बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

Us Gher Me Barqat Nahi Hoti Hai – Sahih Muslim 6574 Ki Tafseer

Aaj Ki Hadees

Janiye Sahih Muslim 6574 ki tafseer, jisme bataya gaya hai ki kis wajah se ghar se barkat uth jati hai. Isme Quran aur Hadith ki roshni me tafseer di gayi hai. Har Muslim gharane ke liye zaroori maloomat.

Sahih Muslim 6574

हदीस इन इंग्लिश

Nabi Sallallahu Alaihi Wasallam Ka Farman Hai Jis Gher Ke Darwaze Rishtedaro Ke Liye Band Or Jis Gher Me Raat Deir Tak Jagne Or Subhe Deir Se Uthne Ka Rivaj Ho Jaye To Waha Rizk Ki Tangi Or Be-barkati Ko Koi Nahi Rok Sakta Hai

हदीस इन हिंदी

नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है। जिस घर के दरवाजे रिश्तेदारों के लिए बंद और जिस घर में रात देर तक जागने और सुबह देर से उतने का रिवाज हो जाए तो वहा रिज्क की तंगी और Be-Barkati को कोई नही रोक सकता है।

(सही मुस्लिम – 6574)

1. इस हदीस की तफ्सीर और इसका सही मतलब

इस हदीस में घर में बरकत (रहमत) खत्म होने की 2 वजहें बताई गई हैं:

1. जब घर के दरवाजे रिश्तेदारों के लिए बंद हो जाएं

👉 इस्लाम में सिला-रहमी (रिश्तेदारों से अच्छे ताल्लुक रखना) बहुत अहमियत रखता है।

👉 अगर कोई इंसान अपने रिश्तेदारों से दूर हो जाता है, उनसे हक अदा नहीं करता या उन्हें नजरअंदाज करता है, तो अल्लाह उसके रिज़्क़ में तंगी डाल देता है।

हदीस:

“जो अपने रिश्तेदारों से ताल्लुक तोड़ता है, उसका रिज़्क़ कम कर दिया जाता है और उसकी उम्र में कमी आ जाती है।”

(सहीह बुखारी 5985, सहीह मुस्लिम 2557)

(A) हल क्या है?

✅ रिश्तेदारों का हाल-चाल पूछें।

✅ अगर कोई नाराज़ है, तो उसे मना लें।

✅ गरीब रिश्तेदारों की मदद करें।

2. जब घर में रात देर तक जागने और सुबह देर से उठने का रिवाज हो जाए

👉 इस्लाम में सुबह जल्दी उठने की बहुत फज़ीलत बताई गई है।

👉 सुबह का वक्त बरकत वाला होता है और अगर कोई इंसान रात देर तक जागता है और सुबह देर से उठता है, तो उसकी रोज़ी तंग हो जाती है।

हदीस:

“सुबह का वक्त मेरी उम्मत के लिए बरकत वाला बनाया गया है।”

(सुनन तिर्मिज़ी 1212)

(A) नुकसान:

❌ सुबह की नमाज छूट जाती है।

❌ रिज़्क़ में बरकत खत्म हो जाती है।

❌ जिस्मानी और रूहानी ताकत कमजोर हो जाती है।

(B) हल क्या है?

✅ ईशा के बाद जल्दी सोने की आदत डालें।

✅ सुबह फज्र की नमाज के बाद जागें।

✅ सुबह उठकर अल्लाह का जिक्र करें।

आज के दौर में लोग बरकत क्यों खो रहे हैं?

1. ईशा के बाद सोने की अहमियत और आजकल की हकीकत

नबी ﷺ ने फरमाया:

“ईशा के बाद बातों में ज्यादा मशगूल मत हो, बल्कि जल्दी सो जाओ और सुबह जल्दी उठो।”

(सहीह बुखारी 568, सहीह मुस्लिम 647)

(A) लेकिन आज के दौर में लोग

❌ लेट नाइट मूवीज देखते हैं

❌ मोबाइल पर गेम खेलते हैं

❌ फालतू सोशल मीडिया और गपशप में वक्त जाया करते हैं

(A) नतीजा:

👉 रात को देर से सोने के कारण सुबह की फज्र की नमाज छूट जाती है।

👉 सुबह देर से उठने के कारण कामकाज में सुस्ती और आलस आ जाता है

👉 अल्लाह की बरकत खत्म हो जाती है।

कुरान में अल्लाह फरमाता है:

“और हमने रात को आराम के लिए बनाया और दिन को रोज़ी कमाने का ज़रिया बनाया।”

(सूरह नबा 78:9-11)

✅ इसलिए हमें रात में जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी चाहिए।

रिश्तेदारों से दूरी और बरकत का खत्म होना

👉 आजकल लोग मामूली बातों पर रिश्तेदारों से रिश्ता तोड़ने की बात करने लगते हैं।

हदीस:

“जो अपने रिश्तेदारों से ताल्लुक तोड़ता है, उसका रिज़्क़ कम कर दिया जाता है और उसकी उम्र में कमी आ जाती है।”

(सहीह बुखारी 5985, सहीह मुस्लिम 2557)

कुरान में अल्लाह फरमाता है:

“जो लोग अल्लाह के हुक्म के मुताबिक रिश्तों को जोड़ते हैं, अल्लाह उनके घर में बरकत और रहमत नाजिल करता है।”

(सूरह रअद 13:21)

(A) हल

✅ रिश्तेदारों के हक अदा करें।

✅ अगर कोई नाराज है तो उसे मना लें।

✅ गरीब रिश्तेदारों की मदद करें।

देर से उठने की आदत और रिज़्क़ में तंगी

नबी ﷺ ने फरमाया:

“सुबह का वक्त मेरी उम्मत के लिए बरकत वाला बनाया गया है।”

(सुनन तिर्मिज़ी 1212)

👉 लेकिन आजकल लोग देर रात जागते हैं और सुबह देर से उठते हैं।

(A) नतीजा

❌ रोज़ी में तंगी आ जाती है।

❌ अल्लाह की रहमत से महरूम हो जाते हैं।

❌ कामकाज में सुस्ती और आलसीपन आ जाता है।

हदीस:

“जो सुबह जल्दी उठता है, उसके कामों में बरकत डाल दी जाती है।”

(सुनन इब्न माजा 2230, सुनन अबू दाऊद 2606)

✅ हमें अपनी सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी चाहिए और फज्र की नमाज की पाबंदी करनी चाहिए।

Conclusion

अगर रिज़्क़ में तंगी और घर में बे-बरकती हो, तो हमें अपनी आदतों को देखना चाहिए।
रिश्तेदारों से अच्छा सुलूक, सुबह जल्दी उठना और हलाल कमाई को अपनाकर हम अल्लाह की रहमत और बरकत पा सकते हैं।

अल्लाह हमे नेक अमल करने की तोफिक आता फरमाए आमीन।

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