बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Musalmanon Par Atyachar – Little Sign of Doomsday (5)
इस्लाम के इतिहास में कई ऐसे क्षण आए हैं, जब मुसलमानों पर अत्याचार और ज़ुल्म हुआ। रसूलुल्लाह ﷺ ने क़यामत के नज़दीक होने वाली कुछ विशेष निशानियों का जिक्र किया, जिनमें से एक यह थी कि मुसलमानों पर एक वक़्त ऐसा आएगा जब बड़े पैमाने पर अत्याचार और ज़ुल्म किए जाएंगे। यह फ़ितना उस समय का संकेत होगा जब उम्मत की तबाही और संघर्ष अपने चरम पर होगा।
पिछले आर्टिकल में हमने जाना था क़यामत की निशानियों में से एक निशानी हज़रत उमर फ़ारूक़ (रज़ि.) की शहादत है। अगर आपने वह नहीं देखा, तो इस आर्टिकल को देखें।
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आइए हम इस हदीस की गहराई में जाकर समझें कि किस तरह क़यामत के करीब मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ेंगे, और इस दौर में हमें किस तरह का रवैया अपनाना चाहिए।
हदीस की रोशनी में
हज़रत मुहम्मद ﷺ फ़रमाते हैं:
“तुमसे पहले जिन उम्मतों पर क़यामत आई, उन पर सबसे बड़े अत्याचार और ज़ुल्म हुए। तुम्हारी उम्मत भी उनसे किसी तरह कम नहीं होगी, क्योंकि तुम पर क़यामत के करीब जो फ़ितने और अत्याचार होंगे, वो सबसे बड़े होंगे।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस 2940)
अत्याचार के दौर का संकेत
इस हदीस से हमें यह संदेश मिलता है कि मुसलमानों पर अत्याचार का दौर बढ़ेगा, और यह दौर उस समय का संकेत होगा जब क़यामत नजदीक होगी। यह अत्याचार जिन्हें हम व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर देखेंगे, वो हमें क़यामत के करीब होने का एहसास दिलाएंगे।
मुसलमानों पर अत्याचार के उदाहरण
1. मक्का में मुसलमानों पर अत्याचार
जब रसूलुल्लाह ﷺ ने इस्लाम का प्रचार करना शुरू किया, तो मक्का के काफ़िरों ने मुसलमानों पर सबसे बड़े अत्याचार किए। उन्हें बड़ी सख्ती से सताया गया, उनका समाज से बहिष्कार किया गया, और हज़रत अबू तालिब (रज़ि.) की शरण में शरणार्थी होने के बावजूद काफ़िरों ने उन्हें तंग किया।
2. यथरबुला और कर्बला का वाक़िया
कर्बला में हज़रत हुसैन (रज़ि.) पर जो अत्याचार हुआ, वह इस्लाम के इतिहास में एक काला अध्याय बना। क़यामत के नज़दीक आने वाली एक बड़ी निशानी के रूप में इस वाक़िए को देखा जा सकता है, जब मुसलमानों को बिना किसी कारण मारने और उन पर अत्याचार करने की हद तक बात बढ़ी।
3. तुर्की में तस्लीस के खिलाफ संघर्ष
तुर्की में, सुलतान मुहम्मद फातिह के दौर में, मक्समूल से लेकर विश्वभर में मुसलमानों के खिलाफ फसाद होते रहे। अनेकों मुसलमानों को दूसरी मुस्लिम रियासतों के साथ मिलकर अत्याचार का सामना करना पड़ा।
4. आधुनिक समय में मुसलमानों पर अत्याचार
आज के समय में भी हम देखते हैं कि मुसलमानों पर अत्याचार और ज़ुल्म की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं, जैसे कि कश्मीर, म्यांमार, और सीरिया में। इन अत्याचारों का सिलसिला हर ज़माने में चलता आया है और क़यामत के करीब यह और भी बढ़ेगा।
मुसलमानों पर अत्याचार के बढ़ने का कारण
1. उम्मत का एकजुट ना होना
जब उम्मत आपस में बांटी हुई और कमजोर हो जाती है, तो उसे दुश्मनों द्वारा अत्याचार का शिकार बनना पड़ता है। उम्मत की एकता की ताक़त ही इस अत्याचार को रोक सकती है।
2. दीन से दूर होना
जब हम अपनी शरीयत और इस्लामिक हदों से दूर होते हैं, तो हमारे समाज में संघर्ष और लड़ाई बढ़ती है, जिससे हम पर ज़ुल्म और अत्याचार बढ़ जाते हैं।
3. ज़ुल्मियों की ताक़त
मुसलमानों के दुश्मन हमेशा कोशिश करते हैं कि इस्लाम को नष्ट करें। जब मुसलमान अपनी क़ौमी ताक़त को खो देते हैं, तो इन दुश्मनों को अत्याचार करने का मौका मिलता है।
इस्लाम में अत्याचार से बचने के उपाय
1. इमामत और हुकूमत की अहमियत
इस्लाम में सही हुकूमत का होना बहुत ज़रूरी है। जब उम्मत के पास सही हुकूमत होती है, तो समाज में शांति और सद्भाव रहता है।
2. दुआ और तवक्कुल (आश्रितता)
हमें इस समय में अल्लाह से मदद और सहायता की दुआ करनी चाहिए। साथ ही, आत्मविश्वास के साथ संघर्ष करने की भी ताक़त रखनी चाहिए।
3. भाईचारे की अहमियत
मुसलमानों के बीच भाईचारे और एकता का होना अत्यधिक ज़रूरी है, ताकि हम किसी भी हालत में एक-दूसरे का सहारा बन सकें।
इस्लामिक दुआ
रसूलुल्लाह ﷺ से सिखी हुई दुआ:
“ऐ अल्लाह! हमें अपनी जन्नत का अहल बना और हमें नरक के अज़ाब और ज़ाहिरी और छुपे हुए फ़ितनों से बचा।”
(सुनन अबू दाऊद, हदीस 4259)
नतीजा (Conclusion)
हज़रत मुहम्मद ﷺ ने जो क़यामत की निशानियाँ बताई हैं, उनमें मुसलमानों पर अत्याचार का बढ़ना एक प्रमुख निशानी है। हमें चाहिए कि हम अपने ईमान को मज़बूत रखें, एकता कायम रखें और अल्लाह से मदद के लिए दुआ करें। इस समय में हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने समाज को सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करें और इस प्रकार के अत्याचारों से बचने के उपाय खोजें।
क्या आप तैयार हैं इस फ़ितने का मुकाबला करने के लिए?
क्या आप अपनी उम्मत की भलाई के लिए काम करेंगे और एकता बनाए रखेंगे?