बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम करने वाला है।

Masjid Se Nikalne Ki Dua : मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ और उसकी अहमियत

इस्लाम में मस्जिद को अल्लाह का घर कहा जाता है, जहां मुसलमान नमाज़ अदा करते हैं और अल्लाह की इबादत में वक्त गुजारते हैं। जब हम मस्जिद में दाखिल होते हैं, तो हमें एक खास दुआ पढ़ने की हिदायत दी गई है और जब मस्जिद से बाहर निकलते हैं, तब भी एक दुआ पढ़नी चाहिए।

यह दुआ एक मोमिन के लिए बहुत अहमियत रखती है, क्योंकि यह अल्लाह के फज़ल (कृपा) को हासिल करने का जरिया बनती है। नबी करीम ﷺ की सुन्नत है कि मस्जिद से निकलते वक्त यह दुआ पढ़ी जाए ताकि अल्लाह से बरकत और रहमत मांगी जा सके।

मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ

Masjid Se Nikalne Ki Dua in English

Allahumma Inni As’aluka Min Fadlik

Masjid Se Nikalne Ki Dua in Hindi

अल्लाहुम्मा इन्नी असालुका मिन फज़्लिक।

दुआ का तर्जुमा (Meaning of Dua)

“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरे फज़ल (कृपा) का तलबगार हूँ।”

मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ की फज़ीलत (महत्त्व और लाभ)

1. अल्लाह की कृपा प्राप्त होती है

जब कोई मोमिन इस दुआ को पढ़कर मस्जिद से निकलता है, तो वह अल्लाह से उसकी रहमत और बरकत मांगता है।

2. नबी करीम ﷺ की सुन्नत पर अमल

यह दुआ नबी ﷺ की सुन्नत है और इसे पढ़ना हमारे लिए सवाब का जरिया बनता है।

3. रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में बरकत

मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद जब हम इस दुआ को पढ़ते हैं, तो यह हमारी दुनिया और आखिरत दोनों में फायदेमंद होती है।

4. आखिरत में काम आने वाली दुआ

यह दुआ हमारे लिए कयामत के दिन नूर बनेगी, क्योंकि छोटी-छोटी सुन्नतों पर अमल करना हमें जन्नत के करीब ले जाता है।

मस्जिद से बाहर निकलने के सुन्नती आदाब

मस्जिद में दाखिल होने और बाहर निकलने के कुछ सुन्नती तरीक़े हैं, जिनका पालन करना बेहतर माना जाता है:

1. बाएं पैर से बाहर निकलें

हदीस में आता है कि नबी ﷺ जब मस्जिद से बाहर निकलते, तो पहले बायां पैर बाहर रखते थे।

2. मस्जिद में दाखिल होते वक्त और निकलते वक्त दुआ पढ़ें

दोनों दुआओं को याद करना और उन पर अमल करना हमारे लिए सवाब और बरकत का जरिया बनता है।

3. नमाज़ के बाद कुछ देर बैठकर ज़िक्र करें

नमाज़ खत्म होते ही तुरंत बाहर न निकलें, बल्कि कुछ देर अल्लाह का ज़िक्र करें, फिर बाहर निकलें।

4. बेक़दरी और ग़फलत से बचें

मस्जिद से बाहर निकलते वक्त हल्की आवाज़ में बात करें और बेपरवाही से मस्जिद को न छोड़ें।

हदीस से मस्जिद से निकलने की दुआ की अहमियत

हदीस में आता है कि नबी ﷺ ने फरमाया:

“जब कोई इंसान मस्जिद में दाखिल होता है तो वह अल्लाह की रहमत में दाखिल होता है और जब बाहर निकलता है, तो उसे अल्लाह के फज़ल की जरूरत होती है। इसलिए बाहर निकलते समय यह दुआ पढ़ो।”

(सुनन अबू दाऊद, हदीस 465)

निष्कर्ष (Conclusion)

इस्लाम में हर काम के लिए सुन्नतें और दुआएं मौजूद हैं, ताकि एक मोमिन हर कदम पर अल्लाह की याद में रहे। मस्जिद से बाहर निकलते समय इस दुआ को पढ़ना हमें अल्लाह की रहमत और फज़ल हासिल करने में मदद करता है। यह एक छोटी लेकिन बहुत अहम दुआ है, जो हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में बरकत लाती है।

अल्लाह हमें इस सुन्नत पर अमल करने की तौफीक दे और हमारी नमाजों को कबूल फरमाए, आमीन!

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