बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रही

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शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

Salam Karne Ka Sahi Tarika – इस्लाम में सलाम की अहमियत और आदाब

इस्लाम में सलाम करना सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि यह एक इबादत है। यह मुसलमानों की पहचान और आपसी मोहब्बत बढ़ाने का जरिया है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि सलाम करने का सही तरीका (Salam Karne Ka Sahi Tarika) क्या है, इसके क्या फायदे हैं और हदीस में इसके क्या आदाब बताए गए हैं।

सलाम करने की अहमियत

सलाम करने से आपसी प्यार और भाईचारा बढ़ता है। यह एक ऐसी दुआ है जिसे करने वाला भी सवाब कमाता है और सुनने वाला भी नेकी पाता है।

अल्लाह तआला फरमाते हैं:

“और जब तुमसे कोई सलाम करे तो उससे बेहतर सलाम के साथ जवाब दो या उसी तरह लौटा दो। बेशक अल्लाह हर चीज़ का हिसाब लेने वाला है।”

(सूरह अन-निसा 4:86)

इस आयत से मालूम हुआ कि सलाम का जवाब देना वाजिब (जरूरी) है और अगर कोई अच्छे तरीके से जवाब दे तो यह और भी बेहतर है।

सलाम करने का सही तरीका (Salam Karne Ka Sahi Tarika)

1. सलाम करने की सुन्नत

Salam Karne Ka Sahi Tarika

नबी करीम ﷺ ने फरमाया:

“छोटों को चाहिए कि बड़ों को सलाम करें, चलने वाले बैठने वालों को सलाम करें और कम लोग ज्यादा लोगों को सलाम करें।”

(सुनन अबू दाऊद 5198)

✅ छोटा बड़ा हो तो उसे सलाम करे।

✅ चलने वाला बैठे हुए को सलाम करे।

✅ थोड़े लोग ज्यादा लोगों को सलाम करें।

2. सलाम करने के मस्नून अल्फाज

“अस्सलामु अलैकुम” (السلام عليكم) – इसका मतलब है “तुम पर सलामती हो”।

और इसका जवाब होगा:

“व-अलैकुमुस्सलाम” (وعليكم السلام) – “तुम पर भी सलामती हो”।

अगर कोई बेहतर सलाम करना चाहे तो कहे:

“अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाहि वबरकातुहू” (السلام عليكم ورحمة الله وبركاته) – “तुम पर सलाम, अल्लाह की रहमत और बरकत हो।”

इसका जवाब होगा:

“व-अलैकुमुस्सलाम वरहमतुल्लाहि वबरकातुहू” (وعليكم السلام ورحمة الله وبركاته)।

3. सलाम करने के आदाब

(A) पहले सलाम करने वाला बेहतर होता है

नबी ﷺ ने फरमाया:

“सबसे अच्छा इंसान वह है जो पहले सलाम करे।”

(सुनन तिर्मिज़ी 2694)

(B) सलाम को आम करो

नबी ﷺ ने फरमाया:

“तुम लोग आपस में सलाम को आम कर दो, इससे तुममें मुहब्बत बढ़ेगी।”

(सहीह मुस्लिम 54)

(C) सलाम में आवाज़ धीमी न हो

सलाम इतनी आवाज़ में करना चाहिए कि सामने वाला आसानी से सुन सके।

(D) गैर-मुस्लिम को सलाम देने का तरीका
1. अगर कोई गैर-मुस्लिम पहले सलाम करे:

“अगर अहल-ए-किताब (यहूदी-ईसाई) तुम्हें सलाम करें, तो कहो: ‘व-अलैकुम’ (और तुम पर भी)।”

(सहीह बुखारी 6258, सहीह मुस्लिम 2163)

यानी अगर कोई गैर-मुस्लिम पहले सलाम करे, तो पूरा जवाब नहीं देना चाहिए, बल्कि सिर्फ ‘व-अलैकुम’ कहना चाहिए।

2. खुद गैर-मुस्लिम को पहले सलाम करना:

“तुम यहूदियों और ईसाइयों को पहले सलाम न करो।”

(सहीह मुस्लिम 2167)

इससे मालूम हुआ कि गैर-मुसलमान को पहले सलाम करना मना है, लेकिन अगर वह पहले करे तो जवाब दिया जा सकता है।

(E) क्या “राम-राम”, “नमस्ते” या “गुड मॉर्निंग” कहना जायज़ है?

✅ इस्लाम में सलाम का तरीका ‘अस्सलामु अलैकुम’ ही है।

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“यहूदियों और ईसाइयों की नकल मत करो, बल्कि अपने तरीके से सलाम करो।”

(सुनन तिर्मिज़ी 2695)

यानी हमें सिर्फ “अस्सलामु अलैकुम” कहना चाहिए।

“राम-राम”, “नमस्ते”, “गुड मॉर्निंग” जैसी बातें इस्लामी सलाम का हिस्सा नहीं हैं।

इमाम नववी रहमतुल्लाह अलैह लिखते हैं:

“अगर कोई गैर-मुस्लिम आपको ‘नमस्ते’ या ‘राम-राम’ कहे, तो आप सिर्फ ‘व-अलैकुम’ कह सकते हैं।”

(रियाजुस-सालिहीन, बाब सलाम का बयान)

(F) जब किसी जगह दोबारा जाओ तो फिर सलाम करो

नबी ﷺ ने फरमाया:

“जब तुम किसी मजलिस में आओ तो सलाम करो, और जब उठकर जाओ तब भी सलाम करो।”

(सुनन तिर्मिज़ी 2706)

सलाम करने के फायदे

1. गुनाहों की माफी मिलती है

नबी ﷺ ने फरमाया:

“जब दो मुसलमान मिलते हैं और सलाम करते हैं, फिर हाथ मिलाते हैं, तो उनके गुनाह ऐसे गिर जाते हैं जैसे सूखे पेड़ के पत्ते गिरते हैं।

(मुसनद अहमद 18326)

2. जन्नत में दाखिल होने का जरिया

नबी ﷺ ने फरमाया:

“तुम जन्नत में नहीं जा सकते जब तक कि ईमान न लाओ, और ईमान मुकम्मल नहीं होगा जब तक तुम एक-दूसरे से मोहब्बत न करो। क्या मैं तुम्हें एक ऐसी चीज़ न बताऊं जिससे तुममें मुहब्बत पैदा होगी? आपस में सलाम को आम करो।”

(सहीह मुस्लिम 54)

3. शैतान से हिफाजत मिलती है

जब इंसान घर में दाखिल होते समय सलाम करता है तो घर से शैतान भाग जाता है।

(सहीह मुस्लिम 2018)

गलत सलाम करने के तरीके

1. सिर्फ हाथ हिलाना या सिर हिलाना

❌ सिर्फ इशारों से सलाम करना सही नहीं है। नबी ﷺ ने इसे मना किया है।

(सुनन तिर्मिज़ी 2695)

2. सलाम के अलावा कोई और शब्द कहना

❌ जैसे “गुड मॉर्निंग” या “नमस्ते” कहना, जबकि मुसलमानों के लिए सही तरीका सिर्फ अस्सलामु अलैकुम कहना है।

3. सलाम का जवाब न देना

❌ सलाम का जवाब देना वाजिब (जरूरी) है, इसलिए जवाब देना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज हमने जाना कि सलाम करने का सही तरीका (Salam Karne Ka Sahi Tarika) क्या है, सलाम के आदाब क्या हैं और इसे क्यों आम करना चाहिए।

✅ सलाम करने से गुनाहों की माफी होती है।

✅ यह जन्नत में दाखिल होने का जरिया है।

✅ मुसलमानों के बीच प्यार और भाईचारा बढ़ाता है।

✅ शैतान से हिफाजत मिलती है।

अल्लाह हम सबको इस सुन्नत पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए, आमीन।

(इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, ताकि लोग इस्लाम की हिदायत पा सकें।)

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