शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
Islam Ki Shehzadi Momin Aurto Allah Ne Tume Ye Hukum Diya Hai – Surah An-Nur 24 Ki Aayat 31 Ki Tafseer
इस्लाम औरतों के लिए इज्जत, हया और पर्दे को बहुत अहमियत देता है। अल्लाह तआला ने कुरआन-ए-पाक में औरतों के लिए हिफाजत और पाकीज़गी के जो हुक्म दिए हैं, वह हर मोमिन औरत को अपनाने चाहिए।
Surah An-Nur 24 Ki Aayat 31 Ki Tafseer आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि मोमिन औरतों के लिए इस्लाम में क्या हुक्म दिया गया है, क्यों पर्दा और हया जरूरी है, और कौन-कौन से रिश्तेदारों के सामने ज़ीनत जाहिर करना हराम नहीं है।
Aaj Ki Aayat
Hadees In English
Aye Nabi Sallallahu Alaihi Wasallam Momin Aurto Se Bhi Keh Do Ki Vo Apni Nazre Neeche Rakhe Or Apni Sharmgha Ki Hifazat Kare Or Apne Jinnat Ko Jahir Na Kare Bs Jo Khud Ba Khud Jahir Ho Jaye Uska Tum Per Gunna Nahi Or Apni Odni Ko Apne Scene Per Dale Rahe Or Apne Shohar Ya Apne Baap Dadao Ya Apne Beto Ya Apne Bhaiyo Ya Apne Bhatizo Ya Apne Banjo Ya Apne Kism Ki Aurto Ya Apni Nokrani Ya Vo Aadmi Nokar Jo Buda Hone Ke Karan Aurto Se Matlab Na Rakhe Ya Vo Chote Bache Jinme Samjh Na Ho Inke Siwa Kisi Pe Apna Jinnat Jahir Na Hone Diya Karo Or Jab Chalo To Itra Ke Mat Chala Karo Or Aye Meri Momin Aurto Tum Allah Se Toba Kara Karo Taki Tum Fala Pao
Hadees In Hindi
ए नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मोमिन औरतों से भी कह दो के वो अपनी नजरे नीची रखे और अपनी शार्मघा की हिफाजत करे और अपने जीनत को जाहिर ना करे बस जो खुद बा खुद जाहिर हो जाए उसका तुम पर कोई गुना नही और अपनी ओढ़नी को अपने सीने पर डाले रहे और अपने सोहर या अपने बाप दादाओं या अपने बैठो या अपने भाइयों या अपने भतीजों या अपने भांजो या अपने किस्म की औरतों या अपनी नौकरानी या वो नोकर आदमी जो बुड्डा होने के बावजूद औरत से मतलब ना रखे या वो छोटे बच्चे जिन में समझ ना हो इनके सिवा किसी पर अपना जीनत जाहिर ना होने दिया करो और जब चलो तो इतरा के मत चला करो और ए मेरी मोमिन औरतों तुम अल्लाह से तोबा करा करो ताकि तुम फला पाओ।
(Surah Noor – 24:31)
इस आयत की तफसीर
1. निगाहें नीची रखने का हुक्म
आयत:
“मोमिन औरतों से कह दो कि वह अपनी निगाहें नीची रखें…”
तफसीर:
इस्लाम में हया और पाकीज़गी को बहुत महत्व दिया गया है। अगर कोई औरत या मर्द अपनी निगाहों को कंट्रोल नहीं करेगा, तो उसके दिल में गुनाहों की तरफ झुकाव बढ़ सकता है। इसलिए, गैर-महरम को घूरकर देखना हराम है।
हदीस:
“नबी ﷺ ने फरमाया: पहली नजर माफ है, लेकिन दूसरी नजर तुम्हारे लिए गुनाह है।”
(मुस्लिम 2159)
2. शर्मगाह की हिफाजत का हुक्म
आयत:
“और अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करें…”
तफसीर:
इसका मतलब है कि औरतें और मर्द अपनी इज्जत (पवित्रता) की हिफाजत करें। इस्लाम में हराम रिश्ते, नाजायज दोस्ती, ज़िना (व्यभिचार) और हर उस चीज़ से बचने का हुक्म दिया गया है जो इंसान को गुनाह की तरफ ले जाए।
कुरआन:
“ज़िना के करीब भी मत जाओ, क्योंकि यह बहुत ही बुरा और शर्मनाक गुनाह है।”
(सूरह अल-इसरा 17:32)
3. अपनी ज़ीनत (सौंदर्य) को गैर-महरम के सामने ज़ाहिर न करने का हुक्म
आयत:
“और अपनी ज़ीनत को जाहिर न करें, सिवाय उसके जो खुद-ब-खुद जाहिर हो जाए।”
तफसीर:
इस्लाम में औरतों को गैर-महरम मर्दों के सामने अपने हुस्न (सौंदर्य) को छुपाने का हुक्म दिया गया है।
✅ किन चीजों को छुपाना जरूरी है?
बाल
चेहरा (अधिकतर उलेमा का मानना है कि यह भी पर्दे में होना चाहिए)
जिस्म के आकर्षक हिस्से
जेवर और मेकअप
हदीस:
“औरत पर्दे में रहने के लिए है, जब वह बाहर निकलती है, तो शैतान उसे घूरता है।”
(तिर्मिज़ी 1173)
4. दुपट्टे को सीने पर डालने का हुक्म
आयत:
“और अपने दुपट्टे अपने सीने पर डालकर रखें…”
तफसीर:
इस्लाम से पहले जाहिलियत (अज्ञानता) के दौर में औरतें अपने सिर पर दुपट्टा रखती थीं, लेकिन गले और छाती को खुला छोड़ देती थीं। इस आयत के जरिए अल्लाह ने औरतों को हुक्म दिया कि वे अपने दुपट्टे को ठीक से लपेटकर रखें ताकि उनका जिस्म गैर-महरम की नजरों से बचा रहे।
हदीस:
“जब औरत घर से बाहर निकलती है, तो शैतान उसे देखता है।”
(तिर्मिज़ी 1173)
5. किन महरम रिश्तेदारों के सामने ज़ीनत जाहिर कर सकते हैं?
आयत:
“और अपनी ज़ीनत को केवल अपने शौहर, अपने बाप, अपने ससुर, अपने बेटों, अपने भाइयों, अपने भतीजों, अपने भांजों, अपनी औरतों, अपनी नौकरानियों, उन नौकरों से जो औरतों की जरूरत नहीं रखते, या उन बच्चों से जो औरतों के पर्दे की बातों से परिचित नहीं हैं—इनके अलावा किसी के सामने जाहिर न करें।”
✅ इन महरम रिश्तेदारों के सामने औरत पर्दा नहीं करती:
पति
पिता, दादा, नाना
ससुर
बेटा, पोता, नाती
भाई
भतीजा, भांजा
❌ गैर-महरम रिश्तेदारों के सामने पर्दा करना फर्ज है:
कज़िन (फुफेरा, ममेरा, चचेरा, तहेरा भाई)
दोस्त, सहकर्मी, पड़ोसी
ससुराल के अन्य लोग (देवर, जेठ)
अजनबी मर्द
हदीस:
“देवर तो मौत की तरह है (यानी उसके सामने पर्दा करना जरूरी है)।”
(बुखारी 5232)
6. इतराकर (मटक-मटक कर) चलने की मनाही
आयत:
“और जब चलो तो इस तरह न चलो कि तुम्हारी छिपी हुई ज़ीनत जाहिर हो जाए।”
तफसीर:
इस्लाम में औरतों को नर्मी और सादगी से चलने का हुक्म दिया गया है। ऐसी चाल-ढाल, बातचीत और हंसी-मजाक जो मर्दों को आकर्षित करे, वह मना है।
हदीस:
“जो औरत लोगों का ध्यान खींचने के लिए इत्र लगाकर निकलती है, वह ऐसे ही है जैसे उसने ज़िना किया हो।”
(नसाई 5126)
7. अल्लाह से तौबा करने का हुक्म
आयत:
“और ऐ मोमिन औरतों! अल्लाह से तौबा करो ताकि तुम्हें सफलता मिले।”
तफसीर:
हर मोमिन औरत को चाहिए कि अगर उसने हिजाब और पर्दे में कोताही की हो, तो अल्लाह से तौबा करे।
हदीस:
“अल्लाह उस औरत से बहुत खुश होते हैं, जो तौबा करके अपनी गलतियों को सुधार लेती है।”
(मुस्लिम 2675)
निष्कर्ष (Conclusion)
इस आयत से हमें यह सीख मिलती है कि:
✅ निगाहें नीची रखना जरूरी है।
✅ शरमगाह की हिफाजत करनी चाहिए।
✅ गैर-महरम से पर्दा करना फर्ज है।
✅ दुपट्टा सही तरीके से लेना चाहिए।
✅ अल्लाह से तौबा करनी चाहिए।
🤲 अल्लाह हम सबको इस आयत पर अमल करने की तौफीक दे – आमीन!
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