतों से बचाव होता है
इस्लामी इतिहास में कई बार नबी (स.अ.व.) ने इस दुआ को मुश्किल समय में पढ़ा, जिससे मुसलमानों को मदद मिली।
7.वित्र नमाज़ और दुआ ए क़ुनूत के तरीकों से संबंधित सही हदीसें (संदर्भ सहित)
इस्लामिक फिकह में वित्र नमाज़ और दुआ ए क़ुनूत के कई तरीके मिलते हैं। आइए उन हदीसों को देखें जो इन तरीकों को प्रमाणित करती हैं।
हदीस 1:
हजरत आयशा (र.अ.) फरमाती हैं:
“नबी (ﷺ) वित्र तीन रकात पढ़ते थे और बीच में सलाम नहीं फेरते थे।”
(सुनन नसाई, हदीस 1680)
हदीस 2:
इब्न अब्बास (र.अ.) से रिवायत है कि:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) वित्र की तीन रकात इस तरह पढ़ते थे जैसे कि मगरिब की नमाज़।”
(मुस्तदरक अल-हाकिम, हदीस 1120, इसे इमाम ज़हबी और इमाम हाकिम ने सही कहा है)
हदीस 3:
इब्न उमर (र.अ.) फरमाते हैं:
“नबी (ﷺ) वित्र की नमाज़ को अलग-अलग दो और एक रकात में पढ़ते थे।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस 752)
हदीस 4:
अबू हुरैरा (र.अ.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“रात की नमाज़ दो-दो रकात करके पढ़ो, और अगर तुम्हें यह डर हो कि सुबह हो जाएगी, तो एक रकात वित्र पढ़ लो।”
(सहीह बुखारी, हदीस 990; सहीह मुस्लिम, हदीस 749)
हदीस 5:
हजरत उमर (र.अ.) से रिवायत है:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) वित्र में रुकू से पहले दुआ ए क़ुनूत पढ़ते थे।”
(अब्दुर्रज़्ज़ाक, मुसन्नफ, हदीस 4966)
हदीस 6:
अनस बिन मालिक (र.अ.) से रिवायत है:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक महीने तक फज्र की नमाज़ में रुकू के बाद दुआ ए क़ुनूत पढ़ी।”
(सहीह बुखारी, हदीस 1002; सहीह मुस्लिम, हदीस 677)
हदीस 7:
अबू हुरैरा (र.अ.) से रिवायत है कि:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी कौम के खिलाफ बद्दुआ करते थे, तो वह रुकू के बाद दुआ ए क़ुनूत पढ़ते थे।”
(सहीह बुखारी, हदीस 1003)
8. सबसे अफज़ल तरीका कौन सा है?
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Conclusion
दुआ ए क़ुनूत इस्लाम की एक महत्वपूर्ण दुआ है, जो विशेष रूप से वित्र की नमाज़ में पढ़ी जाती है। यह हमें अल्लाह की रहमत और मार्गदर्शन की ओर ले जाती है। हदीसों और कुरान में इसकी बहुत सी फज़ीलतें बताई गई हैं। हर मुसलमान को इसे सही तरीके से सीखना और अपनी ज़िन्दगी में शामिल करना चाहिए।
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